पुणे: 79 साल की महिला प्रोफेसर जो बिना बिजली के जीती है जिंदगी, भीषण गर्मी से कैसे बचती हैं?
Maharashtra news, पुणे। हर साल पड़ने वाली गर्मी की तपन से लोगों का हाल बुरा हो जाता है। हम सभी को पता है कि किस तरह से पृथ्वी का तापमान साल दर साल बढ़ रहा है। लेकिन, हम उसे संतुलित करने के लिए थोड़ा भी प्रयास नहीं करते हैं। आने वाली पीढ़ी का क्या होगा? लेकिन अभी भी कुछ ऐसे बुजुर्ग हैं जिन्होंने अपनी जिंदगी कुदरत और पर्यावरण की देखभाल के लिए न्यौछावर कर दी। अगर सवाल पूछा जाए कि बिना बिजली के आप कब तक जीवन काट सकते हैं? एक हफ्ता, एक महीना या महज कुछ दिन, आपका फट से जवाब होगा कि बिना बिजली के जीवन जीना असंभव सा है। लेकिन महाराष्ट्र के पुणे में 79 साल की डॉक्टर हेमा साने अपने घर में बिना बिजली के रहती हैं। चौंकिए नहीं इनके बारे में आप और जानेंगे तो हैरान रह जाएंगे।
मेरी संपत्ति की मालिक मैं नहीं
बुजुर्ग हेमा ने अपने जीवन में कभी बिजली का इस्तेमाल नहीं किया है। उन्हें कुदरत और पर्यावरण से इतना प्यार है कि उन्हें आजतक बिजली की जरूरत नहीं पड़ी। डॉक्टर हेमा कहती हैं कि भोजन, कपड़ा और मकान इंसान की बुनियादी जरूरतें हैं। एक समय था जब बिजली नहीं थी, बिजली तो काफी देर बाद आई। मैं बिना बिजली के ही सबकुछ कर लेती हूं, मुझे कोई पेशानी नहीं होती है। हेमा आगे कहती हैं कि उनके कुत्ते, दो बिल्लियां, नेवले और बहुत सारी पक्षियां ही उनकी सबकुछ हैं। उन्होंने कहा- मैं यहां पर सिर्फ उन सभी की देखभाल करती हूं।
लोग कहते हैं कि मैं मूर्ख हूं
डॉ. हेमा ने आगे बताया कि कई लोग मुझे बेवकूफ कहते हैं। मैं पागल हो सकती हूं लेकिन, ये मेरे लिए मायने नहीं रखता। मैं किसी को कोई संदेश या सबक नहीं देती। मैं भगवान बुद्ध का प्रसिद्ध उद्धरण कहती हूं जो कहते हैं कि मनुष्य को अपने जीवन का रास्ता खुद खोजना है। आपको बता दें कि डॉक्टर हेमा सवित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय से वनस्पति विज्ञान में पीएचडी की हैं और कई सालों तक गरवारे कॉलेज पुणे में प्रोफेसर थीं।
लिख चुकी हैं कई किताबें
डॉ. हेमा एक छोटी सी झोपड़ी में रहती हैं जो पुणे के बुधवार पेठ में है। उनका घर कई तरह के पेड़-पौधों से घिरा है। जिसके अंदर चिड़ियों का बसेरा है। उनकी सुबह चिड़ियों की चहचहाट से होती है और रात घर में लैंप की रोशनी से। डॉ हेमा वनस्पति विज्ञान(Botany) और पर्यावरण पर कई किताबें लिख चुकी हैं। जो प्रकाशित होने के बाद बाजार में उपलब्ध हैं। आज भी खाली समय पर घर में किताब लिखती रहती हैं। पर्यावरण के बारे में उन्हें इतनी अच्छी जानकारी है कि शायद ही कोई पक्षी या पेड़ होगा जिसके बारे में वह नहीं जानती होंगी।
'मुझे बुलाते हैं मेंटल'
डॉ हेमा ने कहा कि उन्हें बिजली की जरूरत आजतक महसूस नहीं हुई। कई लोग उनसे अक्सर पूछा करते हैं कि आप बिना बिजली के कैसे जिंदगी जी सकती हैं? फिर मैं उनसे पूछती हूं कि आप कैसे बिजली के साथ जिंदगी जीते हैं? उन्होंने कहा, ये सारे पक्षी मेरे दोस्त हैं और जब भी मैं घर का काम करती हूं तो वे आ जाते हैं। लोग मुझसे बोलते हैं कि इस घर को बेच दो, आपको अच्छी कीमत मिल जाएगी! लेकिन उन्हें जवाब देती हूं कि इन पेड़-पक्षियों का ख्याल कौन रखेगा? मुझे कहीं बाहर नहीं जाना, मुझे इन्हीं के साथ अपनी जिंदगी बितानी है। मुझे कई लोग मेंटल बुलाते हैं लेकिन मुझे फर्क नहीं पड़ता।