बिहार: सबूत ना मिलने पर रिहा हुए बृजबिहारी हत्याकांड के अभियुक्त
उच्च न्यायालय ने उन्हें इस आधार पर बरी किया कि मामले में कोई भी चश्मदीद गवाह नहीं है। तत्कालीन राजद सरकार में विज्ञान एवं प्रावैधिकी मंत्री बृजबिहारी प्रसाद की हत्या जून 1998 में पटना के इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में हुई थी।
पढ़ें- अपराध का दूसरा नाम 'बिहार'
करीब
16
साल
पहले
हुई
इस
घटना
ने
तब
बिहार
में
हलचल
मचा
दी
थी।
राज्य
सरकार
ने
जांच
की
जिम्मेदारी
सीबीआइ
को
सौंप
दी
थी।
कांड
के
तीन
अभियुक्त
मुन्ना
शुक्ला,
राजन
तिवारी
और
मंटू
तिवारी
अब
भी
जेल
में
बंद
हैं,
जबकि
अन्य
अभियुक्त
ललन
सिंह,
कैप्टन
सुनील
सिंह,
राम
निरंजन
चौबे,
सूरजभान
सिंह,
मुकेश
सिंह
जमानत
पर
हैं।
एक
अभियुक्त
पूर्व
विधायक
शशि
कुमार
राय
अब
जिन्दा
नहीं
है।
कोर्ट
ने
अपने
फैसले
में
कहा
कि
इस
केस
में
अभियोजन
पक्ष
ने
कोई
ऐसा
गवाह
नहीं
जुटाया,
जिसने
हत्याकांड
की
पुख्ता
पुष्टि
हो
सके।
सीबीआइ
वकील
विपिन
कुमार
सिंह
ने
अपील
याचिका
का
विरोध
किया
था।
अब
इस
हालिए
फैसले
ने
हत्याकांड
की
पूरी
तस्वीर
उलट
कर
रख
दी
है।