36 साल का अनुकूल मेहता कमाता है 37 लाख रुपए, बैंक ऑफ अमेरिका की नौकरी छोड़ बेचने लगा दूध
बांसवाड़ा। राजस्थान के बांसवाड़ा शहर में कुशलबाग गार्डन के पास राजराजेश्वरी कॉलोनी में रहने वाले अनुकूल मेहता का आज जन्मदिन है। 17 अक्टूबर 2020 को 36 साल का हो चुका अनुकूल मेहता कामयाबी की मिसाल है। अंदाजा इस बात लगा लो कि 36 साल का यह बंदा हर साल 37 लाख रुपए कमाता है।
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बांसवाड़ा के अनुकूल मेहता का साक्षात्कार
वन इंडिया हिंदी से बातचीत में अनुकूल मेहता ने बताया कि उन्होंने किस तरह से सारी प्रतिकूल परिस्थितियों को अपने 'अनुकूल' बनाया और इंटरनेशनल बैंकों की नौकरी छोड़कर खुद के दम पर दूध मार्केट विकसित किया। वर्तमान में अनुकूल न केवल खुद अच्छा खासा कमा रहे हैं बल्कि एक दर्जन से अधिक लोगों को रोजगार भी दे रखा है।
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अनुकूल की कहानी शुरू होती है वर्ष 2008 से
अनुकूल मेहता उर्फ अनुकूल जैन की सक्सेस स्टोरी की शुरुआत हम वर्ष 2008 से करते हैं। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ बैंकिंग एंड फाइनेंस से डिग्री हासिल करने के बाद अनुकूल बैंकिंग क्षेत्र में जॉब करने लगे। वर्ष 2008 में बैंक ऑफ अमेरिका में लाखों के पैकेज पर गुड़गांव ब्रांच से नौकरी शुरू की।
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भाई का लंदन ट्रांसफर होने पर अनुकूल लौटा बांसवाड़ा
अनुकूल बताते हैं कि बैंक ऑफ अमेरिका से कॅरियर शुरू करने के बाद मैंने एचएसबीसी बैंक और फिर सनकॉर्प बैंक ज्वाइन कर लिया था। आईआईटी से बीटेक करने बाद छोटा अनमोल मेहता भी अनुकूल के साथ गुड़गांव में जॉब करने लगा। इस बीच अनमोल का उसकी कंपनी ने लंदन ट्रांसफर कर दिया। भाई के जाने के बाद अनुकूल का अकेले गुड़गांव में मन नहीं लगा तो नौकरी छोड़कर बांसवाड़ा लौट आया।
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पहले नवरात्र को रखी अनमोल गीर गोशाला की नींव
अनुकूल मेहता गुड़गांव से इंटरनेशनल बैंक की नौकरी छोड़ने से पहले ही बांसवाड़ा के पास गांव ठिकरिया में वर्ष 2017 में नवरात्र के पहले दिन भाई के नाम से 'अनमोल गीर गोशाला' की नींव रखी। आज अनमोल गीर गोशाला को पूरे तीन साल हो चुके हैं। कुछ दिन बाद तक जॉब में रहते हुए गोशाला का संचालन का किया। फिर वर्ष 2018 में जॉब छोड़कर पूरी तरह से बांसवाड़ा आकर रहने लगे।
शुरुआत 7 गायों से, अब हैं 135 गाय
अनुकूल जैन बताते हैं कि बांसवाड़ा के गांव ठिकरिया में वर्ष 2017 में सात गायों से अनमोल गिर गोशाला की शुरुआत की थी। वर्तमान में हमारे पास 135 गाय हैं। खास बात यह है कि सभी गाय देसी नस्ल की हैं। गुजरात के गिर इलाके से 80 हजार से 1 लाख रुपए प्रति गाय के हिसाब से 7 खरीदी थी। पूरी गोशाला का संचालन 7 बीघा जमीन पर किया जा रहा है, जिसमें से 2 बीघा में गाय रहती हैं जबकि शेष पांच बीघा में उनके लिए चारे की व्यवस्था कर रखी है।
अब रोजाना बेच रहे 150 लीटर दूध
तीन साल पहले गोशाला शुरू की तब अनुकूल को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा। गायों के चारे का खर्च भी पूरा नहीं निकल पा रहा था। फिर भी अनुकूल ने हिम्मत नहीं हारी। गायों की संख्या बढ़ाने के साथ-साथ दूध खरीदने वालों को गोशाला से जोड़ते गए। वर्तमान में ये 150 लीट दूध रोजाना 70 रुपए प्रति लीटर के हिसाब से बेच रहे हैं। इसके चार दूधिए लगा रखे हैं, जो सुबह-शाम बांसवाड़ा शहर के आस-पास घर-घर जाकर दूध बेचते हैं।
ऐसे होती है लाखों की कमाई
अनुकूल कहते हैं कि 150 लीटर दूध व 70 रुपए प्रति किलो के हिसाब से गोशाला का सालाना टर्नओवर 37 लाख रुपए से अधिक होता है। इनमें से 25 लाख गायों की देखभाल पर खर्च हो जाते हैं। शेष राशि बचत है। अब यहां दूध की डिमांड दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। फिलहाल 250 लीटर दूध की डिमांग है, मगर 150 ही उपलब्ध करवा पा रहे हैं।
देसी नस्ल की गाय ही क्यों?
बांसवाड़ा की अनमोल गीर गोशाला में सिर्फ देसी नस्ल की गायों को पालने के पीछे अनुकूल तर्क देते हैं कि अमेरिका समेत कई देशों के शोध में स्पष्ट हो चुका है कि भारतीय देसी गायों का दूध स्वास्थ्य के लिए सबसे अधिक उपयोगी है। इसमें प्रोटीन समेत कई गुणकारी तत्व मौजूद हैं। यही वजह है कि अनुकूल की डेयरी से दूध लेने वाले 70 फीसदी ग्राहक किसी ना किसी रोग से ग्रसित हैं, जो चिकित्सकीय सलाह पर देसी गाय के दूध को प्राथमिकता दे रहे हैं।
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