राजस्थान की इस जगह पर 28 दिन से फंसे हैं महाराष्ट्र के 18 सौ किसान
सिरोही। लॉकडाउन के चलते देशभर में मजदूरों समेत कई लोगों की कहीं ना कहीं फंसे होने की खबरें अक्सर सामने आ रही हैं। ऐसी ही एक खबर राजस्थान के सिरोही जिले से है। यहां पर महाराष्ट्र के 18 सौ महिला-पुरुष किसान फंसे हुए हैं, जो 28 दिन पहले सिरोही जिले के आबू रोड स्थित ब्रह्माकुमारीज संस्थान में योग शिविर में भाग लेने आए थे। कार्यक्रम कैंसल होने के कारण 23 मार्च को वापस जाने का रिजर्वेशन था। लेकिन लाॅकडाउन होने से ट्रेन निरस्त हो गई। इसके बाद से यहां ठहरे हुए हैं।
खेती की चिंता सता रही
महाराष्ट्र, तेलंगाना तथा आंध्रप्रदेश से करीब पांच हजार लोग आए थे, परन्तु उसमें तीन हजार वापस चले गए और करीब दो हजार लोग फंस गए। किसानों तथा अन्य लोगों के रहने खाने व पीने की पूरी सुविधा तो ब्रह्माकुमारीज संस्थान उपलब्ध करा रहा है। किसानों को सबसे ज्यादा चिंता अपने आजीविका खेती की है। किसानों का कहना है कि वर्ष की पहली खेती पानी के कारण चली गई और दूसरी खेती अब पक चुकी है। यदि समय पर कटाई नहीं हुई तो हम बर्बाद हो जाएंगे। बहुत सारे ऐसे किसान भी हैं, जिन्होंने कर्ज लेकर फंसलें लगाई है। अगर ऐसे में यदि किसानों को जल्दी नहीं भेजा गया तो उन्हें बर्बाद होने से कोई रोक नहीं सकता।
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विशेष ट्रेन चलवाने की मांग
ब्रह्माकुमारीज संस्थान ने गृहमंत्री अमित शाह, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे तथा आंध्रप्रदेश व तेलंगाना के मुख्यमंत्रियों को भी पत्र लिखकर उन्हें अपने घर बुलाने के लिए पत्र लिखा है। साथ ही रेलवे मंत्रालय को एक पत्र लिखकर एक विशेष ट्रेन देने का भी आग्रह किया है ताकि उन्हें शिघ्रता पूर्वक भेजा जा सकें।
सिरोही में एक भी कोरोना पॉजिटिव नहीं
सुकुन की बात यह है कि सिरोही जिले में अभी तक एक भी कोरोना का मरीज नहीं मिला है। ग्रीन जोन में हैं और जो लोग ब्रह्माकुमारीज संस्थान में रुके हैं। उनकी नियमित स्वास्थ्य चेकअप, भोजन, राजयोग आदि कराया जाता जाता है। साथ ही महाराष्ट्र में कई ऐसे जिले हैं, जिसे ग्रीन जोन घोषित किया गया है। यदि प्रशासन से सहयोग मिलेगा तो इन 18 सौ लोगों की जिन्दगी बच जाएगी। अधिकतर काश्तकारों के जीविका का साधन केवल कृषि ही है। यही कारण है कि वे दिन-रात इसी उलझन में जी रहे है।
जीएम ने मंगवाई किसानों की सूची
ब्रह्माकुमारिज के मीडिया प्रभारी बीके कोमल ने बताया कि संस्थान इन किसानों के खाने पीने से लेकर हर चीज का ध्यान रख रही है। साथ राजयोग और ध्यान भी करा रही है लेकिन लोगों की चिंता अपने फसलों के बर्बाद होने को लेकर हैं। संस्थान की पहल पर रेलवे के जीएम ने सभी किसानों की पूरी सूचि भी मंगाई है। लेकिन अभी तक कोई सकारात्मक उत्तर नहीं मिला है।