आनंदपाल कहता था जेल तो टुच्चे तोड़ते हैं, मैं तो पुलिस पहरा तोड़कर भागूंगा...और वो भाग गया
अजमेर। राजस्थान के सबसे कुख्यात गैंगस्टर आनंदपाल सिंह के एनकाउंटर को आज दो साल हो गए। 24 जून 2017 की रात को चूरू जिले की रतनगढ़ तहसील के गांव मालासर में श्रवण सिंह के पर राजस्थान पुलिस ने 'आतंक' के 'आनंद' का अंत कर दिया था। आनंदपाल के एनकाउंटर की दूसरी बरसी पर आइए जानते हैं कि राजस्थान में खासे चर्चित रहे इस प्रकरण के बारे में।
आतंक का दूसरा नाम था आनंदपाल
राजस्थान के सीकर, चूरू और नागौर समेत कई जिलों में हत्या, लूट, अपहरण आदि के मामलों में आनंदपाल अजमेर की सेंट्रल जेल में बंद था। यहां से उसे अजमेर की हाई सिक्योरिटी जेल में शिफ्ट किया गया। इससे तीन दिन पहले ही उसने अपने साथियों और जेल अधिकारियों से कहा था कि अब उसके फुर्र होने का वक्त आ गया है। लेकिन उसका यह संकेत जेल अधिकारी समझ ही नहीं पाए थे। आनंदपाल अक्सर कहा भी करता था कि जेल तो टुच्चे (छोटे) अपराधी तोड़ते हैं वो तो पुलिस पहरा तोड़कर भागेगा। आनंदपाल ने अपनी इस बात को 3 सितम्बर 2015 को साबित भी कर दिखाया।
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डीडवाना से लौटते समय हुआ फरार
31 मई 1975 को नागौर जिले की लाड़नूं तहसील के गांव सांवराद में जन्मे आनंदपाल सिंह को अजमेर हाई सिक्योरिटी जेल में बंद किया तो यहां उसे पहले से बंद अपनी गैंग का साथी श्रीवल्लभ व सुभाष मुंड मिले। तीनों ने फरार होने का षड़यंत्र रचा। 3 सितम्बर 2015 को नागौर जिले के डीडवाना कोर्ट में पेशी पर ले जाया गया। वापसी में नागौर जिले के परबतसर के निकट आनन्दपाल सिंह का छोटा भाई विक्की अपने साथियों के साथ हथियार से लैस होकर आया और उसने पुलिस वाहन पर ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी। विक्की अपने बड़े भाई आनन्दपाल सिंह, श्रीवल्लभ और सुभाष मुंड को भगा ले गया।
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सुरक्षाकर्मियों को खिलाई थी नशीली मिठाई
जेल में बंद आनंदपाल के संकेत दिए जाने के बावजूद जेल प्रशासन उसके मंसूबे नहीं भांप पाई थी। उसने अपने प्लान के मुताबिक डीडवाना में पेशी से लौटते समय पुलिव वाहन में सवार सुरक्षाकर्मियों को मिठाई खिलाई, जो नशीली थी। मिठाई खाने के बाद सुरक्षाकर्मी अचेत हो गए और आनंदपाल फरार हो गया।
राजू ठेठ गैंग से है जानी दुश्मनी
आनंदपाल गैंग से सीकर के ठेहट गांव निवासी गैंगस्टर राजू ठेठ गैंग से दुश्मनी जग जाहिर है। दोनों गिरोह कई बार आमने-सामने हो चुके हैं। अजमेर से पहले आनंदपाल सिंह बीकानेर जेल में बंद था। बीकानेर जेल में राजू ठेठ गैंग से हुए खूनी संषर्घ के बाद 21 अगस्त 2014 को आनंदपाल को अजमेर जेल में शिफ्ट किया गया था।