भावना जाट को टोक्यो ओलंपिक 2020 में पहुंचाने के लिए पिता ने खेत-मकान रखे गिरवी, भाई ने छोड़ी पढ़ाई
राजसमंद। भावना जाट। 24 साल की वो बेटी जो 20 किमी पैदल चाल स्पर्धा (रेस वॉक) की नई राष्ट्रीय चैंपियन और जापान की राजधानी टोक्यो में होने वाले 2020 ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक में भारत की उम्मीद हैं। भावना जाट राजस्थान के राजसमंद जिले की रेलमगरा तहसील के गांव काबरा की रहने वाली है। बेहद पिछड़े इलाके काबरा में 1 मार्च 1996 को किसान शंकर लाल जाट व नौसर देवी के घर पैदा हुई भावना जाट का सफर बेहद संघर्षभरा है।
भावना जाट ने बयां किया खुद का सफर
वन इंडिया हिंदी से खास बातचीत में भावना जाट ने अपने गांव काबरा की सरकारी स्कूल में पहली बार पैदल चाल (रेस वॉक) का नाम सुनने से लेकर रांची में टोक्यो ओलंपिक 2020 के लिए क्वालीफाई करने तक का वो सफर बयां किया, जिसमें मुफलीसी है। मेहनत है और कामयाबी भी। आइए जानते हैं भारतीय महिला एथलीट भावना जाट की जिंदगी के बारे में।
पहली बार पीटीआई सर से सुना पैदल चाल
भावना जाट बताती हैं कि वर्ष 2010 में मैं गांव काबरा के सरकारी स्कूल की कक्षा नौ में पढ़ती थी। उस समय स्कूल स्तर पर खेल प्रतियोगिताएं होती थीं। स्कूल के पीटीआई हीरालाल कुमावत ने पैदल चाल प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिए कहा। मेरा सबसे पहले सवाल यही था कि ये कौनसा खेल होता है। फिर पीटीआई सर ने न केवल बताया बल्कि प्रशिक्षण भी दिया। उसके बाद मैंने इस प्रतियोगिता को ही अपना कॅरियर बना लिया।
पैदल चाल प्रतियोगिताओं में भावना जाट का प्रदर्शन
-2010
से
2014
तक
चार
साल
तक
स्कूल
स्तर
की
नेशनल
प्रतियोगिताओं
में
हिस्सा
लिया।
-2014
में
विजयवाड़ा
में
जूनियर
खेलने
गई।
जिंदगी
का
पहला
सिल्वर
पदक
जीता।
-इसके
बाद
भावना
जाट
का
चयन
बंगलौर
स्थित
भारतीय
खेल
प्राधिकरण
में
हो
गया।
-वहां
पंजाब
के
रहने
वाले
कोच
हरप्रीत
ने
प्रशिक्षण
करवाया।
-2014-15
में
हैदराबाद
में
हुई
जूनियर
फैडरेशन
में
सिल्वर
पदक
प्राप्त
किया।
-2016
में
जयपुर
में
आयोजित
पैदल
चाल
की
दस
किलोमीटर
प्रतियोगिता
में
सिल्वर
पदक
जीता।
-2018
में
लखनऊ
में
आयोजित
ऑल
इंडिया
रेलवे
प्रतियोगिता
में
कांस्य
पदक।
-2019
में
पुणे
में
आयोजित
बीस
किमी
पैदल
चाल
में
स्वर्ण
पदक।
कॅरियर
का
पहला
स्वर्ण
पदक।
-2019
में
झारखंड
की
राजधानी
रांची
में
ऑपन
नेशनल
हुआ,
जिसमें
भावना
ने
फिर
स्वर्ण
पदक
जीता।
-फरवरी
2020
को
रांची
में
तीसरा
इंटरनेशनल
पैदल
चाल
राष्ट्रीय
प्रतियोगिता
में
भावना
ने
न
केवल
स्वर्ण
पदक
जीता
बल्कि
नया
रिकॉर्ड
बनाते
हुए
ओलंपिक
2020
के
लिए
क्वालीफाई
भी
किया।
पैदल चाल में अकेली महिला एथलीट
