कैप्टन की इस पहल से पंजाब में खिसक सकती है कांग्रेस की ज़मीन, जानिए क्या है पूर्व CM का प्लान
इस्तीफ़ा देने के बाद अब कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भविष्य की राजनीति के लिए समीकरण तैयार करने में जुट गए हैं। पंजाब में चर्चाओं का बाज़ार गर्म है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह अपनी सियासी पार्टी बनाने की तैयार कर चुके हैं।
चंडीगढ़,
अक्टूबर
20,
2021।
पंजाब
कांग्रेस
में
सियासी
घमासान
के
बाद
कैप्टन
अमरिंदर
सिंह
ने
इमस्तीफ़ा
दे
दिया
था
जिसके
बाद
से
ही
पंजाब
की
सियासी
गलियारों
में
सभी
की
निगाहें
कैप्टन
अमरिंदर
सिंह
के
अगले
क़दम
पर
टिकी
हुईं
है।
इस्तीफ़ा
देने
के
बाद
अब
कैप्टन
अमरिंदर
सिंह
ने
भविष्य
की
राजनीति
के
लिए
समीकरण
तैयार
करने
में
जुट
गए
हैं।
पंजाब
में
चर्चाओं
का
बाज़ार
गर्म
है
कि
कैप्टन
अमरिंदर
सिंह
अपनी
सियासी
पार्टी
बनाने
की
तैयार
कर
चुके
हैं।
यह
भी
क़यास
लगाए
जा
रहे
हैं
कि
वह
अपनी
पार्टी
बनाकर
भारतीय
जनता
पार्टी
के
साथ
गठबंधन
कर
चुनावी
मैदान
में
उतर
सकते
हैं।
हाल
ही
में
उन्होंने
एक
इंटरव्यू
में
यह
कहा
था
कि
भारतीय
जनता
पार्टी
सांप्रदायुक
और
मुसलमान
विरोधी
नहीं
है।
कैप्टन ने तैयार की रणनीति
पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के इस बयान से पंजाब में सियासी पारा चढ़ा हुआ है। राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह अपनी पार्टी बनाकर भाजपा के साथ गठबंधन कर सकती है। साथ ही भारतीय जनता पार्टी के ज़रिए किसान आंदोलन का हल निकाल कर मास्टस्ट्रोक खेलना चाहते हैं। ग़ौरतलब है कि 18 सितंबर को इस्तीफ़ा देने के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा था कि उन्हें पार्टी ने बेइज़्ज़त किया है। जिसके बाद वह दिल्ली दौरे पर गए और अमित शाह से मुलाक़ात भी की। कैप्टन के इस मुलाक़ात के कई मायने निकाले गए और यह भी चर्चा शुरू हो गई थी कि कैप्टन अमरिंदर सिंह भाजपा में शामिल हो सकते हैं लेकिन कैप्टन ने भाजपा में शामिल होने की बात को नकार दिया था। वहीं उन्होंने कहा था कि वह अब कांग्रेस में भी नहीं रहेंगे।
सियासी पारी खेलने की तैयारी
कैप्टन अमरिंदर सिंह इस्तीफ़ा देने के एक महीने बाद एक्टिव मोड में आते हुए भाजपा का गुणगान कर रहे हैं। इसके यही मायने निकाले जा रहे हैं कि कैप्टन भारतीय जनता पार्टी में शामिल नहीं होंगे लेकिन अपनी पार्टी बनाकर भाजपा के साथ गठबंधन करेंगे। यह भी कहा जा रहा है कि कैप्टन किसान आंदोलन का हल निकालने की कोशिश में ताकि वह पंजाब की सियासत में नया इतिहास लिख सकें। चूंकि धरने पर बैठे किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ कैप्टन के अच्छे ताल्लुकात रहे है। जब कैप्टन अमरिंदर सिंह पंजाब के मुख्यमंत्री थे तो उस दौरान उन्होंने दिल्ली में धरने पर बैठे किसान संगठनों की काफ़ी मदद की थी। कैप्टन अब अपनी राजनीतिक पारी खेलने की तैयारी कर रहे हैं जिसकी वजह से पंजाब कांग्रेस की नींद उड़ी हुई है।
कांग्रेस में पड़ सकती है दरार
सियासी गलियारों में यह चर्चा है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह पंजाब कांग्रेस के विधायकों को अपनी पार्टी में शामिल कर सकते हैं, करीब दो दर्जन विधायक कैप्टन अमरिंदर सिंह के संपर्क में हैं। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि कृषि कानून की वजह से पंजाब में यह माहौल बना, इससे पहले पंजाब में भाजपा के खिलाफ कोई परेशानी नहीं थी। कृषि कानूनों का हल निकालने की पीएम मोदी भी की कोशश कर रहे है। वहीं कैप्टन अमरिंदर सिंह कहा कि विधान सभा चुनाव से पहले तीन केंद्रीय कृषि कानून का हल निकाल लिया जाएगा यह मुझे उम्मीद है। साथ ही उन्होंने कहा कि पंजाब में कभी भी हिंदू, सिख और मुस्लिम के बीच कोई परेशानी नहीं रही।
कांग्रेस के लिए चुनौती
कैप्टन की नई सियासी पार्टी पंजाब कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती बन सकती है। क्योंकि कैप्टन अपनी नई पार्टी में वरिष्ठ टकसाली नेता जो अपने दलों को छोड़ चुके हैं उनके स्वागत का संकेत दे चुके हैं। साथ ही कैप्टन ने कांग्रेस को छोड़कर भाजपा समेत अन्य सभी दलों के लिए चुनाव से पहले और चुनाव के बाद गठबंधन के खुले विकल्प का भी इशारा किया है। जिस तरह से पंजाब कांग्रेस के मौजूदा हालात हैं इससे यह साफ़ लग रहा है कि विधानसभा चुनाव के करीब आते आते पार्टी में दरार पड़ सकती है। कई कांग्रेस नेता पार्टी छोड़कर कैप्टन की पार्टी का दामन थाम सकते हैं।
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