किसकी होली, हमारी या मिलावटखोरों की?
पटना। चलिए इस बार होली के बाद सब कुछ ठीक होने वाला है। पियक्कड़ बस, इसी साल तक होली में जुटेंगे, अगले साल से तो चौराहों पर पियक्कड़ों का सामना न के बराबर करना पड़ेगा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इसके लिए बधाई। बहुत ही अच्छी पहल है। दारू पर नियंत्रण यानी बर्बाद होते समाज पर नियंत्रण है। लेकिन सरकार खाने-पीने वाले सामानों पर आपका नियंत्रण है क्या, जिससे जीवन बर्बाद हो रहा है। हम बात कर रहे हैं मिलावटखोरों की।
बाजार में बिक रहे केमिकलयुक्त रंग, जानिए क्या कहा डॉक्टर ने?
कल से होली का रंग सर चढ़कर बोलने वाला है। यही मौका है इस मौज़ू पर भी आपका ध्यान खींच लाये,अगर इस पर भी आपकी नज़रे इनायत हो जाती तो घर,समाज व स्वास्थ पर भी नियंत्रण किया जा सके। ऐसे बहुत कम ही हमने सोफिस्टिकटेड विभाग के अधिकारी यानि फ़ूड इंस्पेक्टर को बाजार में देखा है। अधिकारी एक, जिला अनेक।
होली का नाम आते ही जुबान पर लजीज पकवानों का टेस्ट आना लाजिमी है। घरों में मिठाइयों की खुशबू से ही पूरा माहौल मिठास से भर जाता है, लेकिन इन मिठाइयों की मिठास ही होली के रंग में भंग डालने का काम कर सकती है। दरअसल शहर के घरों में पकवानों की तैयारियां शबाब पर होने के साथ मिलावटखोंरों की तैयारी भी पूरी हैं।
लठ्ठमार होली: होली आई रे कन्हाई.. बजा दे जरा बांसुरी
मुनाफे के रंग में रंगने के लिए इन्होंने शहर के अंदरूनी मार्केट में सिंथेटिक मावा और दूध की सप्लाई शुरू कर दी है। सूत्रों की माने, तो शहर में होली पर मावा व दूध की खपत की संभावना है। इसके चलते असली मावा और दूध की कमी का फायदा मिलावटखोर उठाएंगे और लोगों की सेहत के साथ खिलवाड़ करेंगे। होली के त्योहार पर मिलावट केवल मावा व धी में ही नहीं, बल्कि नमकीन, ऑयल्स, रंग, बेसन व अन्य कई खाने की वस्तु में भी हो सकती है, जिसके कारण मुख्य रूप से हमें पैकिंग की गई वस्तु का ही प्रयोग किया जाना चाहिए।
किसी भी व्यापारी के पास नकली मावा या मिलावटी सामान मिलेगा, तो उसके खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी। सोचा था कि ऐसा ही जवाब मिलेगा लेकिन जानकर हैरानी हुई कि फूड इंस्पेक्टर के ऊपर कई जिलों की जवाबदेही है, उनको ढूँढना नामुमकिन है। अब हम किससे पूछें? क्योंकि सरकार तो व्यस्त है।