बीडी अग्रवाल का निधन : राजस्थान सरकार को इस काम के लिए ऑफर किए थे 100 करोड़ रुपए
जयपुर। राजस्थान के मशहूर उद्योगपति, दानदाता और राजनेता बीडी अग्रवाल नहीं रहे। 21 सितम्बर 2020 को बीडी अग्रवाल का निधन हो गया। गुरुग्राम स्थित मेदांता अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली। छह सितम्बर को जयपुर में गिरने से घायल होने के बाद बीडी अग्रवाल की तबीयत में सुधार नहीं हुआ। इस बीच वे कोरोना वायरस से भी संक्रमित हो गए थे। पहले जयपुर और फिर उनका इलाज मेदांता अस्पताल में चल रहा था।
ये लो सौ करोड़ रुपए, खोल दो कॉलेज
बता दें कि बीडी अग्रवाल मूलरूप से राजस्थान के श्रीगंगानगर के रहने वाले थे। ये श्रीगंगानगर में अपनी ग्वार गम कंपनी चला रहे थे। 8 साल पहले श्रीगंगानगर में सरकारी मेडिकल कॉलेज खोलने के लिए राजस्थान सरकार को एक करोड़ की मदद का ऑफर किया था। एक ही पल में चेक तक काट डाला था। इसके बाद से बीडी अग्रवाल खासे चर्चा में रहे। उन्हें श्रीगंगानगर में पहली निर्यातक कंपनी बनाने का भी श्रेय जाता है।
चुटकियों में कर देते थे करोड़ों रुपए दान
बीडी अग्रवाल राजस्थान के बड़े दानदाताओं में से एक थे। राजस्थान सरकार को सौ करोड़ काटकर देने की बात कहने के मामले के अलावा भी अग्रवाल ने कई बार करोड़ों के दान किए थे। वर्ष 1976 में हरियाणा के सिवानी में 25 एकड़ में एक मेडिकल कॉलेज बना चुके हैं। सिवानी में ही 20 एकड़ में एक अन्य कॉलेज बनाया। हजारों किसानों को 95 करोड़ का ग्वार बीज मुफ्त बांटा था। दस करोड़ रुपए गंगानगर नगर परिषद को सीवरेज के लिए दान दिए। श्रीगंगानगर में 48 करोड़ की छात्रवृत्ति वितरित, 2 करोड़ ट्रेडर्स एसोसिएशन भवन के लिए दान दिए।
जमींदारा पार्टी बनाई
बीडी अग्रवाल ने जमींदारा पार्टी के माध्यम से राजनीति में भी अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई। पूर्व में हुए विधानसभा चुनाव में बीडी अग्रवाल ने जमींदारा पार्टी का गठन किया और प्रदेशभर में पार्टी के प्रचार में उतरे। नतीजा ये रहा कि उनकी पार्टी के दो विधायक चुनकर विधानसभा पहुंचे। श्रीगंगानगर से उनकी बेटी कामिनी जिंदल और रायसिंहनगर से सोना देवी बावरी चुनाव जीतकर विधायक बनीं।
बीडी अग्रवाल की जीवनी
बीडी अग्रवाल का जन्म 1954 में हुआ था। इन्होंने डॉ. जैफरी जि़म्बलर के संरक्षण में मोनाष विश्वविद्यालय, ऑस्ट्रेलिया से मास्टर ऑफ एप्लाइड् इकोनॉमिक्स और इकोनोमेट्रिक्स टूल्स की तकनीकी निपुणता ग्रहण की है। वर्ष 1968 में जब ये कॉलेज में पढ़ाई कर रहे थे, इनका सम्पर्क हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार में वर्नन रिसर्च सेंटर (कृषि विज्ञान एवं मृदा) टेक्सास, अमेरिका से आये वैज्ञानिक डॉ. डगलस स्टैफोर्ड़ एवं डॉ. हैनरी पार्टि्रज़ से हुआ जो उस वक्त गुवार गम पर शोध कर रहे थे। फिर अग्रवाल ने भी इसी दिशा में अपने कदम बढ़ाए और सफलता के शिखर के छूआ।
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