26/11: लखवी को सूली पर चढ़ाने के लिये भारत के प्रयास
नई दिल्ली। पाकिस्तान की अदालत ने 26/11 आतंकी हमले के आरोपी जकी-उर-रहमान लखवी की रिहाई की मंजूरी दे दी है। इससे साफ है कि भले ही नरेंद्र मोदी पाकिस्तान से मधुर संबंध बनाने के प्रयास में हैं, लेकिन पाकिस्तान 26/11 हमले पर कभी सीरियस नहीं हुआ। वो पीठ पर कब छुरा भोंक दे पता नहीं। हम बात करने जा रहे हैं कि भारत ने लखवी को सूली पर चढ़ाने के लिये क्या-क्या प्रयास किये। [आतंकवाद से जुड़ी बड़ी खबरें]
वॉयस सैम्पल इकठ्ठा किये थे भारत ने
26/11 हमले के बाद जब भारतीय एजेंसियों ने इसकी जांच शुरू की, तब उस दौरान एक टेप हाथ लगा। टेप की जांच में पता चला कि उसमें लखवी की आवाज है। यहां तक अमेरिका ने भी उसकी पुष्टि की थी।
सबूत दिये हुए तीन साल हो गये लेकिन पाकिस्तान ने लखवी के खिलाफ एक भी ऐक्शन नहीं लिया। पाकिस्तान ने उस टेप पर एक भी प्रतिक्रिया नहीं दी। यहां तक पाकिस्तान ने लखवी का वॉयस सैम्पल तक नहीं लिया। एक बार पाकिस्तान ने प्रयास किये, तब लखवी ने साफ मना कर दिया। जब जब अदालत में सुनवाई हुई तब-तब इस टेप को किनारे कर दिया गया। यहां तक जज ने भी उसे सुनने की जहमत नहीं उठायी।
अमेरिका से मिले सबूत और कुछ खास बातें-
- 26/11 के बाद जब डेविड हेडली पकड़ा गया तक तब लखवी के खिलाफ भी सबूत जुटाये थे।
- एफबीआई की रिपोर्ट के अनुसार लखवी का हाथ 26/11 हमले में था।
- लखवी आईएसआई के पूर्व चीफ अशफाक कयानी का करीबी है।
- कयानी के कहने पर ही लखवी को जेल में सेलफोन रखने की परमीशन मिली थी।
- तब हिलेरी क्लिंटन ने इस पर हस्तक्षेप भी किया, लेकिन कयानी का मोबाइल तब भी छीना नहीं गया।
- लखवी जेल में रहते हुए लश्कर की गतिविधियों को अंजाम देता रहा है।
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