बीजिंग पहुंचेंगे इमरान तो जिनपिंग से सीपीईसी पर रखेंगे एक अहम प्रस्ताव, क्या चीन मानेगा यह बात
इस्लामाबाद। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान तीन नवंबर को पहले आधिकारिक चीन दौरे पर रवाना होंगे। इमरान यहां पर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात करेंगे। कहा जा रहा है कि इमरान, चीनी नेतृत्व के सामने चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरीडोर (सीपीईसी) को लेकर कई अहम प्रस्ताव रख सकते हैं। पाकिस्तान मीडिया की रिपोर्ट पर अगर यकीन करें तो इमरान इस दौरान जिनपिंग को स्पष्ट संदेश दे सकते हैं कि पाक सरकार सीपीईसी के तहत चल रहे इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में 'महत्वपूर्ण बदलाव' चाहते हैं। सीपीईसी पर पिछले कुछ दिनों से लगातार विवाद जारी है। यह भी पढ़ें-आर्थिक मदद मांगने के लिए दो हफ्तों में तीन देशों के दौरे पर रवाना होंगे इमरान
सीपीईसी के प्रोजेक्ट्स में बदलाव चाहते हैं इमरान
60 बिलियन डॉलर वाला सीपीईसी, जिनपिंग के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव (बीआरआई) का फ्लैगशिप वेंचर है। इसका मकसद दुनियाभर में इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स के तहत चीन का प्रभुत्व बढ़ाना है। सीपीईसी के तहत चीन के शिनजियांग स्थित उईगर प्रांत को पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट से जोड़ना है। सीपीईसी में सड़क, रेल और ऊर्जा से जुड़े कई प्रोजेक्ट्स का नेटवर्क शामिल है। इमरान जिनपिंग और अपने चीनी समकक्ष ली केकियांग से मिलते समय इस बात को स्पष्ट कर देंगे। पाकिस्तान के अखबार द डॉन में लिखा है, 'मित्र देश के नेताओं से मुलाकात करते समय खान चीनी नेतृत्व को इास बात की जानकारी देंगे कि उनकी सरकार सीपीईसी के तहत चल रहे कुछ प्रोजेक्ट्स में बदलाव चाहती है।' डॉन ने सरकार के सूत्रों के हवाले से इस बात की जानकारी दी है।
अमेरिका की नजर पाकिस्तान पर
अखबार में लिखा है कि पुरानी सरकार ने इंफ्रास्ट्रक्चर स्कीम्स पर जोर दिया था लेकिन अब नई सरकार कृषि, नौकरी और विदेश निवेश को आकर्षित करने वाले प्रोजेक्ट्स पर जोर देना चाहती है। पाकिस्तान पहले ही आर्थिक मदद के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) के पास गुहार लगा चुका है। पाकिस्तान ने अर्थव्यवस्था को स्थिर करने के मकसद से बेलआउट की मांग की है। अमेरिका का कहना है कि चीनी कर्ज की वजह से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। अमेरिका ने यह भी कहा है कि वह पाक को मिलने वाले बेलआउट का हर तरह से अध्ययन करेगा जिसमें पाक के ऊपर अरबों रुपयों का कर्ज भी शामिल होगा।
भारत ने किया है सीपीईसी का विरोध
अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता हीथर न्यूआर्ट की ओर से कहा गया है कि अमेरिका का मानना है कि पाकिस्तान के वित्तीय संकट की बड़ी वजह चीनी कर्ज है। वहीं दूसरी ओर से भारत की तरफ से सीपीईसी का अक्सर विरोध किया गया है क्योंकि यह पीओके से होकर गुजरता है। पाकिस्तान जो इस समय कैश क्रंच का सामना कर रहा है उसने ऐलान किया है कि वह सीपीईसी के तहत कराची से लेकर पेशावर तक जाने वाले रेलवे प्रोजेक्ट में 8.2 बिलियन डॉलर की कटौती करेगा। पाक का मानना है ऐसा करने से दो बिलियन डॉलर के कर्ज का बोझ कम हो सकेगा। डॉन की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सीपीईसी के इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स की वजह से नेशनल हाइवे प्रोजेक्ट्स जिनकी लागत करीब एक ट्रिलियन रुपए से ज्यादा है, उन पर खासा असर पड़ा है। एनर्जी सेक्टर के भी कई प्रोजेक्ट्स पर खासा असर पड़ा है।