हर मौसम में जहरीली है रायपुर की हवा
रायपुर। जिस वक्त मैं रायपुर के एयरपोर्ट पर उतरा उस वक्त पारा 40 डिग्री से ऊपर था। एयरपोर्ट से शहर की ओर निकल पड़ा। पूरे रास्ते चमचमाती सड़कें और हरे भरे पेड़ नज़र आये। एयरपोर्ट दीन दयाल उपाध्याय नगर तक का रास्ता तय करने में रोहिणीपुरम और एम्स जैसे कई इलाके पड़े, जहां चमचमाती सड़कें दिखीं। सड़क के किनारे कूड़े के ढेर तक नहीं मिले। ऊपर से साफ दिखाई देने वाले रायपुर में प्रदूषण का स्तर चौंकाने वाला था। शहर के कई इलाकों का पीएम2.5 स्तर सुरक्षित मानक से कहीं ऊपर। सुरक्षित मानक से ऊपर यानी जहरीली हवा। अगर आप ये कहें कि बारिश में यहां का प्रदूषण धुल जाता है, हवा शुद्ध हो जाती है, तो भी आप गलत हैं। असल में यहां की हवा हर मौसम में जहरीली है।
जी हां, रायपुर शहर के बीच में चल रही फैक्ट्रियों के धुएं और एक के बाद एक बन रहीं ऊंची-ऊंची इमारतों से निकलने वाली धूल ने पूरे रायपुर को अपनी जद में ले रखा है। यहां के लोग सांस लेते हैं, तो उसमें कार्बन की मात्रा बेहद अधिक होती है। एयर पॉल्यूशन यानी हवा में प्रदूषण का स्तर PM2.5 से मापा जाता है। पीएम यानी पर्टिकुलेट मैटर यानी वो कण जिनका आकार 2.5 माइक्रोन या उससे कम होता है। 2.5 माक्रोन के साइज़ का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं, कि जब-जब तक मैं यह वाक्य पूरा करूंगा, तब-तक इस वाक्य पर ही एक करोड़ से अधिक पर्टिकुलेट मैटर जम जायेंगे।
हर मौसम हवा में जहर
राज्य स्वास्थ्य संसाधन केंद्र (एसएचआरसी) यहां पर निरंतर प्रदूषण पर नज़र बनाये रखे है। विभाग के द्वारा दिसंबर 2018 और जनवरी 2019 के बीच किये गये अध्ययन में गंभीर परिणाम सामने आये। रायपुर के पांच इलाकों- कालीबाड़ी, अमलीडीह, उरला, बीरगांव और टाटीबंध से हवा के सैम्पल लिये गये। ये सैम्पल इन इलाकों में बने मकानों की खुली बालकनी, कार्यालय व अस्पताल की छत से लिये गये। 24 घंटों के अलग-अलग समयों पर सैम्पल एकत्र किये गये और हवा में पीएम2.5 और हेवी मेटल यानी भारी धातुओं की टेस्टिंग के लिये चेस्टर लैबनेट ओरेगोन, यूएसए भेजे गये।
इन पांचों जगहों की हवा में पीएम2.5 का स्तर 211.7 ug/m3 से 411.7 ug/m3 पाया गया। ug/m3 यानी माक्रोग्राम प्रति मीटर क्यूब। इन पांचों जगहों पर पीएम2.5 का स्तर पर्यावरण, वन एवं मौसम परिवर्तन मंत्रालय के द्वारा दिये गये मानकों से तीन से छह गुना अधिक थे।
गंभीर स्तर पर प्रदूषण
नमूनों की रिपोर्ट देखते ही अमेरिका के शोधकर्ताओं ने कहा कि हो न हो जिन जगहों से ये सैम्पल एकत्र किये गये हैं, वहां स्पंज आयरन की फैक्ट्री है। जी हां रायपुर शहर की सीमा में एक हज़ार से अधिक फैक्ट्रियां हैं, जो हर रोज़ भारी मात्रा में हवा में प्रदूषण छोड़ती हैं। इनमें इस्पात, ट्रांसफॉर्मर रिपेयरिंग, ट्यूब फासनर, राइस मिल, केमिकल फैक्ट्रियां आदि शामिल हैं। अगर गर्मियों के मौसम में पीएम2.5 का स्तर 80 से 150 माइक्रोग्राम प्रति मीटर क्यूब के बीच रहता है। इस साल गर्मियों में रायपुर के लिये सबसे प्रदूषित दिन 7 मई का रहा, जिस दिन उरला क्षेत्र में पीएम2.5 की वैल्यू 112 दर्ज हुई। जबकि अन्य दिनों में 70 से 80 के बीच में दर्ज हुई।
बारिश में भी हालात बुरे
मॉनसून में आलम यह है कि जिस दिन बारिश होती है, उस दिन रायपुर में पीएम2.5 के अधिकतम मान 80 के आस-पास रहता है। हालांकि शहर के बीच के इलाकों में प्रदूषण से कुछ राहत रहती है। रायपुर का सबसे प्रदूषित इलाके उरला, सिलतरा, सोनडोंगरी, बेंदरी, घड़ी चौक आदि इलाके हैं। दिन-रात यहां पर इमारतों व घरों की छतों पर कार्बन जम जाता है, बारिश होने पर वही कारबन काले पानी के रूप में नालियों में बहता है। इस तस्वीर में आप देख सकते हैं कि रायपुर में 25 जून को प्रदूषण का स्तर सबसे अधिक शाम छह बजे के आस-पास रहा। इस वक्त पीएम 2.5 का स्तर बढ़ कर 469 पहुंच गया था। जोकि बेहद संवेदनशील माना जाता है।
किस वक्त सबसे अधिक प्रदूषण
रायपुर में बीरगांव के निवासी सुकाल स्वरूप बताते हैं कि यहां से सटा हुआ इलाका उरला है, जहां पर तमाम फैक्ट्रियां हैं। रात भर फैक्ट्रियों में काम चलता है, जिसकी वजह से सुबह उठते ही उन्हें हर रोज धुआं ही धुआं दिखाई देता है। यहां पर हर घर की छत पर कालिख देख सकते हैं। स्वरूप बताते हैं कि वायु प्रदूषण की वजह से यहां के लोगों में सांस की बीमारी आम है। वहीं फैक्ट्रियों की वजह से यहां के आस-पास के गांव में फसलें बर्बाद हो गई हैं। और तो और आस-पास के तालाबों में अगर आप नहा लिये तो त्वचा में खुजली होने लगेगी। बचपन से ही उरला में रह रहे स्वरूप बताते हैं कि एक समय था जब उरला और उसके आस-पास के इलाकों में हरियाली थी, अब तो कालिख के सिवा कुछ नहीं दिखता।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
वनइंडिया ने एसएचआरसी के निदेशक डॉक्टर प्रबीर चैटर्जी से इस संबंध में बात की तो उन्होंने बताया कि रायपुर देखने में कितना ही साफ क्यों न लगे, लेकिन यहां की हवा में जहर भरा हुआ है। डॉक्टर चैटर्जी ने कहा कि शहर के प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण यहां शहरी इलाकों में बनी स्पंज आयरन की फैक्ट्रियां हैं। इससे यहां के लोगों के स्वास्थ्य पर निकटतम भविष्य में गंभीर परिणाम दिखाई दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि हाल ही में राज्य सरकार को एक रिपोर्ट सौंपी गई है, जिसमें रायपुर व अन्य जिलों के प्रदूषण व उनके दूरगामी परिणामों के बारे में बताया गया है। उम्मीद है सरकार इस पर ठोस कदम उठायेगी।