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कहानी एसिड पीड़िता लक्ष्मी अग्रवाल की : 'घर से सारे शीशे और फ्रेम हटा दिए, ताकि मैं सुसाइड ना कर लूं'

By साकेत गोयल
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सिरोही। जब जिंदगी जीने का जुनून हो तो हर मुश्किल आसान हो जाती है। इसी कहावत को साबित कर दिखाया है लक्ष्मी अग्रवाल ने। बचपन में लक्ष्मी अग्रवाल भी सामान्य लड़कियों की तरह ही थी, मगर फिर इसके चेहरे पर तेजाब फेंक दी गई। उस एसिड अटैक ने लक्ष्मी की जिंदगी को बदलकर रख दिया।

मूलरूप से दिल्ली की रहने वाली लक्ष्मी अग्रवाल राजस्थान के सिरोही जिले के आबूरोड के ब्रह्माकुमारी संस्थान में चल रहे वैश्विक शिखर सम्मेलन में शिरकत करने के लिए पहुंची। जहां पर लक्ष्मी ने वन इंडिया से खास बातचीत में एसिड अटैक और उसके बाद जिंदगी को नए सिरे से शुरू करने की वो सिलसिलेवार कुछ यूं बयां की।

एसिड अटैक को 15 साल हो गए - लक्ष्मी अग्रवाल

एसिड अटैक को 15 साल हो गए - लक्ष्मी अग्रवाल

लक्ष्मी अग्रवाल ने बताया कि मुझ पर हुए एसिड अटैक को 15 साल हो गए हैं। तब मुझे तो पता भी नहीं था कि एसिड क्या होता है। इस अटैक के बाद मुझे सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया था और बाद में मुझे घर ले जाया गया। जब मुझे घर लेकर आए तो घर में लगे सभी शीशे और कांच के फ्रेम हटा दिए गए थे। पानी में मुझे परछाई तक नहीं दिखे उसका भी पूरा ध्यान रखा जाता था, ताकि मैं खुद को देख कर डर ना जाऊं। सुसाइड जैसा कोई खौफनाक कदम ना उठा लूं।

पहले मैं बहुत डरपोक थी और जरा सी तेज आवाज में डर जाती थी

पहले मैं बहुत डरपोक थी और जरा सी तेज आवाज में डर जाती थी

बकौल लक्ष्मी, मेरे लिए जिंदगी में पहली बार ऐसा था, मैंने ऐसा हादसा नहीं देखा। फिर भी इस हादसे ने मुझे अलग ही हिम्मत दी। पहले मैं बहुत डरपोक थी और जरा सी तेज आवाज में डर जाती थी। हादसे के बाद दोस्त-रिश्तेदार सब छोड़ कर चले गए, लेकिन मैंने खुद लड़ने की ठानी और तय किया कि जिंदगी में कुछ करना है तो खुद से लड़ना जरूरी है तभी पॉजिटिविटी आएगी।

मैंने भी यही किया जिन शीशों को मुझसे दूर रखा जाता था, उन्हीं के सामने खड़ी हुई और अपनी लड़ाई खुद लड़ने का निश्चय किया। यह भी सोचा कि यदि सुसाइड करू लूंगी तो अपने पीछे कई सवाल छोड़ जाऊंगी। लोग यही कहेंगे की मैं ही गलत थी और इसका सीधा असर मेरे माता-पिता पर पड़ेगा।

इसके बाद अपने पिता से बात की तो उन्होंने मुझे गले लगाया और बोले दुनिया में कोई काम असंभव नहीं है। एक दिन ऐसा आएगा कि तुम्हें इसी चेहरे से प्यार हो जाएगा। मैं दुनिया के लिए मरने चली थी, लेकिन खुद को समझाया जब मैंने तो कोई अपराध ही नहीं किया, मेरे साथ तो अपराध हुआ है। इसी सोच के साथ अपना चेहरा लेकर सभी के सामने आई और आज कह सकती हूं दुनिया में मुझे सबसे ज्यादा प्यार अपने चेहरे से है।

लक्ष्मी पर बन रही फिल्म 'छपाक'

लक्ष्मी पर बन रही फिल्म 'छपाक'

लक्ष्मी अग्रवाल ने बताया कि मेरे संघर्ष पर आधारित फिल्म 'छपाक' से सकारात्मक बदलाव आएगा। इसमें दीपिका पादुकोण उनकी भूमिका निभाएंगी। फिल्म छपाक से एक सकारात्मक बदलाव आने वाला है, क्योंकि लोगों को पता चल जाएगा कि जिंदगी में कितनी समस्याएं आती हैं, लेकिन इसके बाद भी जब लक्ष्मी कुछ कर सकती है तो मैं क्यों नहीं?

स्टॉप सेल एसिड कैंपेन

स्टॉप सेल एसिड कैंपेन

एसिड अटैक के बाद लक्ष्मी अग्रवाल ने स्टॉप सेल एसिड कैंपेन की शुरुआत की, जिसके बाद न्यायालय के आदेशों के बाद राज्य सरकारों की ओर से एसिड बिक्री को विनियमित करने के आदेश जारी किए। लक्ष्मी ने बताया कि इस कैंपेन के दौरान मैंने लोगों से एक मिनट का वीडियो भी बनाने की अपील की और हैशटैग स्टॉप एसिड के साथ लोगों को जोड़ा। गौरतलब है कि लक्ष्मी अग्रवाल काे यूनिसेफ से अंतरराष्ट्रीय महिला सशक्तिकरण का अवार्ड भी मिल चुका है। 2014 में मिशेल ओबामा की ओर से उन्हें अंतरराष्ट्रीय महिला सम्मान से नवाजा गया।

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English summary
Acid Attack Survivor Laxmi Agarwal Life Story tell in sirohi Rajasthan
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