बीमारू राज्य बना बिहार, 44 फीसदी बच्चे कुपोषण के शिकार
अफसोस, यह आंकड़ा मिशन मानव विकास की सर्वे रिपोर्ट में हुआ है। राज्य सरकार ने रिपोर्ट को गंभीरता से लेते हुए वर्ष 2017 तक स्वास्थ्य कार्यक्रमों के जरिये कुपोषित बच्चों की आबादी 30 फीसद और एनीमिया से ग्रसित महिलाओं की संख्या 34 फीसद तक करने का लक्ष्य रखा है।
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स्वास्थ्य विभाग, समाज कल्याण विभाग एवं लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग के सहयोग से 'मिशन हेल्थ मैप' तैयार किया गया है। इसमें कुपोषण एवं एनीमिया से लड़ने का कार्यक्रम शामिल है। सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2005-06 में कुपोषित बच्चों की आबादी 58.4 फीसद एवं एनीमिया से पीड़ित 68.3 फीसद महिलाएं थीं।
बीते आठ वर्षो में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के दावों के बावजूद कुपोषण से मात्र 13 फीसद बच्चे और एनीमिया से महज 18 फीसद महिलाएं ही इससे बाहर आ पाईं हैं। जिम्मेदार राजनीति में मग्न हैं और जनता व्यवस्था की चक्की में पिस रही है।
क्या कुछ कहते हैं सर्वेक्षण-
- नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (एनएफएचएस)-3 में कुपोषित बच्चों की संख्या 58.4 फीसद पायी गई है, जबकि एनीमिया ग्रसित महिलाओं की संख्या 68.3 फीसदी बताई गई है।
- डिस्ट्रिक्ट लेवल हाऊस होल्ड एंड फैसिलिटी सर्वे (डीएलएचएस)-3 में 53 फीसद कुपोषित बच्चे एवं 57 फीसद एनीमिया ग्रसित महिलाएं पायी गई हैं।
- हंगामा सर्वेक्षण की रिपोर्ट में 43 फीसद कुपोषित बच्चे और 49 फीसद एनीमिया पीड़ित महिलाएं हैं।
- मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की अध्यक्षता में हुई मिशन मानव विकास की बैठक में सर्वे रिपोर्ट के आकलन के आधार पर विशेषज्ञों ने कुल 44 फीसद बच्चों को कुपोषित माना है।