पटना न्यूज़ के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
Oneindia App Download

पोलियो पीडि़त भाई को पीठ पर बैठाकर कराई पढ़ाई, दोनों हुए IIT में सलेक्‍ट

By मुकुन्द सिंह
Google Oneindia News

समस्तीपुर (मुकुन्द सिंह)। इन दोनों भाइयों का प्रेम देखकर वाकई भगवान राम और लक्ष्मण का भाई प्रेम याद आ जाएगा। जहां भगवान राम के लिए लक्ष्मण ने अपना सारा राजपाट त्यागते हुए 14 वर्ष वनवास बिताया था वहीं बिहार के समस्तीपुर जिले के रहने वाले इन दोनों भाइयों बसंत और कृष्णा की भी कहानी कुछ इसी तरह है। इनके द्वारा भी 15 साल तक भाई की सेवा अपने कंधे पर चढ़ाते हुए की गई। आपको बताते चलें कि यह भाई प्रेम की कहानी बिहार के समस्तीपुर जिले की है।

बेटे को भूख से तड़पता देख मजबूर हुई मां की ममता, सड़क किनारे बच्चे को छोड़ाबेटे को भूख से तड़पता देख मजबूर हुई मां की ममता, सड़क किनारे बच्चे को छोड़ा

Brothers from Bihar overcome disability and poverty to crack IITJEE

जहां के निवासी मदन पंडित का बेटा बसंत द्वारा अपने भाई कृष्ण को 15 साल तक अपने पीठ पर लादकर स्कूल, कोचिंग और अन्य कामों के लिए ले जाया जाता था। क्योंकि डेढ़ साल की उम्र में ही भाई कृष्ण को पोलियो की बीमारी के कारण दोनों पर खराब हो गए थे। तो एक हाथ भी पूरी तरह काम करना बंद कर दिया था। जब छोटा भाई बसंत स्कूल जाने लगा तो उसका बड़ा भाई कृष्ण के आंखों में आंसू आ गया। काश मेरे भी अगर हाथ पर होते तो मैं भी पढ़ता और आगे चलकर कुछ करता।

अपने बड़े भाई कृष्ण की आंखों में आंसू देख वसंत को रहा नहीं गया और उसने अपने पीठ पर चढ़ाते हुए बड़े भाई को स्कूल ले गया। जिसके बाद रोजाना वसंत अपने बड़े भाई कृष्ण को कंधे पर चढ़ाते हुए स्कूल कोचिंग तथा अन्य कामों के लिए ले जाने लगा। इन दोनों ने एक दूसरे के कंधे के सहारे एक दो साल नहीं बल्कि 15 साल गुजारे। एक साथ रहने खाने और पढ़ने बाले यह दोनों भाई एक पल के लिए भी एक दूसरे से अलग नहीं हुए।

कई बार तो ऐसा भी हुआ कि किसी कार्यक्रम या फंक्शन पार्टी में भी बसंत अपने बड़े भाई कृष्ण को अपनी पीठ पर सवार कर ले जाता था। इस भाई प्रेम को देखते हुए आस पड़ोस के लोग भी आश्चर्यचकित रहते थे। यह दोनों भाइयों द्वारा कड़ी मेहनत और लगन से की हुई पढ़ाई आखिरकार रंग ले आई । दोनों ने एक साथ आईआईटी में सफलता पाई। जहां कृष्ण को ओबीसी 38 वीं रैंक मिली वहीं वसंत को 3769 रैंक । लेकिन आईआईटी में सफलता मिलने के बाद ही यह दोनों भाई ना खुश नजर आ रहे थे। इन दोनों को अब एक दूसरे से जुदाई का गम सता रहा है।

भाई प्रेम के बीच IIT की सफलता बनी दरार, जुदाई का गम कर रहा परेशान

आईआईटी में अच्छी श्रेणी से उत्तीर्ण होने वाले इन दोनों भाइयों को अब जुदाई का गम सताने लगा है। क्योंकि इन दोनों भाई वसंत और कृष्ण पिछले 15 वर्षों से एक दूसरे से अलग नहीं हुए थे। एक साथ रहना खाना और पढना जिनकी आदत सी बन चुकी थी उन्‍हें अब एक दूसरे से अलग होते हुए अलग अलग संस्थानों में प्रवेश मिला है। भाई से जुदा होने के गम में बड़े भाई कृष्ण का कहना है कि मुझे बसंत के कंधों पर ही सुकून मिलता है। मैं उसके बिना कैसे रह पाऊंगा। तो छोटे भाई बसंत का कहना है कि हाथ और पैर से लाचार बड़े भाई कृष्ण की देखभाल अब कैसे होगी।

गरीब किसान के बेटे हैं दोनों

आईआईटी में अच्छे अंक से सफलता हासिल करने वाले वसंत और कृष्ण एक गरीब परिवार के लड़के हैं। दोनों के पिता पिता एक किसान हैं। हालांकि इसके छह भाई हैं जिसमें से एक अपना बिजनेस करता है तो एक मुंबई में गैरेज चलाता है। बाकि चार भाई फिलहाल पढ़ाई कर रहे हैं। जहां परिवार का खर्च उनके पिता मदन पंडित खेती-बारी कर चलाते हैं। तो भाइयों के पढ़ाई-लिखाई का खर्च मुंबई में रहने वाले बड़े भाइयों के कंधे पर है।

Comments
English summary
A polio-stricken boy and his brother from an underprivileged family in Bihar have managed to make it through the IITJEE entrance exams beating all odds.
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
For Daily Alerts
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X