इन टॉपर्स की पोल खुलने से हो चुकी है बिहार बोर्ड की बदनामी, पॉलिटिकल साइंस को बताया था प्रोडिकल...
पटना। लंबे अटकलों के बाद बिहार बोर्ड के दसवीं का रिजल्ट मंगलवार को घोषित हो गया। इस साल कुल 80.59 प्रतिशत स्टूडेंट्स पास हुए हैं। इनमें से 4,03,392 छात्र फर्स्ट डिवीजन पास हुए हैं जबकि 5 लाख 24 हजार 217 छात्र सेकेंड डिवीजन से और 2 लाख 75 हजार 402 छात्र थर्ड डिवीजन से पास हुए हैं। कुल 12 लाख 2 हजार, 30 विद्यार्थी पास हुए हैं।
टॉपर्स के चलते बोर्ड की हुई थी बदनामी
बिहार बोर्ड टॉपर्स को लेकर कई बार परेशानियों का सामना कर चुका है। क्योंकि जब भी परिणाम घोषित हुए कोई न कोई बड़ा विवाद सामने आया है। रिजल्ट घोषित होने के बाद टॉपर्स के कारण बोर्ड के कारनामों का खुलासा हुआ है। ऐसे ही कुछ टॉपर्स के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं, जिनके चलते बिहार बोर्ड की बदनामी हुई थी।
संगीत के टॉपर को नहीं थी संगीत की जानकारी
साल 2017 में बिहार बोर्ड के नतीजे में गणेश नाम के छात्र ने ऑर्ट्स में टॉप किया था। गणेश को हिंदी में 80 अंक, संगीत में 83 अंक, सामाजिक विज्ञान में 80 अंक और मनोविज्ञान में 50 अंक प्राप्त हुए थे। एनआरए में गणेश के 50 में से 42 अंक और एमएएल में 50 में से 36 अंक मिले थे। लेकिन संगीत विषय में टॉप करने वाले गणेश को संगीत की कोई जानकारी नहीं थी, जिसका खुलासा होने पर बिहार बोर्ड को काफी फजीहत का सामना करना पड़ा।
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साइंस के टॉपर को नहीं पता था इलेक्ट्रॉन-प्रोटॉन
वहीं साल 2016 में साइंस में टॉप करने वाले सौरभ को 500 में से 485 अंक मिले थे। लेकिन जब लोगों ने उससे विज्ञान से जुड़े आसान सवाल पूछे तो उन सवालों का जवाब उसके पास नहीं था। साइंट में टॉपर सौरभ श्रेष्ठ को इलेक्ट्रॉन और प्रोटॉन के बारे में नहीं पता था। यहां भी बोर्ड ये साबित करने में नाकामयाबद रहा कि उसका टॉपर सही है।
टॉपर ने पॉलिटिकल साइंस को बताया था प्रोडिकल साइंस
वहीं साल 2016 में इंटर आर्ट्स टॉपर रूबी को अपने विषय तक की जानकारी नहीं थी। रूबी ने पॉलिटिकल साइंस को प्रोडिगल साइंस बताया था। साथ ही रूबी ने यह भी बताया कि पॉलिटिकल साइंस में खाना बनाना सिखाया जाता है। बता दें कि रिजल्ट में अनियमितता सामने आने के बाद जब बिहार बोर्ड ने कई टॉपर्स का दोबारा टेस्ट लिया तो उसमें रूबी राय, सौरभ श्रेष्ठ और राहुल कुमार फेल हो गए। बोर्ड ने इन तीनों का रिजल्ट रद्द कर दिया था।
इस साल 15 लाख छात्रों ने दी थी परीक्षा
इस साल करीब 15 लाख परीक्षार्थियों ने बिहार कक्षा 10 की परीक्षा दी थी। साथ ही रिजल्ट पिछले साल की तुलना में कुछ कम रहा। लेकिन बिहार बोर्ड ने नतीजे घोषित कर एक बार फिर रिकॉर्ड बना लिया है। लेकिन यही बिहार पिछले कुछ सालों से अपने टॉपर्स को लेकर काफी विवादों में रहा, जिससे पूरे देश के सामने बिहार की बदनामी हुई थी।
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