भाजपा के बाद अब कांग्रेस ने दिया इनेलो को बड़ा झटका, अशोक अरोड़ा समेत 4 नेताओं की एंट्री कराई
पानीपत। हरियाणा में विधानसभा चुनाव की घोषणा से पहले सियासी पार्टिंयों के नेताओं के बीच दल-बदली का खेल चल रहा है। यहां भाजपा के बाद अब कांग्रेस ने भी इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) को बड़ा झटका दिया है। इनेलो के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के साथ कई बड़े नेताओं को कांग्रेस ने पार्टी में एंट्री दी है। कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी गुलाम नबी आजाद ने रविवार को दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इनेलो में 15 साल प्रदेशाध्यक्ष व मंत्री रहे अशोक अरोड़ा, पूर्व मंत्री सुभाष गोयल, दो बार विधायक रहे प्रदीप चौधरी के साथ पूर्व मंत्री जसविंद्र सिंह संधू के बेटे गगनजोत अब कांग्रेस में शामिल हो गए हैं।
कांग्रेस ने भी इनेलो के नेताओं को खुद से जोड़ा
इनेलो के नेताओं के अलावा कलायत से निर्दलीय विधायक जयप्रकाश ने भी कांग्रेस में आ गए हैं। जयप्रकाश विधानसभा में ज्यादातर मुद्दों पर कांग्रेस का साथ देते रहे थे। अब वह परमानेंट कांग्रेसी हो गए हैं। वहीं, इनेलो के विधायकों की संख्या नगण्य होती चली गई। इस पार्टी में अब बहुत कम ही नेता बचे हैं। पिछले विधानसभा चुनावों में इनेलो काफी अच्छा प्रदर्शन किया था। मगर, फिर उसके विधायक लगातार कम होते चले गए।
पहली बार 17 विधायकों ने दिया इस्तीफा
वहीं, दल बदलने की कोशिश में प्रदेशभर में अब तक 17 विधायकों ने इस्तीफे दे दिए हैं। राज्य के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब 17 विधायकों ने अपनी विधानसभा सदस्यता से इस्तीफा दिया हो। यहां विधानसभा में इस बार 18 विधायकों की सीटें खाली हो गई हैं। यह भी पहली बार होगा जब इतने विधायकों की खाली सीटों वाली विधानसभा भंग होगी।
इस्तीफा देने वाले अधिकांश विधायकों ने भाजपा ज्वॉइन की
इस्तीफा देने वाले अधिकांश विधायकों ने अपनी पार्टी छोड़कर अन्य पार्टी ज्वॉइन कर ली है। सबसे ज्यादा नुकसान इनेलो को हुआ है। 2014 के चुनाव में इनेलो को 19 सीटें मिली थीं। जो कि 3 ही रह गईं हैं। इन तीन विधायकों में पूर्व नेता प्रतिपक्ष अभय चौटाला, वेद नारंग व ओमप्रकाश बरवा शामिल हैं। जबकि, भाजपा ने 2014 में 47 सीटें जीती थीं। अब उसके पास 59 सीटें हैं। राज्य में एक विधायक का निधन हो चुका है, जो कि इनेलो से ही था।
उस दौर में 6 विधायकों ने दिए थे इस्तीफे
हरियाणा में 17 विधायकों ने तो इसी कार्यकाल में इस्तीफा दिया है। इससे पहले वर्ष 1999-2004 के सत्र में भाजपा के 6 विधायकों ने अपने इस्तीफे दिए थे। बहरहाल, इस बार जब इतनी बड़ी संख्या में विधायकों ने इस्तीफे दिए तो हरियाणा विधानसभा स्पीकर ने भी सभी के इस्तीफे स्वीकार कर लिए। इन सभी विधायकों का कार्यकाल पूरा होने से खत्म हो गया और वह चुनाव होने से पहले ही पूर्व विधायक बन गए।
लोकसभा चुनाव में हरियाणा में सभी सीटें भाजपा ने जीतीं
इसी साल मई में हुए लोकसभा चुनाव में राज्य की सभी दस सीटों पर भाजपा ने पहली बार जीत हासिल की। हरियाणा बनने के बाद ज्यादातर चुनाव में अपना दबदबा बनाए रखने वाली कांग्रेस क्लीन स्वीप हो गई। इससे पहले 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने प्रदेश की 10 में से 7 सीटों पर जीत दर्ज की थी।
अक्टूबर-नवंबर में हो सकते हैं चुनाव
हरियाणा में विधानसभा चुनाव अक्टूबर-नवंबर में हो सकते हैं। 2014 में भाजपा 47 सीटों पर जीती थी। राज्य में विधानसभा की कुल 90 सीटें हैं। वहीं, इस बार शाह ने कार्यकर्ताओं को 75 पार का टारगेट दिया है।