पिता बिलख-बिलख कर कहता रहा कि पैसे ले लो लेकिन बेटे की अर्थी को कंधा दे दो, किसी ने नहीं लगाया हाथ
पानीपत। हरियाणा के पानीपत जिले में एक मार्मिक घटना सामने आई है, जहां एक पिता अपने बेटे के शव को छू नहीं सका। साथ में उसके शव को कंधा देने के लिए चार लोग भी नहीं मिल सके। बस एंबुलेंस में बेटे के शव को अंतिम संस्कार के लिए पिता जाता हुआ देखता रहा। वह बिलख-बिलखकर कहता रहा कि पैसे ले लो, बेटे को उठा लो, अर्थी को बस चार कंधे दे दो।
पिता ने किट पहनकर बेटे के शव को उतारा
आखिरकार पीपीई किट पहनकर पिता और बड़े भाई ने अंतिम संस्कार किया। पानीपत जिले के सेक्टर 13-17 के 28 साल के युवक की मौत हो गई। शव से दूरी बनाए रखने के लिए पुलिस और अस्पताल स्टाफ का पहरा था। चिता से 10 मीटर दूर शव वाहन को खड़ा कर दिया गया। शव से 100 मीटर दूर पुलिसकर्मी और अस्पताल का स्टाफ खड़ा रहा। जब किसी से मदद नहीं मिली तो पिता और बड़े भाई ने मिलकर मृतक के शव को उतारा।
आखिरी बार बेटे का मुंह भी नहीं देख सका पिता
दोनों ने शव को उठाया और चिता पर रखा। भाई ने छोटे भाई की चिता को मुखाग्नि दी। लोगों के बीच कोरोना को लेकर खौफ इतना था कि शव वाहन के अंदर नहीं जाने दिया। इसके बाद वहां मौजूद डॉक्टरों ने पिता को किट पहनाई। उन्होंने ही शव को नीचे उतारा। एसआइ ने भी दूर से बयान देने की नसीहत दी। रोते हुए पिता ने कहा कि भगवान ऐसा दिन किसी को न दिखाए। अंतिम बार बेटे का चेहरा तक नहीं देख पाया। डर के चलते कोई रिश्तेदार तक नहीं पहुंचा।
पंडित भी तैयार नहीं हो रहा था अंतिम संस्कार के लिए
प्रत्यक्षदर्शी जनसेवा दल के सचिव चमन गुलाटी ने बताया कि सेक्टर 13-17 में युवक के घर के बाहर शव वाहन खड़ा था। इसमें युवक का शव था। कोरोना वायरस के संक्रमण की आशंका से मौत होने की भनक लगने पर श्मशान के पंडित ने कहा कि उनके पास शव वाहन नहीं है। गुलाटी वाहन चलाकर सामान्य अस्पताल गए, वहां से श्मशानघाट गए। पंडित ने संस्कार कराने से इन्कार किया। उसने समझाया और पंडित को किट पहनाई। तभी वह माने। तीन ही किट थी। डॉक्टर ने पिता और पुत्र को किट पहनने के लिए कहा।
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