बिहार विश्वविद्याल के पास पेंशन की जानकारी नहीं, बैंक पर निर्भर विवि प्रशासन
ऐसा पिछले करीब आठ-दस वर्षो से चल रहा है। यह खुलासा तब हुआ, जब राज्य सरकार ने दिसंबर 2013 से मार्च 2014 तक पेंशन मद में उपलब्ध करायी गयी राशि के उपयोगिता प्रमाण पत्र की मांग की। विवि के चार्टर्ड अकाउंटेंट कृष्ण कुमार एंड एसोसिएट्स ने इसमें असमर्थता जतायी।
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उन्हेांने स्वीकार किया कि विवि के पास इस राशि का कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है। इसके लिए वह पूरी तरह बैंक को किये गये भुगतान पर निर्भर हैं। सरकार ने इस पर आपत्ति जताते हुए विवि प्रशासन को अविलंब रिकॉर्ड तैयार करने का निर्देश दिया है।
हर साल 5.59 करोड़ का भुगतान-
राज्य सरकार फिलहाल विवि को हर वर्ष करीब 5.59 करोड़ रुपये पेंशन मद में देती है। इस राशि से करीब 2900 पीपीओ का भुगतान होता है। भुगतान की जो प्रक्रिया है उसके तहत विवि की ओर से पीपीओ का डिमांड एलएस कॉलेज कैंपस स्थित स्टेट बैंक शाखा में भेज दिया जाता है। बैंक पीपीओ के आधार पर राशि की डिमांड विवि से करता है।
विवि डिमांड राशि बैंक को उपलब्ध करा देता है पर बैंक कितनी राशि का भुगतान पात्रों के बीच करती है, इसका हिसाब विवि के पास नहीं है। इसके लिए वह पूरी तरह बैंक रिकॉर्ड पर आश्रित है। रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं होने के कारण विवि वित्त विभाग हर वर्ष सरकार को जो उपयोगिता प्रमाण पत्र उपलब्ध कराती है, उसमें बैंक को दी गयी राशि का ही जिक्र किया जाता है।
मृत
व्यक्ति
को
भी
हुआ
भुगतान
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विवि के पास पेंशन भुगतान का रिकॉर्ड नहीं होने के कारण गड़बड़ी की आशंका बनी हुई है ऐसा पहले हो भी चुका है। करीब दो साल पूर्व विवि में छठे वेतनमान का रिवीजन हुआ। इस दौरान खुलासा हुआ कि करीब पांच दर्जन से अधिक ऐसे लोगों को पेंशन का भुगतान हो रहा है, जिनकी पूर्व में ही मृत्यु हो चुकी है। इस मामले में शक की सूई विवि कर्मी के साथ बैंक अधिकारियों पर भी घूमी थी। हालांकि बाद में मामला सुलझा लिया गया जिस पर अब सवाल उठने शुरु हो गए हैं।