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मां-बेटे ने एक साथ पास की 10वीं-12वीं कक्षा, रिजल्ट में मां ने मारी बाजी, अब साथ ही कर रहे BSTC

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भीलवाड़ा। यह कहानी 16 साल के बेटे और 33 साल की विधवा मां की है। सामान्यतया मां अपने बच्चे को स्कूल भेजने की जिद पर अड़ती है, मगर इस कहानी में एक बेटे की जिद ने 18 साल बाद मां को किताबें उठाने को मजबूर कर दिया। अब आलम यह है कि दोनों मां-बेटे एक ही क्लास में पढ़ रहे हैं।

पति का चार साल पहले निधन

पति का चार साल पहले निधन

जानकारी के अनुसार राजस्थान के भीलवाड़ा में चार साल पहले खेराबाद की पद्मिनी राजपूत के पति का निधन हो गया था। तब वह मजदूरी और सिलाई करके बेटे रोहितसिंह भाटी की पढ़ाई जारी रखी। जब रोहित दसवीं कक्षा में आया तो जिद करने लगा कि उसके साथ-साथ मजदूरी व सिलाई करके परिवार चलाने वाली मां भी स्कूल में दाखिला लें और पढ़ाई करें।

18 साल बाद फिर उठाई किताबें

18 साल बाद फिर उठाई किताबें

बेटे की जिद की आगे मां ने पढ़ाई छोड़ने के 18 साल बाद फिर किताबें उठाई और राजस्थान स्टेट ओपन स्कूल से दसवीं की पढ़ाई शुरू की और बेटा गांव के स्कूल से 10वीं करने लगा। इसी तरह से 12वीं कक्षा भी उत्तीर्ण की। मां-बेटे ने मिलकर पढ़ाई की। बेटे ने मां को पढ़ाने में उसकी मदद की। खास बात है कि पढ़ाई के मामले में मां ने बाजी मारी है। 10वीं के रिजल्ट में मां को 67% और बेटे को 58% अंक मिले। ज​बकि 12वीं में मां को 69% और बेटे को 56% अंक प्राप्त हुए।

बीएसटीसी में बेटे को धौलपुर, मां को भीलवाड़ा कॉलेज मिला

बीएसटीसी में बेटे को धौलपुर, मां को भीलवाड़ा कॉलेज मिला

12वीं की परीक्षा के दौरान ही मां और बेटे ने प्री बीएसटीसी की परीक्षा दी। दोनों का साथ सलेक्शन हुआ। सरकारी टीचर बनने के जरूरी इस दो साल की डिग्री की पढ़ाई के लिए बेटे का सलेक्शन धौलपुर के कॉलेज में हुआ और मां काे भीलवाड़ा में विद्या कॉलेज मिला। दोनों साथ दो साल की बीएसटीसी कर रहे हैं। बेटे का सपना मां को सरकारी टीचर बनाना है। मां कहती हैं कि दोनों बनेंगे।

 बिना मेहनत कुछ नहीं, इसलिए किया संघर्ष

बिना मेहनत कुछ नहीं, इसलिए किया संघर्ष

मीडिया से बातचीत में रोहित ने बताया कि मैं रोज देखता हूं कि मां मुझे व छोटे भाई को पढ़ाने के लिए कितनी मेहनत करती हैं। मां मुझे बचपन में कहती थी कि तुझे पढ़कर नौकरी करनी है तो मैंने सोचा कि मां पढ़कर नौकरी क्यों नहीं कर सकती? इसके बाद मैंने मां से पढ़ने की जिद की। मां कहती हैं, संघर्ष के बिना कुछ नहीं मिलता। इसलिए फैसला लिया।

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English summary
Bhilwara Mother son together passed 10th - 12th Exam, mother won result, now doing BSTC
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