सुहागरात से पहले इस दुल्हन ने की ऐसी डिमांड कि बस...
पटना। सुहागरात पर दुल्हन ने एक ऐसा डिमांड रखा जिसे जानकर सभी वाह-वाह कहने लगे। जी हां आपको भी इस दुल्हन की डिमांड जानकर अच्छा लगेगा। दुल्हन ने अपनी सुहागरात से पहले पति से यह डिमांड किया कि हम दोनों साथ मिलकर सात सौ पौधे लगाएंगे और पर्यावरण व समाज को यह नायाब उपहार देकर सुहागरात मनाने के लिए सेज पर जाएगे। पति ने भी उसका साथ देने का वादा किया है।
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आपको बताते चलें कि सुहागरात के मौके पर ऐसी डिमांड रखने वाली किरण बचपन से ही पेड़-पौधों की दीवानी है। बचपन से ही वह अपने मायके में कोई भी त्यौहार सालगिरह या खुशी का कोई दूसरा मौका आने पर पेड़ लगाती है। इसी के साथ-साथ अब किरण मायके की तरह पूरे ससुराल वालों को पर्यावरण मित्र बनाएगी। किरण का कहना है कि शादी से लेकर ससुराल में आने वाली हर खुशी के दिन पेड़ लगाकर खुशी को यादगार बनाया जाएगा।
अधिकांशत: यह देखा जाता है कि शादी वाले दिन लड़का और लड़की अपने साज सज्जा में लगे रहते हैं। वहीं अगर इस दिन दुल्हन द्वारा समाज के लोगों को कोई नया उपहार दिया जाए तो यह बाकई स्वागत योग्य होता है। किरण ने भी ऐसा ही किया। शादी के दिन वह अपने गांव मझार में सात सौ पौधे लगाने तथा पर्यावरण व समाज को एक नया उपहार देने के लिए निकल पड़ी। मेहंदी लगे हाथों में शीशम, आम व अन्य पेड़ को लिए लगभग सैकड़ों महिलाओं के साथ गांव की सड़कों पर सुबह से ही निकल पड़ी।
और दोपहर होने तक लगभग सात सौ पेड़ लगा कर ही दम लिया। लोगों ने कहा कि गांव की इस बेटी ने हम लोगों का इतना मान बढ़ाया है जिसकी व्याख्या हम नहीं कर सकते हैं। आपको बताते चलें की किरण द्वारा पर्यावरण प्रेम को देखते हुए देश के राष्ट्रपति ने उसे सम्मानित भी किया है। जहां वर्ष 2006 में तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम और राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वैज्ञानिक डॉ. यशपाल ने सिक्किम में आयोजित राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस में किरण को सम्मानित किया था। वही वर्ष 2007 में तत्कालीन राज्यपाल डॉ. बूटा सिंह ने भी बिहार विज्ञान कांग्रेस में पुरस्कार से नवाजा।
तो वर्ष 2011 में अभिनेता अभिषेक बच्चन ने एक टीवी चैनल के एक कार्यक्रम में सिटिजन जर्नलिस्ट के नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित किया था। वहीं किरण का मानना है कि इन पौधों ने उन्हें बहुत कुछ दिया है। राष्ट्रीय स्तर की ख्याति के आलावा देश-दुनिया व समाज को समझने की नई दृष्टि दी है। ऐसे में मायका छूटने से पहले इन पौधों व अपने गांव के प्रति अपना संकल्प भी प्रकट करना चाहती है।