इस बार पंजाब में किसकी बनेगी सरकार, किसकी होगी जीत किसकी होगी हार ?
सभी नेताओं को भाजपा में शामिल करने के बाद गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा की विधानसभा चुनाव से पहले हवा किस ओर बह रही है ये इन नेताओं के पार्टी में शामिल होने से साफ़ ज़ाहिर हो रहा है।
चंडीगढ़, अगस्त 2, 2021। चुनाव के दिन जैसे-जैसे क़रीब आने लगते हैं वैसे-वैसे राजनीतिक गलियारों में भी हल चल तेज़ होने लगती है। जैसा की हम सभी लोग जानते हैं 2022 में पंजाब में चुनाव होने वाले हैं । राजनीतिक पार्टियों ने भी चुनाव लड़ने के लिए कमर कसना शुरू कर दिया है। इसी बीच पंजाब की राजनीति में भी एक नया ट्विस्ट आया है। कई साल से भारतीय जनता पार्टी के साथ मिल कर चुनाव लड़ने वाली पार्टी शिरोमणी अकाली दल (शिअद) ने इस बार भारतीय जनता पार्टी का दामन छोड़ बहुजन समाजवादी पार्टी (बसपा) के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है।
विधानसभा की 117 सीटों पर शिरोमणी अकाली दल (शिअद) और बहुजन समाजवादी पार्टी (बसपा) एक साथ चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है। अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने बताया कि बहुजन समाजवादी पार्टी (बीएसपी) 20 सीटों पर और शिरोमणि अकाली दल (शिअद) बाकी 97 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। ग़ौरतलब है कि किसान आंदोलन की वजह से शिरोमणी अकाली दल ने भारतीय जनता पार्टी से किनारा कर लिया था । अब बहुजन समाजवादी पार्टी के ज़रिए शिरोमणी अकाली दल सत्ता पर क़ाबिज होना चाहता है।
अगर गठबंधन की बात की जाए तो गठबंधन सिर्फ़ राजनीतिक गठबंधन की ओर इशारा नहीं करता है, इसका मतलब समाजिक गठबंधन भी होता है क्योंकि अकसर गठबंधन अलग-अलग समुदाय के वोट बैंक को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए ही किया जाता है। अब अगर बहुजन समाजवादी पार्टी (बीएसपी) और शिरोमणि अकाली दल (शिअद) की बात करें तो शिरोमणि अकाली दल जाट और सिख के वोट की राजनीति करता है। वहीं बहुजन समाजवादी पार्टी में दलितों और रविदास के मानने वाले वोटर्स का बोलबाला रहता है। पंजाब में दलितों का अनुपात सबसे ज़्यादा 32 फिसद है, जिसमें जाटव समाज का एक अहम हिस्सा है। इसलिए कहीं न कहीं चुनाव प्रचार के दौरान इस गठबंधन को सिख पंथ और अम्बेडकरवादी वोट बैंक के तौर पर देखा जाएगा।
पंजाब: CM के घर के बाहर प्रदर्शन करने वाले 200 लोगों के खिलाफ FIR, 23 AAP नेताओं का भी नाम शामिल
वहीं अब अन्य राजनीतिक पार्टियों की बात की जाए तो कांग्रेस भी अन्तर्कलह से जूझती नज़र आ रही है। कांग्रेस का पलड़ा मार्च महीने तक तो पंजाब में लगभग भारी नजर आ रहा था, लेकिन 2015 में श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी से जुड़े कोटकपूरा गोलीकांड में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के एक फैसले ने सब बदल दिया। कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार द्वारा गठित एसआइटी की जांच रिपोर्ट पर हाई कोर्ट की तल्ख टिप्पणियों ने न सिर्फ अकाली दल में जान फूंक दी, बल्कि कांग्रेस में बगावत का ऐसा बीज बोया कि नवजोत सिंह सिद्धू से लेकर प्रताप सिंह बाजवा और दर्जनों विधायकों से लेकर सात कैबिनेट मंत्री कैप्टन से सीधे टकराव की स्थिति में आ गए। कांग्रेस पार्टी को अगर 2024 में आम चुनाव जीतना है, तो उसके लिए 2022 में पंजाब में एक बार फिर से चुनाव जीत कर भविष्य संवारने का मुद्दा अहम है।
वहीं अगर आम आदमी पार्टी की बात की जाए तो उसके लिए सबसे बड़ी चुनौती है एक ऐसे चेहरे की खोज करना जिसके दम पर आम आदमी पार्टी पंजाब में अपना परचम लहरा सके। अब तक तो आम आदमी पार्टी के पास ऐसा कोई चेहरा नज़र नहीं आ रहा है जिसकी बुनियाद पर अरविंद केजरीवाल चुनावी बिगुल फूंके। धर्म या जातीगत समीकरणों पर नहीं सोचते हुए बिजली, पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे बुनियादी मुद्दों पर दांव खेल कर आम आदमी पार्टी ने 2017 में देख ही लिया था, अगर इस बार कुछ अलग रणनीति के साथ आम आदमी पार्टी चुनावी मैदान में नहीं उतरती है तो लगता है पिछली बार की तरह इस बार भी आम आदमी पार्टी को पंजाब के रण से खाली हाथ ही लौटना पड़ेगा।
इन्हीं सरगर्मियों के बीच पंजाब भारतीय जनता पार्टी अपनी टीम को मज़बूत करने के लिए कमर कस रही है। वहीं भाजपा ने शिरोमणी अकाली दल (शिअद) का साथ छोड़ चुके पांच नेता और टीवी होस्ट चेतन मोहन जोशी को अपने साथ ले लिया है। पंजाब में अगले साल होने जा रहे विधानसभा चुनाव में मुक़ाबला बहुकोणीय होने के आसार हैं। केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत सहित कई बीजेपी नेताओं की मौजूदगी में अकाली दल महिला विंग की पूर्व सदस्य अमनजोत कौर रामूवालिया, गुरप्रीत सिंह शाहपुर, चांद सिंह छाटला, बलजिंदर सिंह दाकोहा, दलित नेता प्रीतम सिंह और पूर्व टीवी एंकर चेतन मोहन जोशी ने भारतीय जनता पार्टी का दामन थामा।
सभी नेताओं को भाजपा में शामिल करने के बाद गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा की विधानसभा चुनाव से पहले हवा किस ओर बह रही है ये इन नेताओं के पार्टी में शामिल होने से साफ़ ज़ाहिर हो रहा है। वहीं अन्य पार्टियों पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि कुछ पार्टियों को देश भर में नकारा जा चुका है।