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पंजाब कांग्रेस में कलह चरम पर, इस्तीफ़े का दौर जारी, जानिए क्या हैं इसके सियासी मायने ?

मुख्यमंत्री पद से कैप्टन को हटाने के बावजूद पंजाब कांग्रेस में कलह चरम पर है। हालात यह है कि मंत्री पद जाने से नाराज विधायकों ने हाईकमान के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंककर चन्नी की डगमगाती सरकार को स्थिर कर दिया है।

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चंडीगढ़, सितंबर 28, 2021 मुख्यमंत्री पद से कैप्टन अमरिंदर सिंह को हटाने के बावजूद पंजाब कांग्रेस में कलह चरम पर है। हालात यह है कि मंत्री पद जाने से नाराज विधायकों ने हाईकमान के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंककर दिल्ली से रिमोट कंट्रोल के सहारे चल रही चरणजीत सिंह चन्नी की डगमगाती सरकार को और अस्थिर कर दिया है। नवजोत सिंह सिद्धू ने पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा दे दिया है। हालांकि उन्होंने कांग्रेस में बने रहने की बात कही है। नवजोत सिंह सिद्धू ने अपना इस्तीफा कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजा है। कैप्टन अमरिंदर सिंह के पंजाब के मुख्यमंत्री के पद से हटने के बमुश्किल 10 दिन बाद ही सिद्धू ने पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। ग़ौरतलब है कि उन्हें पंजाब कांग्रेस की कमान संभाले अभी करीब दो महीने ही हुए थे।

इस्तीफ़े का दौर शुरू

इस्तीफ़े का दौर शुरू

पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष पद से नवजोत सिंह सिद्धू के इस्तीफे के कुछ ही घंटे बाद पंजाब में सियासी हलचल लगातार तेज हो रही है। परगट सिंह और रजिया सुल्ताना के साथ ही योगेंद्र ढींगरा ने भी प्रदेश कांग्रेस महासचिव के पद से इस्तीफ़ा दे दिया है। इनके अलावा नवजोत सिंह सिद्धू के समर्थक माने जाने वाले कांग्रेस के प्रदेश कोषाध्यक्ष गुलज़ार इन्दर चहल ने भी इस्तीफ़ा दे दिया है। सूत्रों की मानें तो जल्द ही कई और नेता भी अपने पदों से इस्तीफा दे सकते हैं। वहीं कैबिनेट मंत्री पद छीनने से नाराज बलबीर सिंह सिद्धू और गुरप्रीत सिंह कागड़ ने कांग्रेस हाईकमान को पत्र लिखकर अपना कसूर पूछा है और नए मंत्रिमंडल में शामिल नहीं करने पर कड़ा विरोध भी जताया। गुरप्रीत कांगड़ ने तो यहां तक कह दिया कि उन्हें कैप्टन अमरिंदर सिंह के प्रति वफादारी की कीमत चुकानी पड़ी है। उधर, मंत्री नहीं बनाने पर विधायक राकेश पांडे के समर्थकों ने हाईकमान के खिलाफ प्रदर्शन कर फैसले पर तुरंत दोबारा विचार करने की मांग उठाई है। उन्होंने चेतावनी दी है कि उनकी बात नहीं सुनी गई तो चंडीगढ़ स्थित पार्टी दफ्तर के बाहर प्रदर्शन करेंगे।

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कैबिनेट विस्तार के साथ ही नया विवाद

