राजस्थान बॉर्डर लांघकर पाकिस्तान में घुसना चाहता थे 13 विदेशी नागरिक, बाड़मेर में यूं पकड़े गए
बाड़मेर।
थाईलैंड
से
विश्व
शांति
के
मकसद
से
दुनिया
का
भ्रमण
कर
रहे
बौद्ध
भिक्षुओं
के
13
सदस्य
दल
को
उस
समय
बाड़मेर
प्रशासन
ने
रोक
दिया,
जब
ये
बाड़मेर
में
सीमा
लांघकर
पाक
में
घुसने
के
लिए
मुनाबाव
बॉर्डर
की
तरफ
आगे
बढ़
रहे
थे।
वजह
यह
थी
कि
भिक्षुओं
के
जत्थे
को
वाघा
बॉर्डर
से
पाक
जाना
था,
लेकिन
गलती
से
यह
जत्था
बाड़मेर
पहुंच
गया।
मुनाबाव
बॉर्डर
से
गृह
मंत्रालय
ने
पाक
भेजने
से
इनकार
कर
दिया।
जत्थे
के
सदस्यों
को
रोककर
जांच
के
बाद
अब
पंजाब
के
वाघा
बॉर्डर
से
पाक
के
लिए
रवाना
करेंगे।
राजमार्ग 68 से विदेशी नागरिकों के प्रवेश पर पाबंदी
बता दें कि राजस्थान के बाड़मेर में राजमार्ग 68 से पश्चिम की तरफ विदेशी नागरिकों के प्रवेश पर पाबंदी है। इसे प्रतिबंधित इलाका घोषित कर रखा है। अगर कोई बिना अनुमति इस इलाके में घुस जाता है तो उसे सुरक्षा एजेंसियों की पूछताछ के बाद जाने दिया जाता है। राजमार्ग 68 को पार कर भारत-पाक बॉर्डर की तरफ जाने के लिए विशेष अनुमति जरूरी है। बाड़मेर जिला कलेक्टर की बिना अनुमति कोई भी विदेशी और अन्य जिलों व राज्यों का व्यक्ति बॉर्डर क्षेत्र में विचरण नहीं कर सकता है। ऐसे में भिक्षुओं का दल जैसे ही बाड़मेर से रवाना होकर बॉर्डर की तरफ बढ़ा तो सोमवार उन्हें प्रशासन ने रोक दिया। सुरक्षा एजेंसियां भी अलर्ट हो गई। जांच में जब अनुमति को चाही गई तो भिक्षुओं के पास मुनाबाव बॉर्डर को पार करने के लिए कोई विशेष अनुमति नहीं थी। ऐसे में सुरक्षा एजेंसियों ने उन्हें रोक पूछताछ शुरू की। बाड़मेर जिला प्रशासन से एसडीएम नीरज मिश्र, डीएसपी विजयसिंह चारण सहित कई अधिकारी भिक्षुओं को रोकने के लिए पहुंचे।
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बौद्ध भिक्षु मुनाबाव के लिए पैदल रवाना
बता दें कि सोमवार सुबह सात बौद्ध भिक्षु मुनाबाव के लिए पैदल रवाना हो गए। गडरारोड की बजाय जसाई की तरफ चले गए, जहां सेना ने उनसे पूछताछ की। इसके बाद पुलिस उन्हें वापस बाड़मेर लेकर आई। पूछताछ में उनके पास भारत में आने का वैध वीजा एवं पासपोर्ट मिले हैं। भारत-पाक के बीच चलने वाली थार एक्सप्रेस बंद है, ऐसे में इन्हें वाघा अटारी के मार्ग भेजने के निर्देश के साथ ही जोधपुर के लिए रवाना कर दिया गया।
अनुमति नहीं होने से रोका
थानाधिकारी दीपसिंह ने बताया कि तेरह बौद्ध भिक्षु, थाईलैंड से फ्रांस की शांति यात्रा पर थे, जिन्हें सोमवार को बाड़मेर जिले में रोक दिया गया। उनके पास बाड़मेर में प्रतिबंधित सीमावर्ती क्षेत्रों में प्रवेश करने की वैध अनुमति नहीं थी। उन्होंने कहा कि भिक्षुओं के पास भारत और पाकिस्तान में प्रवेश करने के लिए वीजा था, लेकिन उन दस्तावेजों में उनके अन्य यात्रा कार्यक्रम का उल्लेख नहीं किया गया है।
हमें जानकारी नहीं थी
बौद्ध भिक्षु जत्थे के फ्रा सुथम नैटेटोंग ने बताया कि हमें भारत-पाक के मुनाबाव बॉर्डर गेट नहीं खुलने को लेकर जानकारी नहीं थी। हम विश्व की पैदल यात्रा कर दुनिया को शांति, खुशी और प्रेम का संदेश देना चाहते हैं। अब तक थाईलैंड से भारत पहुंचने के लिए लगभग 4000 किमी पैदल सफर तय किया है। अब वाघा बॉर्डर के रास्ते पाक जाएंगे।
अनुमति मिलने पर वाघा बॉर्डर से पाक में घुसेंगे
विश्व शांति को लेकर चल रहा बौद्ध भिक्षुओं का दल बाड़मेर पहुंचा तो उस समय विवाद हो गया, जब बिना अनुमति ही बॉर्डर की तरफ निकल पड़े। मुनाबाव के रास्ते भारत-पाक का संपर्क नहीं है। अब तक केवल दो बार ही मुनाबाव बॉर्डर के गेट को विशेष परिस्थितियों में ही खोला गया है। एयर स्ट्राइक के बाद पिछले कई महीनों से भारत-पाक के बीच चलने वाली थार एक्सप्रेस भी बंद है। ऐसे में अब भिक्षुओं को मंगलवार सुबह जोधपुर से अमृतसर के लिए रवाना किया जाएगा। गृह मंत्रालय की अनुमति के बाद 21-22 फरवरी को पंजाब के वाघा बॉर्डर से भिक्षुओं की पाक में एंट्री हो सकती है।
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