भारतीय चुनाव आयोग ने मांगी और ताकत, केंद्र सरकार ने देने से किया मना
कानून मंत्रालय ने भारतीय चुनाव आयोग की उस मांग को खारिज कर दिया है जिसमें चुनाव आयोग ने विशेष अधिकार मांगे थे।
नई दिल्ली। कानून मंत्रालय ने भारतीय चुनाव आयोग की उस मांग को खारिज कर दिया है जिसमें चुनाव आयोग ने विशेष अधिकार मांगे थे।
चुनाव आयोग ने क्या की थी मांग
चुनाव आयोग ने मांग की थी कि उसे अधिकार मिलना चाहिए कि जब उसे पता चले कि कहीं पर नोट देकर वोट दिलवाएं गए हैं तो उस चुनाव को वो रद्द कर सके।
चुनाव आयोग ने दो माह पहले 26 सितंबर को चुनाव आयोग को पत्र लिखकर सरकार से मांग करते हुए कहा था कि उसे ऐसे अधिकार मिलने चाहिए। पर कानून मंत्रालय ने उसकी इस मांग को खारिज कर दिया। आपको बताते चलें कि 8 नवंबर, 2016 को 500-1000 के पुराने नोट बंद करने की घोषणा के समय चुनावों में कालेधन के प्रयोग की बात में कही थी। उन्होंने कहा था कि किस तरह से कालेधन का प्रयोग कर लोग चुनाव लड़ते हैं।
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कानून बदलने का दिया था प्रस्ताव
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक 6 जून को चुनाव आयोग ने एक केंद्र सरकार को एक पत्र भेजते हुए रिप्रजेंटेशन ऑफ द पीपुल एक्ट 1951 की धारा 58 ए बदलाव करने के लिए कहा था। इस बदलाव के बाद चुनाव आयोग को यह अधिकार मिल जाता कि बूथ कैपचरिंग होने की दशा में चुनाव आयोग उस चुनाव को रद्द कर सकता है। इसके साथ ही चुनाव आयोग ने उस कानून में एक धारा 58 बी को जोड़ने की बात भी कही थी जिसके जुड़ते ही चुनाव आयोग को यह अधिकार मिल जाता कि अगर उसे पता चलता कि वोटर को पैसे देकर राजनीतिक पार्टियों ने अपने पक्ष में वोट दिलवाएं हैं तो आयोग चुनाव रद्द कर सकें।
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अभी चुनाव आयोग को क्या मिले हैं अधिकार
कानून मंत्रालय ने अपनी राय देते हुए कहा कि बूथ कैपचरिंग और मतदाताओं को घूस देने को एक साथ नहीं रखा जा सकता है। कानून मंत्रालय ने कहा कि बूथ कैपचरिंग और घूस देने की तुलना नहीं की जा सकती है। घूस देने के आरोप में हमेशा जांच और सुबूतों की जरूरत होती है। साथ ही यह भी कहा गया कि ऐसे मामलों से पहले भी चुनाव आयोग डील करता रहा है। इससे संबंधित प्रावधान चुनाव आयोग को संविधान के अनुच्छेद 324 में दिए गए हैं।
वहीं चुनाव आयोग संविधान के अनुच्छेद 324 में दी गई शक्तियों से ज्यादा की आवश्यकता महसूस कर रहा है। इसलिए चुनाव आयोग ने एक बार फिर से सरकार को पत्र लिखा है।
चुनाव आयोग ने अंतिम बार अनुच्छेद 324 में दी गई शक्तियों का प्रयोग करते हुए तमिलनाडु में दो विधानसभा सीटों पर चुनाव रद्द कर दिए थे। इन दोनों विधानसभा सीटों पर करोड़ों रुपए की नगदी और शराब बरामद हुई थी।