क्या है भीलवाड़ा मॉडल, जानिए कौनसे खास पैटर्न पर काम करके रोका कोरोना का बढ़ता संक्रमण?
भीलवाड़ा। कोरोना वायरस पर काबू पाने के लिए 'भीलवाड़ा मॉडल' की देशभर में चर्चा हो रही है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व केंद्रीय केबिनेट सचिव राजीव गौबा ने भी इसकी तारीफ की। भीलवाड़ा मॉडल देशभर में लागू करने की बात कही। भीलवाड़ा मॉडल का ही नतीजा है कि शहर में कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या को 27 पर ही रोक सा दिया गया है। इसके अलावा तीन से 13 अप्रैल से भीलवाड़ा में महा कर्फ्यू लागू है। आईए जानते हैं आखिर क्या है भीलवाड़ा मॉडल? यह मॉडल किसने व कैसे बनाया? भीलवाड़ा कलक्ट्रेट में कैसे काम हुआ? परदे के पीछे के हीरो कौन है? इसके लिए भीलवाड़ा जिला कलक्टर से लेकर कलक्ट्रेट के सहायक कर्मचारी तक से बातचीत की।
काम को सेक्शन के हिसाब से बांटा
दरअसल, कोरोना संकट के बीच जिस मॉडल की देश में चर्चा हो रही है, उसे बनाने वाले भीलवाड़ा कलक्ट्रेट में चुनाव पैटर्न पर काम हुआ। यहां हर सेक्शन को अलग-अलग काम बांटा गया। चुनाव ड्यूटी वाले कर्मचारी बुलाए गए। किसी को कंट्रोल रूम तो किसी को ग्रामीण क्षेत्र का सर्वे सौंपा।
कोरोना वायरस से लड़ने का 'भीलवाड़ा मॉडल' देश में हो सकता है लागू, जानिए वजह
पूरी रात कलेक्ट्रेट में रहे जिला कलेक्टर
खुद भीलवाड़ा कलेक्टर राजेंद्र भट्ट व भीलवाड़ा एडीएम राकेश कुमार पूरी रात कलक्ट्रेट में जमे रहे। शुरू के पांच दिन कभी दिल्ली तो कभी जयपुर से फोन घनघनाते रहे। इसे चिकित्सा विभाग के साथ कलक्ट्रेट की पूरी टीम से कुशलता से किया। इसी का नतीजा है कि जिले में कोरोना पर काबू पाया जा सका है।
पहले 5 दिन हर 2 घंटे में जयपुर से फोन
भीलवाड़ा में शुरू के पांच दिन में यह स्थिति थी कि हर दो घंटे में जयपुर से फोन आ रहे थे। इसमें सीएम गहलोत व चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा शहर में कोरोना स्थिति का अपडेट ले रहे थे। ऐसे में यहां पूरी-पूरी रात कलक्ट्रेट में काम हुआ। एडीएम प्रशासन राकेश कुमार के नेतृत्व में 25 लाख लोगों का सर्वे हुआ। तीन बार सर्वे हुआ, जब संदिग्ध रोगियों की पहचान हुई।
चुनाव की तरह कोरोना में यूं किया काम
01. कलेक्ट्रेट का कंट्रोल रूम
विधानसभा व लोकसभा चुनाव में कंट्रोल रूम संभालने वाले कर्मचारियों को ही इस बार बुला लिया। पाठ्यपुस्तक मंडल के प्रभारी आशुतोष आचार्य, राजेंद्र मार्ग स्कूल के प्रधानाचार्य श्यामलाल खटीक, डॉ. महावीर प्रसाद शर्मा, हरीश पंवार सहित 28 अधिकारी व कर्मचारी तैनात रहे। हर दिन 200 से ज्यादा फोन आए। जरुरतमंदों को सामग्री पहुंचाई।
