बाड़मेर शहीद पीराराम थोरी की शवयात्रा में 50 हजार लोग पहुंचे, अंतिम दर्शन करने 45 किमी तक लगी कतार
बाड़मेर। राजस्थान के बाड़मेर जिले के बाछड़ाऊ गांव के शहीद पीराराम थोरी का मंगलवार को अंतिम संस्कार किया गया। बाड़मेर के सपूत को अंतिम विदाई देने हजारों लोग पहुंचे। इस दौरान रेगिस्तान के धोरे भारत माता के जयकारों से गूंज उठे। शहीद थोरी की चिता को चार साल के बेटे ने मुखाग्नि दी। उनके अंतिम दर्शन करने के लिए करीब 50 हजार लोग उमड़े। बाड़मेर के इतिहास में पहली बार किसी की शवयात्रा में एक साथ इतने लोग पहुंचे।
जम्मू कश्मीर में शहीद हुए थे पीराराम
बता दें कि जम्मू कश्मीर के तंगधार में 15 हजार फीट बर्फीली चोटी पर एलओसी की रक्षा करते 21 नवंबर 2019 को हिमस्खलन व भयंकर बर्फबारी के दौरान शहीद हो गए थे। शहीर पीराराम की पार्थिव देह सोमवार शाम हवाई मार्ग से बाड़मेर पहुंच गया था। मंगलवार सुबह जालीपा कैंप से सेना के वाहन से बाछड़ाऊ गांव में घर लाया गया। 8 जाट रेजिमेंट में तैनात 30 वर्षीय पीराराम पुत्र बगताराम ने वर्ष 2010 में सेना ज्वाइन की थी।
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पीराराम का बड़ा भाई भी सेना में
2011 में पीराराम की शादी हुई थी। दो बेटे मनोज व पौरुष है। पीराराम ने 12 वीं तक की शिक्षा राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय सनावड़ा से 2008 में की थी। पीराराम की शादी हीराराम पुत्र चीमाराम जाखड़ की पुत्री भंवरी के साथ हुई थी। भंवरी 10वीं पास है और फिलहाल गृहिणी है। पीराराम के पिता बगताराम रिटायर्ड बैंक कर्मचारी है। पीराराम समेत कुल चार भाई है। बड़ा भाई हनुमान भी सेना में भी है।
करीब 45 किमी लंबी शवयात्रा
मंगलवार सुबह जालीपा कैंप से शहीद की पार्थिक देह को सेना के वाहन गांव के लिए रवाना हुई तो आगे और पीछे हजारों की तादाद में लोग भारत माता के जयकारों के साथ-साथ पीराराम अमर रहे के नारे लगाते नजर आए। जालीपा कैंप से बांछड़ाउ गांव की दूरी करीब 45 किलोमीटर है। बाड़मेर के लोगों के अनुसार इतनी लंबी शवयात्रा पहले किसी की नहीं देखी। रास्ते में लोगों ने शहीद की पार्थिह देह पर पुष्प वर्षा की।