ट्रक में लेटकर बजरंग बली चले प्रयागराज, गंगा स्नान करके एक माह बाद लौटेंगे राजस्थान
भीलवाड़ा। राजस्थान से बजरंग बली प्रयागराज रवाना हुए हैं। वहां पहुंचकर गंगा स्नान करेंगे और करीब महीने भर बाद लौटेंगे। इसके बाद इनकी प्रतिमा स्थापिता की जाएगी। दरअसल, राजस्थान के भीलवाड़ा शहर में बाइपास स्थित हाथी भाटा आश्रम में भगवान हनुमान की 28 फीट ऊंची और 64 टन वजनी प्रतिभा स्थापित की जानी है। रविवार को भीलवाड़ा से प्रयागराज के लिए रवाना किया गया। प्रतिमा को धार्मिक यात्रा पर रवाना किए जाने से पहले शहर के संकट मोचन हनुमान मंदिर लाया गया। यहां सैंकड़ों भक्तों ने प्रतिमा के दर्शन किए।
दौसा में हुआ प्रतिभा का निर्माण
हाथी भाटा आश्रम भीलवाड़ा में इस मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की जानी है। 64 टन वजनी और 28 फीट लंबी इस हनुमान प्रतिमा का निर्माण 2 साल पहले दौसा जिले के सिकंदरा में कराया गया था। उसके बाद प्रतिमा को यहां लाया गया था। अब प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा से पहले उसे गंगा स्नान कराया जाएगा। इसके लिए इस प्रतिमा को भीलवाड़ा से प्रयागराज ले जाया रहा है।धार्मिक यात्रा पर जा रही इस प्रतिमा के लिए बड़े व्यापक प्रबंध किए गए हैं। भीलवाड़ा से प्रयागराज जाने और फिर वापस आने का 2100 किलोमीटर का यह सफर महीने में पूरा होगा।यह यात्रा संकट मोचन हनुमान मंदिर के महंत बाबू गिरी के सानिध्य में संपन्न होगी।
28 पहियों वाला 60 फीट लंबा ट्रोला
रविवार को प्रतिमा को हाथी भाटा आश्रम से संकट मोचन हनुमान मंदिर तक लाने के लिए 4 क्रेन और 40 लोगों की मदद ली गई। करीब 8 घंटे की अथक मेहनत के बाद इस प्रतिमा को 60 फीट लंबे ट्रोले में रखा गया। भगवान हनुमान की इस प्रतिमा को ले जाने के लिए विशेष रूप से 28 पहियों वाले 60 फीट लंबे ट्रोले का इंतजाम किया गया है। हाथी भाटा आश्रम से संकट मोचन हनुमान मंदिर तक की करीब 12 किलोमीटर की डेढ़ घंटे में पूरी हुई। यहां बड़ी संख्या में भक्तों ने इसके दर्शन किए।
हाथी भाटा आश्रम में प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा होगी
उसके बाद भगवान हनुमान की भीलवाड़ा से प्रयागराज धार्मिक यात्रा शुरू हुई। इस यात्रा में संकट मोचन हनुमान मंदिर के महंत बाबू गिरी महाराज और करीब 1 दर्जन से अधिक गाड़ियों का काफिला भी साथ-साथ चलेगा। 28 फीट लंबी 12 फीट चौड़ी इस हनुमान प्रतिमा को प्रयागराज में गंगा स्नान कराया जाएगा। उसके बाद प्रतिमा को वापस लाकर हाथी भाटा आश्रम में इसकी प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी।
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