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पंजाब: CM चन्नी की दिन पर दिन बढ़ रही चुनौती, इस तरह रणनीति तैयार कर निकाल रहे हल

पंजाब कांग्रेस नवनियुक्त मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी शपथ लेने के पहले दिन से ही पंजाब कांग्रेस की सियासी ज़मीन मज़बूत करने में जुट गए हैं।

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चंडीगढ़, सितंबर 27, 2021। पंजाब कांग्रेस नवनियुक्त मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी शपथ लेने के पहले दिन से ही पंजाब कांग्रेस की सियासी ज़मीन मज़बूत करने में जुट गए हैं। वह 18 सूत्रीय एजेंडे पर काम करने के लिए क़दम भी आगे बढ़ा रहे हैं लेकिन इसके बावजूद पंजाब सरकार की मुश्किलें थमने का नाम नहीं ले रहीं है। कभी अध्यापक संघ तो कभी आंगनबाड़ी यूनियन सरकार के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इन्हीं सब के बीच सीएम चन्नी भी अपनी रणनीति के तहत पंजाब की जनता के दिलों में घर करते नज़र आ रहे हैं।

CM ने सौंपा सरकारी नौकरी का नियुक्ति-पत्र

CM ने सौंपा सरकारी नौकरी का नियुक्ति-पत्र

पंजाब के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा ने बठिंडा के मंडी कलां गांव में खेतिहर मजदूर सुखपाल सिंह के घर का दौरा किया और उनके बड़े भाई नत्था सिंह को सरकारी नौकरी का नियुक्ति-पत्र सौंपा। आपको बता दें कि दिल्ली की टीकरी सीमा पर किसानों के धरने के दौरान सुखपाल सिंह अस्वस्थ हो गए थे और पीजीआईएमईआर चंडीगढ़ में 31 मार्च को उनकी इलाज के दौरान मौत हो गई थी। मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले दो किसानों के परिवारों के साथ एकजुटता व्यक्त करते हुए उनके परिजनों को सरकारी नौकरी का नियुक्ति-पत्र सौंपा। साथ ही कपास में कीट से नुकसान का मुआवजा सीधे खाते में डालने का वादा भी किया। मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त करते हुए नत्था सिंह ने कहा कि पंजाब सरकार द्वारा की गई घोषणा के अनुसार परिवार को पहले ही पांच लाख रुपये की वित्तीय सहायता मिल चुकी है, जिसका उपयोग उनके पुराने मकान की मरम्मत के लिए किया जा रहा है।

केंद्र सरकार पर CM चन्नी ने साधा निशाना

केंद्र सरकार पर CM चन्नी ने साधा निशाना

मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी और उपमुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा ने बठिंडा की रामपुरा तहसील के चौके गांव के गुरमेल सिंह को भी नियुक्ति पत्र सौंपा। गुरमेल के इकलौते बेटे जशनप्रीत सिंह की इस साल जनवरी में टीकरी सीमा पर मौत हो गई थी। चरणजीत सिंह चन्नी ने कहा कि राज्य सरकार संकट की इस घड़ी में परिवारों की मदद के लिए प्रतिबद्ध है। किसानों, खेतिहर मजदूरों ने कठोर कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के दौरान अपने प्राणों की आहुति दी।यह शर्मनाक है कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की किसान विरोधी नीतियों के चलते भारत को खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने वाले प्रदेश के मेहनतकश किसान सड़कों पर हैं।चन्नी ने कहा कि इन कानूनों को राज्य में लागू नहीं किया जाएगा।

सरकार की तरफ़ से मुआवज़ा

सरकार की तरफ़ से मुआवज़ा

नवनियुक्त मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने घोषणा की कि कीट 'पिंक बॉलवर्म' की वजह से नुकसान झेल रहे कपास की खेती करने वाले हर किसान को सरकार की तरफ़ से मुआवज़ा दिया जाएगा। वहीं उन्होंने मंडी कलां, कटार सिंह वाला और नसीबपुरा ज़िला का दौरा करते हुए किसानों से बात की। उनके साथ कृषि विभाग के अधिकारी भी मौजूद रहे। किसानों ने सीएम चन्नी से नकली बीज और कीटनाशक देने की शिकायत की तो वहीं मुख्यमंत्री चन्नी ने कहा कि पहले हम बीमारी पर काबू पाएं फिर इसके लिए जो दोषी होगा उस बारे कार्रवाई की जाएगी।

