कोरोना वायरस से लड़ने का 'भीलवाड़ा मॉडल' देश में हो सकता है लागू, जानिए वजह
जयपुर। प्रदेश में कभी कोरोना वायरस के हॉटस्पॉट बने भीलवाड़ा में फिलहाल स्थिति काबू में है। भीलवाड़ा प्रशासन, पुलिस और मेडिकल स्टाफ के प्रयासों का नतीजा है कि यहां पर कोरोना के बढ़ते संक्रमण को काफी हद तक रोका जा सका है। शायद यही वजह है कि राजस्थान में कोरोना पॉजिटिव केस के मामले में सबसे आगे रहा भीलवाड़ा अब कुल 27 मामलों के साथ दूसरे स्थान पर है। जयपुर में सर्वाधिक में सर्वाधिक 92 केस हैं।
केंद्रीय कैबिनेट सचिव ने दिए संकेत
भीलवाड़ा में कोरोना पॉजिटिव मरीजों की बढ़ती संख्या पर यहां के जिम्मेदारों के सामूहिक प्रयासों से लगाम लग सकी है। अब यही भीलवाड़ा मॉडल देश के अन्य हिस्सों में भी लागू हो सकता है। केंद्रीय कैबिनेट सचिव ने राजस्थान के मुख्य सचिव टीवी गुप्ता के रविवार को वीडियो कांफ्रेंस के जरिए प्रदेश के मौजूदा हालात के बारे में चर्चा की और 'भीलवाड़ा मॉडल' की सराहना करने के साथ-साथ इसे देश में लागू किए जाने के संकेत दिए।
भीलवाड़ा में कैसे फैला कोरोना वायरस
बता दें कि भीलवाड़ा कोरोना वायरस जिला मुख्यालय की आरसी व्यास कॉलोनी स्थित ब्रजेश बांगड़ मेमोरियल अस्पताल (बीबीएमएच) से फैला। यहां के डॉक्टर, नर्स, स्टाफ और इलाज करवाने आए कोरोना की चपेट में आ गए। कोरोना पॉजिटिव के दो मरीजों की मौत हो गई। सबसे पहला मामला 20 मार्च को सामने आया है। इसके बाद पूरे भीलवाड़ा में कर्फ्यू लगा दिया गया। घरों से बाहर निकलने वालों के साथ सख्ती बरती गई। जांच का सघन अभियान चलाया गया। जिले की सीमाएं सील की गई।
क्या है 'भीलवाड़ा मॉडल'
भीलवाड़ा के ब्रजेश बांगड़ मेमेारियल अस्पताल से फैले कोरोना वायरस को रोकने के भीलवाड़ा प्रशासन की रणनीति काम कर गई। इससे न केवल नए मामले सामने आने रुक गए बल्कि उपचाराधीन अधिकांश मरीज भी रिकवर कर गए। इसके बाद भी भीलवाड़ा प्रशासन कोरोना वायरस को लेकर गंभीर रहा और तीन अप्रैल से 13 अप्रैल तक के लिए शहर में महा कर्फ्यू लगा दिया। लोगों को घरों से बाहर नहीं निकलने दिया। लोगों को आवश्यक वस्तुओं की सप्लाई प्रशासन ने अपने स्तर पर की। इस पूरी व्यवस्था का नाम 'भीलवाड़ा मॉडल' है।
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