पढ़ें तीन फुट 11 इंच की रूबी की संघर्ष की कहानी, एडवोकेट बनकर दिया लोगों के तानों का जवाब
Jalandhar News, जालंधर। आज हम आपको एक ऐसी लड़की के बारे में बताने जा रहा है, जिसकी लोगों न केवल हंसी उड़ी। बल्कि उसको तानें भी मारे। लेकिन उस लड़की ने इस हंसी और तानों को अपनी प्रेरणा बनाया और एडवोकेट बनकर लोगों को जवाब दिया। जी हां, हम बात कर रहे है पंजाब के रामामंडी के अरमान नगर की रहने वाली हरविंदर कौर उर्फ रूबी की।
हरविंदर कौर ने खुद को कर लिया था कमरे में बंद
दरअसल, हरविंदर कौर उर्फ रूबी का कद तीन फुट 11 इंच (119.38 सेंटीमीटर) का है। छोटे कद के कारण रूबी को लोगों के ताने सुनने पड़ते थे। हालांकि, एक वक्त ऐसा आया जब लोगों की भीड़ में खुद को अलग महसूस करना, लोगों की हंसी का पात्र बनना पड़ा। तो रूबी ने खुद को कमरे में बंद कर लिया था। रूबी की मानें तो यह एक ऐसी पीड़ा है, जिसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। लेकिन 12वीं की परीक्षाओं के बाद हरविंदर कौर उर्फ रूबी ने छुट्टियों में मोटिवेशनल लेक्चर व वीडियो देखना शुरू किया।
नहीं मानीं हरविंदर कौर ने हार
दैनिक जागरण ऑनलाइन की खबर के मुताबिक, मोटिवेशनल लेक्चर व वीडियो को देखकर रूबी के मन में कि जिदंगी को ऐसे ही बर्बाद नहीं किया जा सकता। इंटरनेट मीडिया से जुड़ीं और कई तरह की वीडियो बनाई। लेकिन, इस दौरान भी मजाक उड़ाने वालों और कमेंट करने वाली की कमी नहीं थी। रूबी भी इस दर्द को अपने भीतर दबाए समाज की परवाह किए बिना अपने लक्ष्य को हासिल करने में जुटी रहीं। अब वे देश की सबसे छोटे कद की एडवोकेट बन गई हैं और ज्यूडिशियल सर्विसेज की तैयारी कर रहीं हैं।
माता-पिता की आंखों में दिखी खास चमक
हरविंदर कहती हैं कि डेढ़ माह पहले एलएलबी की डिग्री हासिल करने के बाद जब एनरोलमेंट सर्टिफिकेट मिला तो माता-पिता की आंखों में खास चमक दिखी। ऐसे लगा, जैसे उन्हें कई सालों के बाद कोई बड़ी खुशी मिली हो। हरविंदर को 23 नवंबर को बार काउंसिल आफ पंजाब एंड हरियाणा से लाइंसेंस व एनरोलमेंट सर्टिफिकेट मिला था। वह अब क्रिमिनल केस हैंडल करना चाहती हैं। वह अभी डीबीए के वाइस प्रेसिडेंट जगपाल सिंह धुपर के पास प्रेक्टिस कर रही हैं।
पिता ट्रैफिक पुलिस में और मां हैं गृहिणी
बता दें कि हरविंदर के पिता शमशेर सिंह फिल्लौर ट्रैफिक पुलिस में एएसआई है और मां सुखजीत कौर गृहिणी हैं। हरविंदर की 12वीं तक की स्कूलिंग पुलिस डीएवी स्कूल जालंधर कैंट से हुई। बचपन में उनकी ख्वाहिश एयर होस्टेस बनने की थी, लेकिन चौथी कक्षा में आकर उनका कद बढऩा बंद हो गया। माता-पिता ने हरसंभव इलाज करवाया। पता चला कि हार्मोंस की कमी के कारण उनकी हड्डियों का विकास रुक गया है। हार कर यही सोचा कि 12वीं तक पढ़ाई करके घर बैठ जाएंगी।
अपनी प्रेरणा आप खुद हो: हरविंदर
हरविंदर कहती हैं कि खुद से प्यार करें, लाइफ में दो ही रास्ते आते हैं। एक यह कि आप अपने डर के आगे हार जाओ और दूसरा यह की अपने डर के साथ लड़ कर आगे बढ़ो। जो आपकी शारीरिक कमियों को देखते हैं, उन्हें अपने काम व हौसले से जवाब दो। आप अपनी प्रेरणा खुद हो।