कैबिनेट विस्तार के साथ ही नया विवाद

चरणजीत सिंह चन्नी के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार के पहले कैबिनेट विस्तार के साथ ही नया विवाद खड़ा हो गया है। नई सरकार ने कई नए चेहरों को कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ दिला दी है लेकिन कैप्टन सरकार में मंत्री रहे कई वरिष्ठ नेताओं को नए मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी गई है। कांग्रेस आलाकमान के फैसले से आहत पूर्व कैबिनेट मंत्रियों गुरप्रीत सिंह कांगड़ और बलबीर सिंह सिद्धू ने कहा कि उन्हें जानबूझ कर नजरअंदाज किया गया है। दोनों मंत्रियों ने कहा कि, कई साल तक अपने-अपने विभागों में मंत्री के रूप में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के बाद भी उन्हें नई सरकार में शामिल कर उनके साथ अन्याय किया गया है। कांगड़ ने कहा, 'बिजली और राजस्व मंत्री के रूप में उन्होंने दिन-रात काम किया और खस्ताहाल हो चुकी कई चीजों को पटरी पर लाया। फिर भी उनके साथ अन्याय किया गया। वहीं बलबीर सिंह सिद्धू अपनी बात रखते हुए रो पड़े और स्वास्थ्य मंत्री के रूप में अपनी उपलब्धियों और सफलताओं को सामने रखते हुए कहा, कि जिन्होंने पार्टी के लिए अपनी जिंदगी के बेहतरीन साल दिए हैं, अब उनको पूरी तरह से अलग-थलग कर दिया गया है।

कांग्रेस आलाकमान के ख़िलाफ़ प्रदर्शन

कांग्रेस आलाकमान के ख़िलाफ़ प्रदर्शन

नए मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किए जाने से नाराज विधायक राकेश पांडे के समर्थकों ने लुधियाना में पार्टी हाईकमान के खिलाफ प्रदर्शन अपने फैसले पर दोबारा विचार करने की मांग उठाई है। विरोध प्रदर्शन के दौरान प्रदेश कांग्रेस की एससी विंग के संयोजक दीपक हंस ने कहा कि नार्थ लुधियाना से छह बार विधायक बन चुके राकेश पांडे को नए मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। आंतकवाद के दौरान उनके पिता ने कुर्बानी दी थी। ऐसे में शहीद परिवार को पार्टी की तरफ से उचित सम्मान दिया जाना चाहिए। पंजाब कांग्रेस में संकट दिनोंदिन गहराता जा रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और पार्टी हाईकमान के बीच अब सीधी जंग छिड़ गई है। हालांकि उन्होंने राहुल गांधी और प्रियंका को अनुभवहीन और नाकाबिल पहले ही बता दिया था लेकिन अब पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत के बयान पर जवाबी हमला करते हुए सोनिया गांधी से ही सीधे सीधे पूछ लिया है कि, क्या कांग्रेस जैसी भव्य और पुरानी पार्टी में निरादर और अपमान झेलना ही बुजुर्ग और ईमानदार नेताओं के लिए शेष बचा है।

कैप्टन के बयान पर प्रतिक्रिया

कैप्टन के बयान पर प्रतिक्रिया

सुप्रिया श्रीनेत ने मीडिया को दिए कैप्टन के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि राजनीति में गुस्से की जगह नहीं है। ईर्ष्या और बदले की भावना नहीं रखनी चाहिए। सुप्रिया के इस बयान से खफा कैप्टन ने ट्वीट किया, 'हां, राजनीति में गुस्से की कोई जगह नहीं है लेकिन क्या कांग्रेस जैसी भव्य पार्टी में निरादर और अपमान की जगह है। अगर मेरे जैसे वरिष्ठ पार्टी नेता के साथ ऐसा व्यवहार किया जा सकता है तो मुझे आश्चर्य है कि कार्यकर्ताओं के साथ कैसा बर्ताव होता होगा। मालूम हो कि कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा था कि, बुजुर्गों को गुस्सा आता है और कई बार गुस्से और क्रोध में बहुत सारी बातें कह देते हैं। मुझे लगता है उनके गुस्से का, उनकी उम्र का, उनके तजुर्बे का सम्मान करना चाहिए। वो जरूर इस पर पुनर्विचार करेंगे। राजनीति में गुस्सा, ईर्ष्या-द्वेष, व्यक्ति विशेष पर टिप्पणी और बदला लेने की भावना की जगह नहीं है।

