गुप्तेश्वर पांडेय के VRS के बाद बिहार डीजीपी का प्रभार संभालेंगे एसके सिंघल
पटना। बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे के स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के बाद राज्य सरकार ने होमगार्ड के डीजी संजीव कुमार सिंघल को डीजीपी का अतिरिक्त प्रभार सौंपा है। मंगलवार गृह विभाग ने मंगलवार देर रात इसकी अधिसूचना जारी कर दी। बता दें, 1987 बैच के आईपीएस ऑफिसर गुप्तेश्वर पांडे को जनवरी 2019 में बिहार का डीजीपी बनाया गया। बतौर डीजीपी उनका कार्यकाल 28 फरवरी 2021 तक था। हालांकि, उन्होंने मंगलवार को कार्यकाल पूरा होने से पहले रिटायरमेंट का फैसला लिया। उनके अचानक रिटायरमेंट के बाद संजीव कुमार सिंघल को अगले आदेश तक डीजीपी बिहार का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है।
1988 बैच के आईपीएस अफसर हैं सिंघल
पंजाब के रहने वाले संजीव कुमार सिंघल 1988 बैच के आईपीएस अफसर हैं। सिंघल को गृह रक्षा वाहिनी व अग्निशमन सेवा के डीजी पद पर अप्रैल 2020 में तैनाती मिली थी। इससे पहले वे एडीजी (मुख्यालय) और बीएमपी के डीजी के पद पर तैनात थे। उन्होंने गृह रक्षा वाहिनी व अग्निशमन सेवा के डीजी का पद संभालने के बाद कई अहम बदलाव और सुधार किए। इसके साथ ही डीजी सेल के गठन का काम किया। इस सेल के गठन का मकसद था कि सुझाव या शिकायत को जिला से मुख्यालय तक पहुंचाने की सुदृढ़ व्यवस्था हो सके। इसके लिए बाकायदा शिकायत व सुझाव रजिस्टर भी बनाए गए। होमगार्ड में प्रतिनियुक्ति की नियमित माॅनिटरिंग के साथ समय पर कार्यों के निष्पादन में सुधार किया।
सीएम नीतीश कुमार के करीबी माने जाते हैं सिंघल
सिंघल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी माने जाते हैं। सूत्रों के मुताबिक, डीपीसी की औपचारिकता पूरी करने के बाद सरकार जल्द ही सिंघल की डीजीपी पद पर पूर्णकालिक तैनाती कर देगी। पुलिस मुख्यालय ने गृह विभाग के आदेश पर डीपीसी की औपचारिकता पूरी करने की कवायद शुरू कर दी है।
गुप्तेश्वर पांडे के चुनाव लड़ने के कयास
बता दें, बिहार के पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) लिया है। अब उनके चुनाव लड़ने के कयास लगाए जा रहे हैं। गुरुवार को गुप्तेश्वर पांडे ने कहा कि उनके पास 12 सीटों से चुनाव लड़ने का ऑफर है। वह बिहार में कहीं से भी चुनाव लड़ सकते हैं और जीत हासिल कर सकते हैं। गुप्तेश्वर पांडे ने कहा कि लोग बड़ी संख्या में उनके पास आ रहे हैं और कह रहे हैं कि अगर मुझे राजनीति में प्रवेश करना है तो मुझे उनके जिले से चुनाव लड़ना चाहिए। हर कोई मेरे बहुत करीब है। यह जनता का फैसला होगा। अगर वे मुझे चाहते हैं, तो मैं राजनीति में प्रवेश कर सकता हूं।
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