02. दो दिन घर नहीं गए कलक्टर व एडीएम के पीए
भीलवाड़ा कलेक्टर व एडीएम के निजी सहायक कक्ष में पूरी रात काम हुआ। कलेक्टर के पीए किशन पंचोली व नितिन शर्मा व सूचना सहायक रोहित पालीवाल दो दिन घर नहीं गए। एडीएम के पीए अरविंद शर्मा व आनंद शर्मा भी तीन दिन पूरी रात कलेक्ट्रेट में बैठे रहे। इनके पास देशभर के कई कलक्टरों के फोन आए। यहां तक कि कलेक्टर के सुरक्षा गार्ड ओगड़ सिंह ने भी कई बार डबल ड्यूटी की।
03. सामान्य शाखा से जारी सौ से ज्यादा आदेश
कलेक्ट्रेट की सामान्य शाखा में कोरोना संबंधित सभी आदेश जारी हुए। धारा 144 लागू कराने के संबंध तथा कोरोना पर काबू पाने के लिए कर्यू के बाद 100 से ज्यादा आदेश जारी हो गए। प्रभारी संदीप कोठारी, राकेश पारीक आदि टीम ने पूरी रात काम किया।
04. संभाला ग्रामीण क्षेत्रों का सर्वे
जिले के 25 लाख लोगों की स्क्रीनिंग बड़ी चुनौती थी। एडीईओ नारायणलाल जागेटिया, प्रधानाचार्य अब्दुल शाहिद शेख, टेक्सटाइल कॉलेज के प्रो. अनुराग जागेटिया की टीम ने चार राज्यों के 37 व 15 जिलों के 521 मरीजों को खुद फोन किए, जो बांगड़ अस्पताल आए थे। सूचना सहायक बुद्धिप्रकाश छीपा, ओम डाड, सुनील डाड, मनीष पलोड़ व शांतिस्वरुप जीनगर ने काम किया।
05.आपदा टीम ने संभाला काम
नागरिक सुरक्षा विभाग की टीम ने आपदा की तरह काम किया। 50 से ज्यादा जवान भीलवाड़ा कलेक्ट्रेट में तैनात रहे, जो जहां जरुरत पड़ी चले गए। प्रभारी गोपाल बांगड़ ने जिले में मास्क व सेनेटाइजर की व्यवस्था संभाली। जरुरतमंदों के लिए भोजन से लेकर अन्य व्यवस्था संभाली। सौरभ कोठारी ने वाहन अधिग्रहण का काम देखा।
06. सूचना मिलते ही पहुंचाया खाना
तहसीलदार निर्वाचन राजेंद्र तिवाड़ी की टीम ने शहर में जरुरतमंदों को राशन व फूड पैकेट पहुंचाए। पहले पटवारियों ने भौतिक सत्यापन किया। कानून व्यवस्था बनाने तथा जिले की सीमा सील करने में न्याय शाखा के विजय पारीक, नीलिमा गुप्ता व राकेश शर्मा ने काम किया। बाहरी राज्यों के लोगों को मदद के लिए निर्वाचन शाखा प्रभारी कैलाश शर्मा की टीम लगी रही।
ये हैं भीलवाड़ा मॉडल
1.
पूरे
जिले
को
आइसोलेट
करनाए
ताकि
कोई
भी
न
बाहर
से
आए
न
जाएं।
2.
कोरोना
के
हॉटस्पॉट
को
चिन्हित
कर
जीरो
मोबिलिटी
जॉन
बनाना
3.
जो
रोगी
है
उसके
कॉन्टेक्ट
ट्रेसिंग
फटाफट
करना
ताकि
वे
आगे
न
जाए
उन्हें
तुरंत
होम
आइसोलेट
करना।
4.
डोर
टू
डोर
सर्वेए
इसमें
हर
व्यक्ति
की
हिस्ट्री
सामने
आ
जाएगी।
5.
जो
होम
आइसोलेटेड
है
उनकी
बराबर
निगरानी
रखना।
घर
के
बाहर
एक
तरह
से
सरकारी
पहरा
हो।
6.
जिले
की
बोर्डर
पूरी
तरह
सील
ताकि
किसी
का
मूवमेंट
नहीं
हो।
बाहर
से
आए
हर
व्यक्ति
का
रिकॉर्ड
रख
जांच
करना।