दरिया चीरकर जिंदगियां बचाने को तत्पर रहते हैं ये 'जलवीर', लोग कह रहे- सरकार इन्हें दो नौकरी
अमृतसर। इन दिनों देश में 'अग्निवीर' की चर्चा है। 'अग्निवीर' केंद्र सरकार की 'अग्निपथ योजना' के तहत रक्षाबलों में भर्ती होंगे। वैसे ऐसे वीरों के इतर, समाज में ऐसे अनेक रक्षक रहे हैं, जो बिना किसी नौकरी या धनराशि के हमेशा दूसरों के लिए जीते हैं। आज यहां हम आपको पंजाब में ब्यास दरिया इलाके के ऐसे ही रक्षकों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्हें लोग 'जलवीर' कहते हैं। जलवीर इसलिए क्योंकि, इन्होंने पानी में या पानी के आस-पास ही जिंदगी गुजारी है, डूबतों को बचाया है। मर चुके लोगों को निकाला है।

पांच वीर, जो हमेशा दरिया से जूझते हैं
ब्यास के दरिया इलाके में जब इन 5 लोगों को यह पता चलता है कि कोई कहीं डूब रहा है या कोई आत्महत्या कर रहा है, या कहीं से कोई लाश बह आई है तो ये जलवीर फौरन पहुंच जाते हैं। एक तरह ये जीवन की आशा का दूसरा नाम हैं, जिनका किसी से न कोई रिश्ता न नाता, फिर भी जीने की चाह छाेड़ चुके सैकड़ों लोगों को बचा चुके हैं। उक्त गोताखोरों में से बाबा अंबी और दाताराम ने बताया कि, उन्हें लगभग 30 बरस हो गए हैं, तब से कोई 150 जिंदगियां बचा चुके हैं। उन लोगों 50 तो ऐसे लोग थे, जो किसी न किसी हादसे के कारण दरिया की चपेट में आने से डूबने लगे थे।

'सरकार इन्हें भी कोई नौकरी दे दें'
इन जलवीरों की तारीफ करते हुए ब्यास के सरपंच सुरिंदरपाल सिंह ने कहा कि, गांव वाले लोग चाहते हैं कि इन पांचों को सरकार पक्की नौकरी दे दे तो इनकी देखा-देखी अन्य युवा भी प्रोत्साहित होंगे। उन्होंने कहा कि, डीसी अमृतसर को निर्देश देकर गोताखोरों की मदद के लिए कह सकती है। पंचायती फंड से भी गोताखोरों की मदद की जा सकती है।
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जिंदगियां बचाना ही कर्तव्य
ये जलवीर लोगों की मदद करना ही अपनी नैतिक जिम्मेदारी समझते हैं और जिंदगियां बचाने के साथ ही डूब चुके प्राणियों के शव भी बाहर निकाल लाते हैं। वे खुद किसी से कुछ नहीं मांगते, हालांकि कई बार नेकदिल लोग खुश होकर कुछ आर्थिक मदद दे जाते हैं, जिसे ये पांचों बराबर हिस्सों में बांट लेते हैं।