विरोधी नेताओं में कैप्टन का ख़ौफ़

विरोधी नेताओं में कैप्टन का ख़ौफ़

कैप्टन अमरिंदर सिंह के इस्तीफे के बाद भी विरोधी नेताओं में उनका ख़ौफ़ बरक़रार है। यही वजह है कि सीएम पद की शपथ लेने के बाद चरणजीत सिंह चन्नी ने बड़ा प्रशासनिक फेरबदल करते हुए कैप्टन के करीबी कहे जाने वाले अधिकारियों को हटाकर दूसरे अधिकारियों को अहम जिम्मेदारियां दीं। मुख्यमंत्री के निर्देश पर वरिष्ठ आईएएस अधिकारी हुस्न लाल को मुख्यमंत्री का प्रिंसिपल सचिव नियुक्त किया गया है। वहीं आईएएस तेजवीर सिंह को उनके पद से हटा दिया गया है। विशेष प्रधान सचिव के पद पर राहुल तिवारी की तैनाती की गई है। इसके साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के करीबी कहे जाने वाले गुरकीत कृपाल सिंह को उनके पद से हटा दिया गया है। पंजाब में यह बड़ा फेरबदल माना जा रहा है। सचिवालय सूत्रों की मानें तो इसी सप्ताह और भी बड़े ओहदों पर बैठे अधिकारियों को इधर से उधर किया जा सकता है। अफरातफरी का आलम यह है कि शहर में जगह जगह लगे कैप्टन के फोटो और होर्डिंग्स हटाए जा रहे हैं। हालांकि इससे कैप्टन के समर्थकों में काफी आक्रोश है, लेकिन इसकी परवाह किए बिना सिद्धू और चन्नी अपने अभियान में जुटे हुए हैं। यही नहीं, प्रदेश की अर्थव्यवस्था की समीक्षा किए बिना चन्नी ने पदभार संभालने के बाद तुरंत किसानों के सभी बकाया बिल माफ करने का एलान कर दिया।

विपक्ष के निशाने पर कांग्रेस

विपक्ष के निशाने पर कांग्रेस

विपक्षी दलों के नेता अभी वेट एंड वाच की नीति अपना रहे हैं। उनका मानना है जो हालात अभी बने हुए हैं उससे पंजाब कांग्रेस में अभी कुछ शांत होने वाला नहीं है। इधर, जिस तरीके से पार्टी आलाकमान ने कैप्टन को मजबूर कर इस्तीफा लिया है उससे एक बात तो तय हो गई है कि जल्द ही वह कोई बड़ा फैसला लेंगे। यदि वह कांग्रेस में ही रहकर अपने विरोधियों को परास्त करने का प्रयास करते हैं तो भी सियासती समीकरणों में बदलाव आएगा जिसका सीधा फायदा किसी न किसी विपक्षी दल को होगा। यही कारण है कि विपक्षी नेता भी कैप्टन पर हमलावर होने के बजाय सीधे-सीधे कांग्रेस पार्टी को घेरने का प्रयास कर रहे हैं। शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर सिंह बादल की ओर से भी अभी तक ऐसी कोई टिप्पणी नहीं की गई जिसमें उन्होंने कैप्टन को घेरा है। उन्होंने अपने बयानों में सिर्फ कांग्रेस पर ही सवाल खड़े किए हैं। इधर आम आदमी पार्टी की तरफ से भी सीधे कैप्टन पर सियासी हमला नहीं किया गया है। पार्टी के पंजाब सह प्रभारी राघव चड्ढा ने पंजाब कांग्रेस में हुए इस बदलाव पर कहा है कि कांग्रेस पार्टी अब डूबता जहाज है। भाजपा के प्रदेश प्रधान अश्वनी शर्मा ने भी पूरे प्रकरण पर सिद्धू व कांग्रेस को ही निशाने पर लिया है। इन सबों के बीच कैप्टन को अपने पाले में लाने की कवायद में भी सभी दल जुट गए हैं। कुछ ने प्रत्यक्ष तो कुछ ने अप्रत्यक्ष रूप से कैप्टन को पार्टी में शामिल होने का निमंत्रण भी दे दिया है।


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English summary
Discord in Punjab Congress is at its peak, the phase of resignation continues
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