पंजाब: लांबी विधानसभा से कौन-कौन दिग्ग्ज चेहरे मैदान में, कैसा रहा है यहां का चुनावी इतिहास ?
चंडीगढ़, 27 जनवरी 2022: पंजाब विधानसभा चुनाव में शिरोमणि अकाली दल के संरक्षक प्रकाश सिंह बादल चुनावी मोड में सक्रिय हो गए हैं। इसी के साथ प्रकाश सिंह बादल अपने गढ़ लांबी विधानसभा से चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं। प्रकाश सिंह बादल के लांबी सीट से चुनाव लड़ने की खबर के बाद से ही यह विधानसभा हलका हॉट सीट में शामिल हो चुका है। लांबी हलके में कुल मतदाताओं की 1 लाख 63 हज़ार 790 है। इसमें 85 हज़ार 503 पुरुष मतदाताओं की तादाद । जबकि महिला मतदाताओं की तादाद 78 हज़ार 286 है और एक थर्ड जेंडर है। आपको बता दें कि प्रकाश सिंह बादल 1997 से लेकर आज तक इस विधानसभा सीट से पांच बार विधायक चुने जा चुके हैं। प्रकाश सिंह बादल ने पहली बार 20 साल की उम्र में 1947 में सरपंच का चुनाव लड़ा था। सरपंच का चुनाव जीतने के बाद प्रकाश सिंह बादल ने सियासी सफर की शुरुआत की थी।

कांग्रेस की टिकट पर पहली बार बने थे विधायक
प्रकाश सिंह बादल 1957 में पहली बार कांग्रेस की टिकट पर चुनाव जीत कर विधानसभा पहुंचे थे। 1969 में दोबारा जनता ने उन्हें अपना विधायक चुना, इस तरह से वह सियासी सीढियां चढ़ते चले गए। 1970 में वह पहली बार मंत्री के पद से नवाज़े गए उसके बाद उन्होंने सियासी बुलंदिया छूनीं शुरू कर दी। प्रकाश सिंह बादल साल 1970-71 में पहली बार पंजाब के मुख्यमंत्री बनाए गए। ग़ौरतलब है कि पंजाब के सियासी इतिहास में पांच बार सीएम बनने वाले इकलौते नेता प्रकाश सिंह बादल हैं। 1977 में केंद्र में मोरारजी देसाई की सरकार में कुछ समय के लिए मंत्री भी रहे हैं। 1972, 1980 और 2002 में वह पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता भी रहे हैं।

10 बार विधायक रहे चुके हैं सीनियर बादल
शिरोमणि अकाली दल के संरक्षक प्रकाश सिंह बादल अभी तक 10 बार विधायक चुने जा चुके हैं, उन्होंने ज़्यादातर चुनाव लांबी से ही लड़ा है। इस बार माना जा रहा था कि प्रकाश सिंह बादल चुनाव नहीं लड़ेंगे। वहीं शिरोमणि अकाली दल के कई नेता यह चाहते थे कि प्रकाश सिंह बादल चुनावी रण में उतरें। यही वजह है कि प्रकाश सिंह बादल को लांबी से फिर से चुनावी मैदान में उतर रहे हैं। ग़ौरतलब है कि 8 दिसंबर 2020 को प्रकाश सिंह बादल 94 साल की आयु पूरी कर चुके हैं।पंजाब विधानसभा चुनाव के मद्दनेज़र शिरोमणि अकाली दल की चुनावी रणनीति का एक हिस्सा यह भी था कि प्रकाश सिंह बादल को लांबी विधानसभा से चुनावी रण में उतारा जाए।

प्रकाश सिंह बादल की चुनावी रणनीति
प्रकाश सिंह बादल की चुनावी रणनीति की बात की जाए तो उन्होंने अपने सियासी सफ़र में किसी को भी पार्टी में अपने समानांतर खड़ा होने नहीं दिया। शिरोमणि अकाली दल के लिए सबसे बड़ी चुनौती एसजीपीसी के अध्यक्ष जत्थेदार गुरचरण सिंह टोहड़ा थे इसलिए उन्हें प्रधान के पद से हटवा दिया। इसके अलावा प्रकाश सिंह बादल ने अकाली दल मान, रवि इंद्र सिंह, दिल्ली गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पूर्व प्रधान मंजीत सिंह जीके, सुखदेव सिंह ढींढसा(अकाली दल टकसाली) और अकाली दल डेमोक्रेटिक समेत किसी भी अकाली दल को सियासी पकड़ बनाने नहीं दिया। 2022 विधानसभा चुनाव में शिरोमणि अकाली दल के सामने कई चुनौतियां हैं इसलिए प्रकाश सिंह बादल अपने चुनावी दांव सुखबीर सिंह बादल को सिखा रहे हैं।

प्रकाश सिंह बादल के जीतने के आसार
शिअद-भाजपा इस बार बिना गठबंधन के चुनावी मैदान में हैं और केंद्र की सत्ता में भाजपा है। शिरोमणि अकाली दल की सरकार में हुई बेअदबी और ड्रग के मामले अकाली दल को विरोध का सामना करना पड़ रहा है। लांबी विधानसभा सीट से शिरोमणि अकाली दल की टिकट पर प्रकाश सिंह बादल चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं कांग्रेस की टिकट पर जगपाल सिंह चुनावी रण में उतरे हैं और आम आदमी पार्टी की टिकट गुरमीत खुडि्डयां चुनावी ताल ठोक रहे हैं। सियासी जानकारों की मानें तो प्रकाश सिंह बादल का लांबी गढ़ रहा है और विपक्षी दलों ने उनके सामने कोई दिग्गज चेहरा नहीं उतारा है। इसलिए लांबी विधानसभा सीट से शिरोमणि अकाली दल का क़ब्ज़ा हटाना आसान नहीं होगा। पंजाब के सियासी समीकरण कितने भी बदल जाएं लेकिन प्रकाश सिंह बादल का लांबी विधानसभा होल्ड काफ़ी मजबूत है।
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