संसद हमले की बरसी : सीकर के बेटे जेपी यादव की शहादत की कहानी, यूं किया था आतंकियों से मुकाबला
सीकर। आज से ठीक 19 साल पहले यानी 13 दिसम्बर 2001 को भारतीय संसद पर हुए हमले को देश कभी नहीं भूल पाएगा। नापाक मंसूबों को अंजाम देने के लिए आतंकियों ने संसद भवन पर सबसे बड़ा हमला किया था, जिसमें वहां तैनात सुरक्षाकर्मी बहादुरी से लड़े और आतांकियों को मुंहतोड़ जवाब दिया था। उन सुरक्षाकर्मियों में पहली शहादत सीकर के बेटे जगदीश प्रसाद यादव यानी जेपी यादव ने दी।
कौन थे शहीद जेपी यादव ?
बता दें कि शहीद जेपी यादव राजस्थान के सीकर जिले के नीमकाथाना के रहने वाले थे। वे 13 दिसम्बर 2001 को उप-राष्ट्रपति कृष्णकांत की प्रस्थान व्यवस्था में संसद के गेट नम्बर 11 पर तैनात थे। जेपी यादव के दो एक बेटा गौरव व एक बेटी है। वीरांगना का नाम प्रेमीदेवी हैं।
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नीमकाथाना में जेपी पार्क में आयोजन
शहीद जेपी यादव की याद में नीमकाथाना में जेपी पार्क बनाया हुआ है, जिसमें हर साल संसद हमले की बरसी पर आयोजन होता है। रविवार को संसद हमले की 19वीं बरसी ( 19 years of Parliament attack ) व जेपी यादव की पुण्यतिथि के उपलब्ध में जेपी यादव स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की गई। समिति के कृष्ण यादव ने जानकारी देते हुए बताया कि रविवार को सुबह कपिल मंडी स्थित जेपी यादव पार्क में शहीद कि प्रतिमा पर शहर के गणमान्य नागरिक की उपस्थित में पुष्पांजलि अर्पित गई।
ऐसे हुआ भारतीय संसद पर हमला
13 दिसम्बर 2001 को सुबह 10 बजकर 15 मिनट पर दिल्ली स्थित संसद में शीतकालीन सत्र चल रहा था। सब कुछ सामान्य था। सत्र में सांसदों के बीच आरोप प्रत्यारोप का दौर चल रहा था। इस बीच कुछ सांसद संसद भवन से बाहर निकले। ऐसे में संसद परिसर में गाड़ियों के आने-जाने का सिलसिला शुरू हो गया था। इस दौरान संसद भवन परिसर में एक सफेद रंग की लाल बत्ती लगी हुई एंबेसडर कार ने प्रवेश किया। कार पर गृह मंत्रालय का स्टीकर लगा हुआ था जबकि उसमें पांच आतंकी सवार थे।
गेट नंबर 11 के पास रोका आतंकियों की कार को
एक तरफ कार में सवार पांच आतंकी ससंद भवन की ओर बढ़ रहे थे। वहीं, दूसरी ओर तत्कालीन उप-राष्ट्रपति कृष्णकांत संसद भवन से बाहर निकलने वाले थे, इसलिए उनकी गाड़ियों का काफिला गेट नंबर 11 पर खड़ा हो गया था। इतने में 5 आतंकियों से भरी कार गेट नंबर 12 को पार करते हुए उनके काफिले के पास पहुंच गई।
ऐसे शहीद हुए थे सीकर के बेटे जेपी यादव
कृष्णकांत की सुरक्षा में तैनात सुरक्षाकर्मियों ने एंबेसडर कार को रोकने की कोशिश की, तब काफिले में तैनात दिल्ली पुलिस के ASI जीतनराम की आवाज सुनकर सुरक्षाकर्मी जगदीश यादव आतंकियों की गाड़ी की ओर भागे। संसद के सभी दरवाजों को बंद करने के लिए कहा गया और इतने में ही आतंकवादियों ने गोलीबारी शुरू कर दी। इस फायरिंग में जगदीश यादव को गोली लग गई और वो शहीद हो गए थे।
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