रांची में आयोजित प्रतियोगिता में भावना जाट ने बीस किलोमीटर की दूरी एक घंटा 29 मिनट 54 सैंकड में पूरी करके पैदल चाल प्रतियोगिता का नया राष्ट्रीय रिकॉर्ड बना लिया। टोक्यो ओलंपिक 2020 के लिए क्वालीफाई करने के लिए एक घंटा 31 मिनट का समय था। ऐसे में भावना ने ओलंपिक का टिकट भी पक्का कर लिया। पैदल चाल में भावना जाट अकेली महिला एथलीट है। पुरुष वर्ग में केरल के इरफान जाएंगे।
भावना जाट का परिवार
भावना जाट के पिता शंकर लाल जाट खेती के साथ-साथ मिस्त्री का काम भी करते हैं। माता नौसर देवी गृहणी हैं। बड़े भाई राजू की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है। वो घर पर रहते हैं। उनका इलाज चल रहा है। दूसरे भाई प्रकाश जाट निजी कंपनी में काम करते हैं। भावना जाट की बीए के बाद पढ़ाई छूट गई थी। अब खेल के साथ-साथ पढ़ाई भी पूरी कर रही हैं।
बहन के लिए भाई ने छोड़ी पढ़ाई
भावना जाट बताती हैं कि उसे आगे बढ़ाने में भाई प्रकाश ने अपनी पढ़ाई दांव पर लगा दी थी। वर्ष 2012 में भावना और उसका भाई प्रकाश उदयपुर में किराए का मकान लेकर रहते थे ताकि भावना उदयपुर के भूपाल नोबल्स यूनिवर्सिटी के खेल मैदान पर पैदल चाल की तैयारी कर सके। उस दौरान भाई प्रकाश ने पढ़ाई छोड़ दी और टायरों की एक निजी कंपनी में दस हजार महीने की पगार में नौकरी शुरू कर दी। भाई 5000 हजार रुपए भावना को नेशनल प्रतियोगिताओं में भेजने पर खर्च करता और शेष से दोनों भाई-बहन के रहने और खाने पर खर्च हो जाते।
खेल कोटे से बनीं रेलवे में टीसी
उदयपुर में एक-डेढ़ साल तक रहने के बाद भावना का बंगलौर सांई में चयन हो गया। वहां जाने के बाद वर्ष 2016 में भावना जाट की खेल कोटे से कोलकाता हावड़ा में रेलवे टीसी के पद पर नौकरी लग गई। 21 हजार रुपए प्रति माह मिलने शुरू हो गए थे। उसी दौरान पिता के पेशाब संबंधी बीमारी हो गई और बड़े भाई की मानसिक स्थिति भी ज्यादा बिगड़ गई। 21 हजार रुपए में से भावना को खेल का खर्च, पिता व भाई की बीमारी का खर्च निकालना पड़ा। वर्तमान में भावना जयपुर में हरियाणा के कोच गुरुमुख से ओलंपिक की तैयारियां कर रही हैं।
खेत व मकान के कागज गिरवी रखे
भावना बताती हैं कि मैंने वो दिन भी देखें हैं जब पिता ने गांव के सूदखोरों से रुपए उधार लेकर मुझे खेलने भेजा है। सूदखोर के पास हमारे दो बीघा खेत और मकान गिरवी रखने के स्टाम्प पेपर तक लिखवाए गए। भाई ने तो अपनी पढ़ाई और आधी पगार तक मुझ पर खर्च की।
क्या है पैदल चाल प्रतियोगिता
भावना जाट बताती हैं कि पैदल चाल अपने आप में एक अनूठी प्रतियोगिता है। पहले मुझे भी इसके बारे में कुछ पता नहीं था। स्कूल पीटीआई हीरालाल कुमावत ने बताया तब पता चला। पैदल चाल में एक तरह से पैदल चलना ही है, मगर इसमें कई नियम होते हैं। जैसे चलते समय घुटने नहीं मुड़ने चाहिए। आगे पंजा रखना चाहिए। हवा में दोनों पांव नहीं होने चाहिए। इसमें तेज स्पीड से पैदल चलना होता है।