इस मंदिर में होती है दूल्हा-दुल्हन की पूजा, भगवान की कोई प्रतिमा नहीं, जानिए क्यों?
Banswara News in Hindi, बांसवाड़ा। देश में मंदिरों का इतिहास भी खासा रोचक है। इस मामले में राजस्थान का यह मंदिर सबसे अनूठा है, क्योंकि इस मंदिर में किसी भगवान नहीं बल्कि दूल्हा-दुल्हन की पूजा की जाती है। बात भले ही गले नहीं उतर रहो हो, मगर दूल्हा-दुल्हन का यह मंदिर देखना है तो राजस्थान के बांसवाड़ा-उदयपुर हाईवे पर सफर कीजिए।
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इस हाईवे पर बांसवाड़ा जिला मुख्यालय से 50 किलोमीटर गांव लसाड़ा के तालाब के पास ( Dulha Dulhan Temple in Banswara) दूल्हा-दुल्हन का मंदिर बना हुआ है, जिसमें किसी देवी-देवता की बजाय दूल्हा-दुल्हन की प्रतिभा भी लगी हुई। लोगों की इस मंदिर में गहरी आस्था है। खासकर बारातियों की। जब भी कोई बारात लसाड़ा गांव में इस हाईवे से गुजरती है। बाराती दूल्हा-दुल्हन के मंदिर के दर्शन जरूर करते हैं।
मंदिर बनने की स्टोरी 40 साल पुरानी
बांसवाड़ा में बने दूल्हा-दुल्हन के इस मंदिर के निर्माण की कहानी 40 साल पुरानी है। लसाड़ा के ग्रामीणों के अनुसार वर्ष 1979 में नजदीकी गांव भीमगढ़ गांव में डूंगरपुर जिले के लीमड़ी (आसपुर तहसील) से एक बारात आई थी। शादी धूमधाम से हुई थी। विदाई के बाद 22 वर्षीय दूल्हा मोतीसिंह और भीमगढ़ निवासी 20 वर्षीय दुल्हन सुशीला कंवर बस में सवार होकर रवाना हो गए। लसाड़ा तालाब की पाल पर गुजरते समय बस का एक्सीडेंट हो गया था, जिसमें दूल्हा-दुल्हन की मौत हो गई। इस घटना ने सबको झकझोर दिया था।
लोग कभी इस जगह को नहीं भूल पा रहे थे। दूल्हा-दुल्हन की बस के बाद भी यहां कई एक्सीडेंट हुए। ऐसे में लोगों को लगा कि यह जगह अपशुकनी हो गई। यहां पर पूजा पाठ होना चाहिए ताकि एक्सीडेंट रुक सकें। किसी भगवान की बजाय लोगों दूल्हा-दुल्हन की ही पूजा शुरू कर दी है। नतीजा यह रहा कि इसके बाद दुर्घटनाएं होना कम हो गई। ऐसे में लोगों की आस्था बढ़ती गई और वर्ष 2005 में यहां मंदिर बनाकर उसमें दूल्हा-दुल्हन की प्रतिमा स्थापित कर दी गई, जो वर्तमान में भी है।
शादी
में
विघ्न
दूर
होने
की
मांगते
हैं
मन्नत
बांसवाड़ा
के
इस
दूल्हा-दुल्हन
मंदिर
में
स्थानीय
लोगों
के
साथ
वाहन
चालकों
की
भी
आस्था
है।
खासकर
बारात
लेकर
जाने
वाले
वाहन
चालकों
की।
गांव
भीमगढ़
के
शंकर
लाल
चौहान
की
मानें
तो
लसाड़ा
के
तालाब
की
पाल
से
जब
बारात
गुजरती
है
तो
बाराती
दूल्हा-दुल्हन
के
मंदिर
में
रुककर
शादी
बिना
किसी
व्यवधान
के
सम्पन्न
होने
की
मन्नत
मांगते
हैं।
इसके
अलावा
अविवाहित
युवक-युवतियों
की
सगाई
या
शादी
में
किसी
प्रकार
की
दिक्कत
आने
पर
वे
भी
यहां
धोक
लगाने
आते
हैं।