आग की लपटों में सोते रहे दो बच्चों को पिता चाहकर भी नहीं बचा सका, तीनों की दर्दनाक मौत
Pune news, पुणे। महाराष्ट्र के शिरूर जिले के आमदाबाद में झोंपड़ी में अचानक आग लग जाने से दो बच्चों सहित तीन की जलकर मौत हो गई। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार आमदाबाद गांव से एक किलोमीटर दूरी पर आदिवासी भील समाज के 35 घरों की बस्ती है। उनमें से अधिकांश के घरों की छत छप्पर और गन्ने के फूस से बने हैं। सोमवार दोपहर चार बजे के आसपास लालू आनंदा गावड़े के घर में अचानक आग लग गई। घर में दो बच्चे सो रहे थे। उन्हें बचाने के लिए लालू घर में घूसा लेकिन आग और धुएं ने उसकी भी जान ले ली।
मरने वालों के नाम लालू आनंदा गावड़े (35), उनका बेटा दादू लालू गावड़े (3.5 वर्ष), उनके साड़ू की बेटी प्राजू अरूण पवार (1.5 वर्ष) है। उषाबाई लालू गावड़े, अरूण फक्कड़ पवार, बारकुबाई फक्कड़ पवार जख्मी हो गए हैं जिन्हें इलाज के लिए तुरंत अस्पताल भेजा जा चुका है। इस आग में पास की चार झोंपड़ियां भी जलकर राख हो गईं। जिससे वहां रहने वालों के सामान का नुकसान भी हुआ। उषाबाई का एक बेटा और चार बेटी हैं। सरपंच योगेश थोरात ने तत्काल घटनास्थल पर पहुंचकर मदद शुरू की। आग बुझाने के लिए फायर ब्रिगेड आ गई थी। मौका-ए-वारदात का निरीक्षण पूर्व विधायक पोपटराव गावड़े, पुलिस निरीक्षक नारायण सारंगकर, गट विकास अधिकारी संदीप जठार, घोड़गंगा के संचालक रंगनाथ थोरात, पंचायत समिति के सदस्य सुभाष पोकले ने किया।
इन आदिवासियों के लिए एक कंपनी ने 35 घर बनाने का निर्णय लिया है। लेकिन जगह विवादास्पद होने से शिरूर के भूमि अभिलेख अधिकारी के कई बार चक्कर काटने पर भी काम आगे नहीं बढ़ा। पूर्व सरपंच योगेश थोरात ने कहा यदि ये घर पक्के होते तो शायद यह घटना न होती।
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