पंजाब के उद्यमियों में काफ़ी उत्साह

पंजाब के उद्यमियों में काफ़ी उत्साह

सत्ता परिवर्तन को लेकर पंजाब के उद्यमियों में काफी उत्साह है, लंबे अरसे से ये लोग सरकार के ख़िलाफ़ शिकायतें दर्ज करवा रहे थे। लेकिन मुख्यमंत्री व्यस्तता के चलते उनकी शिकायतों पर कभी ध्यान नहीं दिया गया। चन्नी कैबिनेट से उद्यमियों को काफ़ी उम्मीदें है कि उनकी शिकायतों पर सरकार संज्ञान लेगी। आपको बता दें कि मैनिफेस्टो में उद्योगों के लिए पांच रुपये यूनिट बिजली का वादा करने के बावजूद इंडस्ट्री का 8 से 20 प्रति यूनिट तक बिजली के बिल भरने पड़ रहा है। आलम यह है कि अपने ही जीएसटी और वैट रिफंड के लिए अधिकारियों के पास चक्कर काटने पड़ रहे हैं। कोरोना काल में भी जीएसटी अधिकारियों ने पंजाब में डेढ़ लाख से उपर केस स्क्रूटनी में लगा दिए। लेकिन सरकार ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया। सरकार द्वारा बनाए गए इन्वेस्ट पंजाब और सिंगल विंडो पूरी तरह से फ्लाप साबित हुए और पंजाब के उद्योग धीरे-धीरे दूसरे राज्यों की ओर पलायन करते रहे। इन संकटों के साथ साथ पंजाब में किसानों आंदोलन के चलते उद्यमियों को भी काफी नुक्सान झेलना पड़ा और हफ्तों तक पंजाब में रेल यातायात पूर्ण रुप से ठप रहा।

चुनाव से पहले वादे पूरा करे सरकार

चुनाव से पहले वादे पूरा करे सरकार

पंजाब के उद्योगपति पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से इसलिए भी नाराज रहे, क्योंकि उन्होंने कोविड के दौरान दो महीने का बिजली का फिक्सड़ चार्जेज माफ़ करने का एलान तो किया लेकिन बाद में उद्योगों को भरने के लिए मजबूर होना पड़ा। इसी वजह से उद्योगपति न तो पंजाब में कोई एक्सपेंशन के लिए तैयार थे और न ही नए उद्योग पंजाब में आ रहे थे। अब नई सरकार बनने के बाद उद्योगों को कुछ हद तक भ्रष्टाचार से निजात मिलने की संभावना है। क्योंकि भ्रष्टाचार नई सरकार के मुख्य एजेंडे पर है, लेकिन उद्योगों को यह भी चिंता सता रही है कि मुफ्त स्कीमों को बढ़ावा देने के चलते कहीं उद्योगों पर बोझ न डाल दिया जाए। फोपसिया अध्यक्ष बदीश जिंदल ने कहा कि सरकार से अपील करेंगे कि उद्योगों के विकास के लिए मीटिंग कर समस्याएं सुनी जाएं और सीएम द्वार किए गए पांच रुपए प्रति यूनिट बिजली के वादे को आगामी चुनाव से पहले लागू करें। क्योंकि इसी वादे को लेकर उद्योगों को प्रफूलित करने का रोडमैप सरकार ने दिखाया था।

सरकार के ख़िलाफ़ रोष प्रदर्शन

सरकार के ख़िलाफ़ रोष प्रदर्शन

आल पंजाब आंगनबाड़ी मुलाजिम यूनियन नेताओं ने कहा कि वर्कर नर्सरी टीचर का दर्जा लेने के लिए पिछले लंबे समय से संघर्ष करती आ रही हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि पहले सरकार ने आंगनबाड़ी सेंटरों के बच्चे छीन कर सरकारी प्राथमिक स्कूलों में दाखिल कर लिए और हुए समझौते मुताबिक वापस नहीं किए गए और अब नर्सरी टीचर का दर्जा भी छीना जा रहा है। उन्होंने बताया कि जत्थेबंदी की तरफ से दो अक्टूबर को चंडीगढ़ में राज्य स्तरीय रैली की जा रही है। नेताओं ने मांग की है कि आंगनबाड़ी सेंटरों के तीन साल से छह साल तक के बच्चे वापस सेंटरों में भेजे जाएं, वर्करों को नर्सरी टीचर का दर्जा दिया जाए, पंजाब की आंगनवाड़ी वर्कर और हेल्परों को हरियाणा पैटर्न और मानभत्ता दिया जाए, एजेसियों अधीन चल रहे ब्लाकों को वापस विभागों के अधीन लाया जाए, ईंधन के पैसे जो प्रति लाभपात्री 40 पैसे मिलते हैं, वह एक रुपया किया जाए। अगर ऐसा नहीं किया जाता है तो वह लोग उग्र आंदोलन करेंगे।


ये भी पढ़ें: पंजाब: सियासी ज़मीन मज़बूत करने में जुटी SAD, सुखबीर बादल ने तैयार की ये रणनीति

English summary
The challenge of CM Channi is increasing, preparing a strategy like this and finding solutions
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