SHO V/S MLA : भीलवाड़ा पारोली थानाधिकारी ने विधायक के खिलाफ एसपी को लिखा पत्र, कही ये बातें
राजस्थान में खाकी-खादी के बीच टकराव, महिला SHO ने एमएलए के खिलाफ SP को लिखा पत्र, कही ये बातें
भीलवाड़ा। राजस्थान पुलिस में इन दिनों कुछ ठीक नहीं चल रहा। दस दिन पहले चूरू जिले के राजगढ़ एसएचओ विष्णुदत्त बिश्नोई ने राजनीतिक प्रेशर के चलते खुदकुशी कर ली। उसके बाद दौसा और जैसलमेर जिले में पुलिसकर्मी ने फांसी लगाकर जान दे दी। अब भीलवाड़ा जिले में खाकी और खादी के बीच जबरदस्त टकराव की खबर सामने आई है। भीलवाड़ा की एक महिला एसएचओ ने विधायक के खिलाफ पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखकर प्रताड़ना का आरोप लगाया है। महिला एसएचओ का पत्र सोशल मीडिया में खूब वायरल हो रहा है, जिसके जवाब में विधायक ने एसएचओ पर बजरी माफिया से सांठ-गांठ के आरोप जड़े हैं।
24 सितम्बर 2019 से पारोली में पदस्थ हैं सुशीला काठात
भीलवाड़ा के पारोली पुलिस थान में थानाधिकारी के पद पर 24 सितम्बर 2019 से कार्यरत उप निरीक्षक सुशीला काठात ने जहाजपुर विधानसभा सीट से विधायक गोपीचंद मीणा और उनके कार्यकर्ताओं पर कई आरोप लगाते हुए भीलवाड़ा एसपी हरेन्द्र कुमार महावर से पुलिस के टूटते मनोबल को जिंदा रखने की गुहार लगाई है। ईमानदार और कर्तव्यनिष्ठ छवि की पारोली थानाधिकारी सुशीला काठात ने 23 जनवरी 2020 को राजस्थान पंचायत चुनाव के दौरान थाना क्षेत्र के दो युवकों को आपसी झगड़े के मामले में सीआरपीएफ की धारा 151 के तहत गिरफ्तार कर हवालात में बंद कर दिया था।
पुलिस थाने में आकर एसएचओ को दी धमकी
पुलिस की इस कार्रवाई से वर्तमान सरपंच जीवनलाल शर्मा का गोद लिया पुत्र रमेश चंद्र बौखला गया और पुलिस थाने में आकर थाना प्रभारी सुशीला काठात को देख लेने की धमकी तक दे डाली थी। रमेश ने राजनीतिक बल की धोंस देते हुए ट्रांसफर तक कराने की धमकियां दी थी। यहीं से खाकी और खादी में टकराव शुरू हो गया था। इसके बाद एसएचओ काठात ने रमेश की धमकियों की परवाह किए बगैर धारा 186 के तहत उसके खिलाफ इस्तगासा पेश किया। एसएचओ की कार्रवाई के बाद तो पुलिस और राजनेताओं के बीच खींचतान और ज्यादा बढ़ गई।
पुलिसकर्मियों के आत्मसम्मान को पहुंचा रहे ठेस
एसएचओ काठात ने भीलवाड़ा एसपी को लिखे पत्र में कहा है कि पारोली थाना क्षेत्र में विधायक एवं उनके कार्यकर्ताओं के द्वारा विधायकी की धौंस दिखाकर हमेशा हमारा और हमारे अधीनस्थ पुलिसकर्मियों के आत्मसम्मान को ठेस पहुचाई जाती है। इससे विधि सम्मत कार्य करने में काफी कठिनाई होती है। साथ ही वर्तमान समय में कोरोना महामारी के दौरान लॉकडाउन की अनुपालन कराने के क्रम में विधायक के कार्यकर्ताओं के द्वारा लॉकडाउन को तोड़ा जाता है और उनको समझाने और मना करने पर विधायक एवं उनके कार्यकर्ताओं के द्वारा पुलिस के साथ अभद्र व्यवहार किया जाता है।
लोकडाउन में सामूहिक भोज का आयोजन
एसएचओ काठात ने 11 अप्रैल 2020 को हुई एक घटना का हवाला देते हुए लिखा कि उनके साथ पुलिस थाने में तैनात कांस्टेबल सदीप, प्रदीप व चालक सुभाष सरकारी जीप में पारोली ढोला चोराहे पर नाकाबंदी किए हुए थे। इस दौरान सूचना मिली कि आगरिया के प्रह्लाद व गोपाल जाट के घर में लोकडाउन के बीच सामूहिक भोज का कार्यक्रम चल रहा है। लोकडाउन व जिले में धारा 144 लागू होने के चलते एसएचओ मौके पर पहुंची तो वहां एमएलए मीणा, करण सिंह बेलवा, जीवन शर्मा आसोप सरपंच व परिवार के 15 सदस्य उपस्थित थे। पुलिस को आता देख इन लोगों ने बनाया हुआ खाना छिपाने का प्रयास भी किया। तभी पुलिस जाप्ता को भी मौके पर बुलाया गया। मौके के फोटोग्राफी लेते हुए मामले से उच्चाधिकारियों को अवगत करवाया।
अवैध कमाई में रोड़ा बनने पर कर रहे शिकायत
उसके बाद पुलिस ने सभी लोगों को धारा 144 की पालना को पाबंद किया। इस दौरान कैलाश जाट ने एसएचओ को ट्रांसफर कराने की धमकी दी। समझाइश के बाद भी कैलाश नहीं माना तो एसएचओ ने उसके खिलाफ न्यायालय में इस्तगासे के जरिए मामला पेश किया। इन दोनों ही मामलों में एमएलए मीणा का हाथ होने का आरोप लगाते हुए एसएचओ ने एसपी को लिखे पत्र में यह भी कहा कि राजनीतिक व अवैध धंधों से की जाने वाली कमाई में रोड़ा बनने के कारण एसएचओ को हटाने के लिए झूठी शिकायतें कर उनकी छवि को धुमिल करने का प्रयास किया जा रहा है।
मामले की जांच करवा रहे-भीलवाड़ा एसपी
इस संबंध में भीलवाड़ा एसपी हरेन्द्र कुमार महावर का कहना है कि पारोली एसएचओ में जहाजपुर विधायक पर जो आरोप लगाए हैं, उनकी जांच करवाई जा रही है। उसके साथ ही मेरे पास एसएचओ का लेटर पहुंचने से पहले सोशल मीडिया पर कैसे वायरल हुआ इसकी भी जांच शाहपुरा एएसपी को सौंपी गई है।
जहाजपुर विधायक गोपीचंद मीणा का तर्क
वहीं, जहाजपुर विधायक गोपीचंद मीणा कहते हैं कि एसएचओ के खिलाफ पुलिस मुख्यालय में शिकायत की हुई है, जिससे वह बौखलाई हुई हैं। उनकी बजरी व गार्नेट माफियाओं से सांठगांठ है। अपराधियों के ख़िलाफ मुकदमा दर्ज करने की बजाय बेगुनाहों को परेशान करती हैं। आगरिया में भोज में शामिल होने के आरोप भी बेबुनियाद है।
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