शहीद जयमल सिंह को अंतिम विदाई, 5 साल का बेटा बोला- 'पापा मेरा एडमिशन करवाने के लिए आने वाले थे ना...'
Punjab news, मोगा। पुलवामा में आतंकवादियों के फिदायीन हमले का शिकार बनी सीआरपीएफ की बस को चला रहे शहीद जयमल सिंह का पार्थिव शरीर को पंजाब के मोगा जिले के कस्बा कोट ईसे खां में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कर दिया गया। उनकी अंतिम विदाई में बड़ी तादाद में लोग शामिल हुए। गांव के श्मशान घाट पर उनके पांच वर्षीय बेटे ने अपने पिता को अंतिम बार सैल्यूट कर मुखाग्नि दी। इस अवसर पर केन्द्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल सहित तमाम नेता यहां मौजूद रहे।
पार्थिव शरीर को देखकर पत्नी बेहोश
इससे पहले शहीद का पार्थिव शरीर यहां पहुंचा तो लोगों में गम व गुस्से का महौल देखा गया। शहीद जयमल सिंह की पत्नी सुखजीत कौर पति के पार्थिव शरीर को देखकर बेहोश होकर गिर गईं। इससे पहले शोक संवेदना प्रकट करने पूर्व शिक्षा मंत्री जत्थेदार तोता सिंह, नगर कौंसिल अध्यक्ष अश्विनी कुमार यहां पहुंचे। वहीं, जयमल सिंह के बड़े भाई नसीब सिंह मलेशिया में थे। खबर मिलने के बाद नसीब मलेशिया से मोगा पहुंचे हैं। शहीद के पिता ने कहा कि उनके बेटे की कुर्बानी बेकार नहीं जायेगी। उन्हें अपने बेटे पर गर्व है। पाकिस्तान को इसका मुंहतोड़ जवाब दिया जाना चाहिये।
हदासे वाले दिन पति से सुबह हुई बात
सुखजीत कौर को जब पति के शहीद होने की खबर मिली तो वह जालंधर में थीं। इन दिनों सुखजीत कौर जालंधर में सीआरपीएफ कैंप में रह रही हैं। जयमल सिंह ने अपनी पत्नी सुखजीत कौर से गुरुवार सुबह आठ बजे अंतिम बार फोन पर बात की थी। जयमल ने बताया था कि वह बटालियन के साथ जम्मू से कश्मीर के लिए जा रहे हैं।
बेटे से किया वादा, लौटकर स्कूल में कराएंगे एडमिशन
सीआरपीएफ के शहीद जयमल सिंह अभी कुछ दिन पहले ही छुट्टी से लौटे थे। उन्होंने अपने इकलौते पांच साल के बेटे से वादा किया था कि वह फिर जल्दी ही छुट्टी पर आएंगे और उसका एडमिशन विवेकानंद स्कूल पंचकूला में करवाएंगे। लेकिन, एक मनहूस खबर ने परिवार के सपनों को तार-तार कर दिया। जयमल की शादी 17 साल पहले सुखजीत कौर से हुई थी। घर में बच्चे की किलकारियां शादी के 12 साल बाद गूंजी। वह बेटे को अच्छे स्कूल में एडमिशन दिलाना चाहता था। यही कारण था कि उसने परिवार को जालंधर में रखा हुआ था। अब वह बेटे को अच्छी शिक्षा दिलाने के लिए पंचकूला शिफ्ट होने की तैयारी में थे। जयमल बटालियन में एमटी इंचार्ज था। अधिकांश समय दफ्तर में ही रहते थे।