क्या फर्जी था आनंदपाल एनकाउंटर?, राजस्थान के मंत्री बोले-भाजपा ने समाज के नेताओं को फंसाया
जयपुर। राजस्थान के कुख्यात गैंगस्टर आनंदपाल सिंह एनकाउंटर मामले में राजपूत समाज और परिजनों को सीबीआई जांच में दोषी पाया गया है। इसको लेकर राजस्थान के परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने भाजपा नेताओं और सीबीआई पर आरोप लगाए हैं। मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने आनंदपाल सिंह एनकाउंटर को फर्जी बताया है। वहीं, सीबीआई पर तत्कालीन भाजपा सरकार व केंद्र के इशारे पर काम करने का आरोप लगाया है। मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि समाज के सभी नेताओं को दोषी करार देने और जो लोग एक मां को एक बेटी को न्याय दिलाने के लिए लड़ रहे थे। उन्हीं पर केस दर्ज करने का आरोप लगाया है।
24 लोगों के खिलाफ चार्जशीट
मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने समाज के खिलाफ ऐसी अन्यायपूर्ण कार्रवाई पर बड़े आंदोलन के लिए भी चेताया। वहीं, केंद्र सरकार व राजस्थान के भाजपा नेताओं से जवाब मांगा और पूछा आखिर यह जांच किसके दबाव में किसके कहने से और किसने षड़यंत्र करके सामाजिक नेताओं को फंसाया है। सच्चाई सामने आनी चाहिए। गैंगस्टर आनंदपाल सिंह की एनकाउंटर में मौत के बाद नागौर जिले के लाड़नूं में उनके पैतृक गांव सांवराद में व्यापक दंगों के मामले में सीबीआई ने जोधपुर के सीबीआई विशेष मामला एसीएमएम कोर्ट में आनंदपाल की बेटी योगिता सिंह और वकील सहित कुल 24 लोगों को चार्जशीट में दोषी बताया है।
सीबीआई ने इन लोगों को बनाया आरोपी
सीबीआई ने जांच पूरी करने के बाद आनंदपाल सिंह की पुत्री और वकील के अलावा राजपूत समाज के 22 नेताओं को आरोपी बनाया है। सीबीआई ने राजपूत समाज के लोकेन्द्र सिंह कालवी, सुखदेव सिंह गोगामेड़ी, हनुमान सिंह खांगटा, महिपाल सिंह मकराना, योगेन्द्र सिंह कतर, दुर्ग सिंह, रंजीत सिंह मंगला उर्फ रंजीत सिंह सोढाला, रंजीत सिंह गेंदिया, रणवीर सिंह गुड़ा, ओकेन्द्र राणा उर्फ हितेन्द्र सिंह राणा, चरणजीत सिंह कंवर उर्फ चीनू, एपी सिंह, सीमा रघुवंशी उर्फ सीमा राघव, गिरीराज सिंह लोटवाड़ा, महावीर सिंह, प्रताप सिंह राणावत, प्रेमसिंह बनवासा, भंवरसिंह रेता, दिलीप सिंह, जब्बर सिंह, मोहन सिंह के खिलाफ जोधपुर स्थित एसीजेएम सीबीआई के पीठासीन अधिकारी इंदिरा बनेरा की कोर्ट में चालान पेश किया। सीबीआई ने आरोपियों के खिलाफ नागौर के तत्कालीन SP महिला आईपीएस पर जानलेवा हमला करने, पुलिस वाहनों को जलाने का दोषी मानते हुए सीबीआई नई दिल्ली की स्पेशल क्राइम ब्रांच 2 के उप महानिरीक्षक जगरूप गुरु सिन्हा के निर्देशन में उप अधीक्षक मुकेश शर्मा ने 24 आरोपों के खिलाफ चार्जशीट पेश की है।
ढाई साल चली सीबीआई की जांच
आनंदपाल सिंह के एनकाउंटर के बाद सांवराद में हुए दंगों के बाद सीबीआई ने 6 जनवरी 2018 को इस मामले में जांच शुरू की थी, जो करीब ढाई साल चली। राजस्थान सरकार ने गृह मंत्रालय को सीबीआई जांच के लिए अनुरोध किया था। इसके बाद सीबीआई ने तीन विभिन्न मामलों में केस दर्ज किए थे। इनमें पहला मामला आनंदपाल के एनकाउंटर, दूसरा मामला सांवराद में सभा के दौरान के सुरेंद्र सिंह की मौत और तीसरा मामला सांवराद में 13 जुलाई को हुए उपद्रव को लेकर राजपूत नेताओं पर दर्ज मामलों की जांच का था। आनंदपाल नागौर जिले के लाडनूं तहसील के छोटे से गांव सांवराद का रहने वाला था।
दो वोटों से चुनाव हार गया था आनंदपाल
शुरू से ही आनंदपाल पढ़ाई में होशियार था और वह एक शिक्षक बनना चाहता था लेकिन धीरे-धीरे उसकी रुचि राजनीति की ओर बढ़ने लगी और उसने पंचायत चुनाव भी लड़ा। इस चुनाव के साथ ही राजस्थान के इतिहास में एक गैंगस्टर का जन्म हुआ। आनंदपाल ने पूर्व मंत्री हरजीराम बुरड़क के बेटे से 2 वोटों से पंचायत चुनाव हारने के बाद साल 2006 में अपराध की दुनिया में कदम रख दिया।
जीवन राम गोदारा हत्याकांड के बाद गैंगस्टर बना आनंदपाल
साल 2006 में राजस्थान के डीडवाना में जीवन राम गोदारा की गोलियों से भूनकर उसने हत्या कर दी जिसके बाद आनंदपाल की चर्चा पूरे राजस्थान में होने लगी। गोदारा की हत्या के अलावा आनंदपाल के नाम डीडवाना में कई मामले दर्ज हैं। 24 जून 2017 की रात को आनंद पाल का चूरू जिले के मालावास गांव में एनकाउंटर किया गया था। इसके बाद आनंदपाल के परिजनों ने शव लेने से इनकार कर दिया था।
13 जुलाई को हुआ अंतिम संस्कार
2 जुलाई 2017 को आनंदपाल सिंह का शव उनके पैतृक गांव पहुंचा था, लेकिन परिजनों ने शव के अंतिम संस्कार करने को लेकर इनकार कर दिया था। परिजनों की मांग थी कि आनंदपाल सिंह को फर्जी एनकाउंटर किया गया है और इसकी सीबीआई जांच की जाए। गैंगस्टर आनंदपाल सिंह की मृत देह का 13 जुलाई 2017 को अंतिम संस्कार किया गया था।
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