Lockdown Effect : मृतकों की अस्थियों को मोक्ष का इंतजार, लोग नहीं जा पा रहे हरिद्वार
सीकर। कोरोना वायरस के चलते देश में 24 मार्च से जारी 21 दिन का लॉकडाउन है। इस बीच आवागमन के साधन बंद हैं। ऐसे में अनेक मृत लोगों की अस्थियां कलश में मोक्ष का इंतजार कर रही हैं। लॉकडाउन होने के कारण आवागमन के साधन उपलब्ध नहीं होने से मृतकों के परिजन अस्थ्यिां विसर्जन के लिए हरिद्वार नहीं जा पा रहे हैं। परिजनों ने घर के अंदर या फिर मंदिर या शमशान घाट में अस्थि कलश रख रखे हैं ताकि व्यवस्थाएं सुचारू हो तो इनका विसर्जन हरिद्वार, पुष्कर या लोहागर्ल में किया जा सके।
सीकर के महंत विष्णु प्रसाद की मां विनोद देवी का निधन 18 मार्च को हार्ट अटैक के कारण हो गया था। अंतिम संस्कार तो कर दिया गया, लेकिन लॉकडाउन के कारण परिवार के लोग हरिद्वार नहीं जा पा रहे हैं। सीकर ही नहीं पूरे देश में आलम ऐसा है कि अस्थियां कलश में बंद हैं। इंतजार है कि आवागमन खुलने का ताकि हरिद्वार जाकर इन कलश में बंद अस्थियों काविसर्जन गंगा में किया जा सके।
सीकर के शिवधाम धर्माणा चेरीटेबल ट्रस्ट के कैलाश तिवाड़ी ने बताया कि अस्थियां तो लोग अपने घरों पर ले जाकर रख रहे हैं, लेकिन वे हरिद्वार नहीं जा पा रहे हैं। जो भस्मी राख है। वह कट्टों में भरकर यहां धर्माणा में रखी गई है। कारण कि भस्मी को लोग लोहागर्ल में ले जाकर विसर्जित करते हैं।
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