कोरोना काल में ऑनलाइन स्टडी: यहां नहीं आते मोबाइल में नेटवर्क, पेड़ पर चढ़कर करते हैं पढ़ाई- VIDEO
चंडीगढ़। कोरोना-काल में प्रभावित हुई शिक्षा व्यवस्था को यथास्थिति में लाने के लिए सरकार ने ऑनलाइन स्टडी के जरिए बच्चों की पढ़ाई शुरु करा दी है। मगर, यह सुविधा भी काफी इलाकों के बच्चों को नहीं मिल पा रही। उदाहरण के लिए हरियाणा में पंचकूला के मोरनी क्षेत्र में ऐसे कई गांव हैं, जहां मोबाइल का नेटवर्क नहीं पहुंचता।
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यहां बच्चे ऊंचे पहाड़ की चोटियों या फिर पेड़ पर चढ़कर ऑनलाइन स्टडी करते हैं। हैरत यह भी है कि ऐसे क्षेत्र ज्यादा दूर नहीं, बल्कि हरियाणा की राजधानी चंडीगढ़ की नाक के बिल्कुल नीचे पंचकूला में ही हैं। चंडीगढ़ में ही बैठकर सरकार पूरे प्रदेश की व्यवस्था संभालती है। ऑनलाइन पढ़ाई के जरिए शिक्षा ग्रहण करना उन विद्यार्थियों के लिए दूर की कौड़ी जैसी है, जो विद्यार्थी ऐसे स्थानों पर रहते हैं जहां आजादी के 74 साल बाद भी मोबाइल का नेटवर्क नहीं पहुंचा है।
इन हालातों को ओर भी बेहतर ढंग से समझना हो तो पंचकूला जिले के मोरनी क्षेत्र में गांव दापाना के इस वीडियो को देखें। मोरनी के गावँ दापाना में इस पेड़ के नीचे और पेड़ के उूपर निगाह मार लीजिए। यहां गांव का एक युवक पेड़ पर इसलिए चढ़ा बैठा है ताकि मोबाइल फोन में ऊंचे पेड़ पर नेटवर्क आ जाए और वो पेड़ के नीचे बैठे इस गांव के अलग-अलग कक्षा के विद्यार्थियों को स्कूल से ऑनलाइन भेजा गया स्कूल का काम पढ़कर सुना सके।
ऐसा इसलिए क्योंकि इस गांव में किसी भी मोबाइल फोन का नेटवर्क नहीं आता। लिहाजा बच्चों को फोन पर शिक्षकों द्वारा भेजा गया काम मोबाइल में से देखने के लिए किसी ऊंचे पेड़ पर या फिर ऊंचे पहाड़ की चोटी पर चढ़ना पड़ता है और ऐसी पढ़ाई जान पर भी किस क़दर भारी पड़ सकती है। इसका अंदाज़ा लगाया जा सकता है, क्योंकि पेड़ पर से फिसल कर नीचे गिरने का भी डर बना रहता है।
इस क्षेत्र में दपाना गांव का ही ये हाल नहीं है, बल्कि इस तरह के और भी कई गांव हैं, जहां मोबाइल का नेटवर्क नहीं है। जानकारी के अनुसार, मोरनी ब्लॉक में कुल 83 स्कूल हैं, जिनमें करीब साढ़े तीन हजार विद्यार्थी पढ़ते हैं। फिलहाल सारी दुनिया कोरोना के खत्म होने की दुआ कर रही है। मगर, जिन क्षेत्रों में मोबाइल का नेटवर्क अभी तक नहीं पहुंचा है, उन क्षेत्रों में पढ़ने वाले विद्यार्थी तो यह दुआ भी कर रहे हैं कि उनके घरों तक मोबाइल फोन का नेटवर्क पहुंच जाए, ताकि वो कोरोना काल में भी अपनी पढ़ाई को जारी रख सकें।
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