राजस्थान न्यूज़ के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
Oneindia App Download

होली पर राजस्थान का हरणी गांव 50 साल से दे रहा सबसे अनूठा संदेश

Google Oneindia News

Bhilwara News, भीलवाड़ा। देशभर में रंगों का त्योहार होली धूमधाम से मनाया जा रहा है। लोग एक दूसरे खुशियों की गुलाल लगाकर होली खेल रहे हैं। धुलण्डी पर गुरुवार सुबह से ही हर तरफ उत्सव का माहौल बना हुआ है। इससे पहले बुधवार शाम को होलिका का दहन किया गया है।

भीलवाड़ा के गांव हरणी की पहल

भीलवाड़ा के गांव हरणी की पहल

Holi 2019 के मौके पर जानिए राजस्थान के एक गांव की अनूठी परम्परा के बारे में पिछले 50 साल से शिद्दत से निभाई जा रही है। दरअसल, होली पर होलिका का दहन करने के लिए लकड़ियों का प्रयोग किया जाता है। अमूमन देशभर में होली दहन की यही परम्परा है, मगर राजस्थान के भीलवाड़ा जिले का हरणी गांव (Harni Village Holi) लीक से हटकर कर रहा है।

6 साल में 12 बार लगी सरकारी नौकरी, पटवारी से IPS बने प्रेमसुख डेलू, अब IAS बनने की दौड़ में6 साल में 12 बार लगी सरकारी नौकरी, पटवारी से IPS बने प्रेमसुख डेलू, अब IAS बनने की दौड़ में

होलिका का दहन की बजाय मूर्ति पूजा

होलिका का दहन की बजाय मूर्ति पूजा

यहां पर पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने के लिए होलिका दहन नहीं किया जाता ताकि लकड़ियों का प्रयोग ना करना पड़े। होलिका दहन की बजाय यहां पर होलिका की मूर्ति की पूजा की जाती है। इसका मतलब यह नहीं है कि यहां होली नहीं मनाई जाती, बल्कि उसी उत्साह, उमंग तथा श्रद्धापूर्वक होली पर्व मनाया जाता है। फर्क इतना होता है कि यहां पेड बचाने के लिए होली पर लकड़ियां नहीं जलाकर पर्यावरण संरक्षण के लिए यहां केवल चांदी से निर्मित होलिका की पूजा की जाती है।

होली पर घर आया नन्हा मेहमान, मगर मां ने छोड़ दी दुनिया, मातम में बदली खुशियां, देखें VIDEOहोली पर घर आया नन्हा मेहमान, मगर मां ने छोड़ दी दुनिया, मातम में बदली खुशियां, देखें VIDEO

सामूहिक रूप से नृत्य करते हुए आते हैं होली चौक

सामूहिक रूप से नृत्य करते हुए आते हैं होली चौक

ग्रामीण शंकर लाल जाट ने बताया कि होली के दिन चारभुजा मंदिर में एकत्र होकर पूरा गांव होली चौक पहुंचता है। चौक में गांव के पंच-पटेल पूजा सम्पन्न कराते हैं। हर साल पर्यावरण संरक्षण के अपने संकल्प को दोहराते हुए पिछले करीब 50 साल से भी अधिक समय से यह परम्परा निभाई जा रही है। इससे पहले सभी ग्रामीण चारभुजानाथ के मंदिर परिसर में एकत्र होकर सामूहिक रूप से नृत्य करते हुए ढोल बाजे के साथ सभी होली चैक पहुंचते हैं। इसके बाद बुजुर्गों के सान्निध्य में चांदी से निर्मित होली की विधि विधानपूर्वक पूजा अर्चना की जाती है। दूसरे दिन धुलंडी के दिन रंग-गुलाल की होली खेली जाती है।

इस बार भी बगैर पेड़ काटे होली का पर्व मनाया

इस बार भी बगैर पेड़ काटे होली का पर्व मनाया

ग्रामीण रामेश्वर लाल जाट ने बताया कि गांव के बड़े-बुजुर्गों ने बरसों पूर्व यह निर्णय पर्यावरण को होने वाले नुकसान से बचाने तथा होली दहन के दौरान होने वाले हुडदंग से बचने के लिए लिया था। उनके द्वारा लिया गया यह फैसला करीब 50 साल से चला आ रहा है।

इस फैसले का आज के युवा भी आदरपूर्वक पालन करके पर्यावरण संरक्षण में अपनी ओर से आहुतियां दे रहे हैं। होली 2019 के पर्व के दिन एक बार फिर से हरणी गांव के लोगों ने पेड़ों की रक्षा की इस परम्परा को निभाते हुए बगैर पेड़ काटे होली का पर्व मनाया।

Comments
English summary
Bhilwara Harni village holi gives Message of environmental protection
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X