घाटी को आतंक और हिंसा की आग में झोंकने वाला हिजबुल मुजाहिदीन
श्रीनगर। पिछली आठ जुलाई को जब से आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन के कश्मीर कमांडर बुरहान वानी को सुरक्षाबलों ने मार गिराया है तब से ही घाटी सुलग रही है।
पढ़ें-पाक में सरकार पर भारी आतंकी, राजनाथ सिंह को आने से रोकने की अपील
अपने इस 'पोस्टर ब्वॉय' की मौत के बाद हिजबुल मुजाहिदीन ने चेतावनी दी थी कि वह वानी की मौत के बाद चुप नहीं बैठेगा और उसकी मौत का बदला लेकर रहेगा।
नतीजा सामने है ओर घाटी की गलियों में विरोध प्रदर्शन, सुरक्षाबलों पर पथराव और लगातार माहौल को तनावपूर्ण करने की कोशिशें जारी हैं।
पढ़ें-घाटी में फिर से हिजबुल के वानी स्टाइल वाले पोस्टर्स
वैसे यह पहली बार नहीं है जब हिजबुल ने घाटी के बिगड़े माहौल को और बिगाड़ने की कोशिश की है। हिजबुल की शुरुआत ही पूरे कश्मीर को आतंक और हिंसा की आग में झुलसाने के मकसद से हुई थी।
आइए आज आपको बताते हैं कि हिजबुल मुजाहिदीन की शुरुआत क्यों हुई और कैसे इसने कश्मीर के युवाओं को आकर्षित करने की कामयाब कोशिशें जारी रखी हैं।
पढ़ें-कश्मीर में टेक्नोलॉजी की मदद से आतंकी दे रहे चकमा
पढ़ें-भारत में आतंक की फैक्ट्री में तब्दील होता जा रहा कश्मीर का त्राल!
आज हिजबुल की चर्चा इसलिए और भी जरूरी है क्योंकि इसके आका सैयद सलाहुद्दीन ने गृहमंत्री राजनाथ सिंह के पाकिस्तान दौरे को लेकर धमकी दी है। साथ ही हिजबुल ने अपने मंसूबों को पूरा करने के लिए लश्कर-ए-तैयबा से हाथ भी मिला लिया है।
शुरुआत में था कश्मीर का अलगाववादी संगठन
हिजबुल मुजाहिदीन की शुरुआत सितंबर 1989 में हुई थी और इसकी स्थापना मुहम्मद अहसान डार ने की थी। शुरुआत में इसे कश्मीर का अलगाववादी संगठन बताया गया। वर्ष 1989 ही वह दौर था जब कश्मीर में हिंसा की शुरुआत होने लगी थी और यहां पर आतंकवाद ने दस्तक दे दी थी।
माना गया आतंकी संगठन
हिजबुल को यूरोपियन यूनियन, अमेरिका और भारत ने एक आतंकी संगठन घोषित किया हुआ है। इसका कमांडर सैयद सलाहुद्दीन है जो भारत और अमेरिका के खिलाफ बयान देता आया है।
घाटी में अपने इरादों को पूरा कर रही आईएसआई
पाकिस्तान की इंटेलीजेंस एजेंसी आईएसआई पर हिजबुल की फंडिंग का आरोप लगता रहा है। कहते हैं कि पाक के राजनीतिक संगठन जमात-ए-इस्लामी (जेआई) ने आईएसआई के अनुरोध पर इस संगठन को तैयार किया ताकि यासिन मलिक के जम्मू कश्मीर लिब्रेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) को टक्कर दी जा सके।
10,000 तक पहुंचा संगठन
वर्ष 1991 में हिजबुल तहरीक-ए-जेहाद (टीजेआई) के साथ हाथ मिला लिया और फिर संगठन में आतंकियों की क्षमता 10,000 तक पहुंच गई थी।
कश्मीर के लिए पांच डिवीजन
हिजबुल की पांच डिवीजन इस समय कश्मीर में मौजूद हैं। सेंट्रल डिवीजन श्रीनगर में, अनंतनाग और पुलवामा में इसकी सदर्न डिवीजन और कुपवाड़ा, बांदीपोर और बारामूला में इसकी नार्दन डिवीजन है। इसके अलावा डोडा, गूल और पीर पंजाल में भी दो और डिवीजन काम कर रही हैं।
वानी जैसे युवाओं पर नजर
हिजबुल की नजर इस समय घाटी में उन तमाम युवाओं पर है जो आकर्षक दिखते हैं और जिन्हें सोशल मीडिया का प्रयोग अच्छे से आता है। हिजबुल अब ऐसे युवाओं को शामिल करके आतंकवाद के नए रूप को अपनाने की तैयारी कर चुका है।
कश्मीर मुख्य एजेंडा
हिजबुल कमांडर सलाहुद्दीन रविवार को वाघा बॉर्डर तक हुए मार्च का हिस्सा था और उसका कहना है कि कश्मीर को भारत से आजाद कराना उसका मुख्य एजेंडा है। वह कहता है कि भारत ने कश्मीर को बंधक बनाकर रखा है।
खोई जमीन हासिल करने की कोशिश
हिजबुल मुजाहिदीन पिछले दो वर्षों में घाटी में अपनी खोई जमीन को फिर से हासिल करने की कोशिश कर रहा है और पिछले दो वर्षों में अगर कश्मीर के हालातों पर नजर डाली जाए तो यह बात साफ हो जाती है।
क्यों मिलने लगा युवाओं का साथ
इस कोशिश में उसे कश्मीर के उन युवाओं का साथ मिलने लगा है जो पढ़े-लिखे तो हैं लेकिन जिनके पास रोजगार नहीं है।