डोनाल्ड ट्रंप को अनुसना कर रहा पाकिस्तान, अब हो रही है बड़ी सजा की तैयारी!
पाकिस्तान अपनी सीमाओं में मौजूद हक्कानी आतंकियों के खिलाफ कोई भी कार्रवाई करने में असफल रहा है। अमेरिका ने इस वर्ष जनवरी में पाक को दी जाने वाली 1.3 बिलियन डॉलर की मदद को भी रोक दिया लेकिन फिर भी यह देश टस से मस होने को तैयार नहीं है। अमेरिका ने इसी मुद्दे पर पाकिस्तान की मदद बंद की थी।
वॉशिंगटन। अमेरिका ने पाकिस्तान की सात कंपनियों को बैन करने का आदेश दिया है। अमेरिका में जब से डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति पद संभाला है तब से ही पाकिस्तान से जुड़ा उनका कोई न कोई एक्शन इस देश के खिलाफ उनकी आक्रामकता को बयां कर देता है। पाकिस्तान में अमेरिकी राजदूत रेयान क्रॉकर कई बार पाकिस्तान से अपील कर चुके हैं कि वह उन सभी आतंकियों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जो उसकी सरजमीं पर आजाद घूम रहे हैं और अफगानिस्तान में अमेरिकी सेनाओं को निशाना बना रहे हैं। लेकिन ऐसा होता नजर नहीं आ रहा है और अब माना जा रहा है कि अमेरिका पाकिस्तान के खिलाफ एक बड़ा कदम उठा सकता है।
पाकिस्तान बना ट्रंप के लिए चुनौती
अमेरिकी अखबार शिकागो ट्रिब्यून की खबर के मुताबिक साल 2007 में जब क्रॉकर, पाकिस्तान में बतौर राजदूत तीन वर्ष पूरे कर चुके थे, तो उन्होंने उस समय पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल परवेज कियानी के साथ एक मीटिंग की थी। इस मीटिंग में कियानी ने कहा था कि पाकिस्तान क्यों अपना रुख नहीं बदल सकता है। दोनों के बीच हुई बातचीत इस बात का सुबूत थी कि अमेरिका और पाकिस्तान के बीच कितनी निराशा और कई मुद्दों पर कितनी गलतफहमियां हैं। कई अमेरिकी राष्ट्रपतियों ने पाकिस्तान को कितनी दफा इस बात की अपील की है कि वह अफगानिस्तान बॉर्डर पर स्थित तालिबान और हक्कानी आतंकियों पर नियंत्रण लगाए। अब यही चुनौती राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके प्रशासन को झेलनी पड़ रही है। ट्रंप प्रशासन के अधिकारी इस बहस में लगे हैं कि आखिर पाकिस्तान पर दबाव कैसे डाला जाए?
आतंकियों के खिलाफ पाक का नो एक्शन
पाकिस्तान अपनी सीमाओं में मौजूद हक्कानी आतंकियों के खिलाफ कोई भी कार्रवाई करने में असफल रहा है। अमेरिका ने इस वर्ष जनवरी में पाक को दी जाने वाली 1.3 बिलियन डॉलर की मदद को भी रोक दिया लेकिन फिर भी यह देश टस से मस होने को तैयार नहीं है। अमेरिका ने इसी मुद्दे पर पाकिस्तान की मदद बंद की थी। इसके बाद भी पाक ने न तो आतंकियों पर कोई नियंत्रण लगाया और न ही अफगानिस्तान से सटी सीमा पर हथियार सप्लाई होने में कोई कमी आई है। ट्रंप प्रशासन के एक सीनियर अधिकारी की ओर से इस बात की पुष्टि भी की गई है कि पाकिस्तान ने अनुरोध के बाद भी न के बराबर कदम उठाए हैं।
तो वापस ले लिया जाएगा गैर-नाटो देश का दर्जा
ट्रंप के जूनियर पाकिस्तान के खिलाफ अब राजनीतिक दबाव के विकल्पों पर विचार कर रहे हैं। इन विकल्पों के तहत पाकिस्तान को मिला गैर-नाटो साझीदार का देश का दर्जा वापस लेने से लेकर अमेरिकी सैन्य मदद को हमेशा के लिए बंद करने से लेकर वीजा बैन और साथ ही पाक सरकार के उन व्यक्तियों पर बैन लगाना तक शामिल है जिन्हें आतंकियों का मददगार समझा जाता है। व्हाइट हाउस में इस बात को लेकर बहस जारी है कि इस्लामाबाद के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाए और इसके लिए पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपतियों से भी राय ली जा रही है।
ट्रंप के एनएसए और विदेश मंत्री बनाएंगे रणनीति
व्हाइट हाउस के कुछ अधिकारी इस बात में यकीन करते हैं कि कई वर्षों तक पाकिस्तान को दी जाने वाली मदद को पूरी तरह से बंद कर दिया जाए क्योंकि इस मदद के बदले अमेरिका को बस धोखा मिल रहा है। वहीं कुछ अधिकारी इस बात में यकीन करते हैं कि पाकिस्तान को पूरी तरह से अलग-थलग कर देना चाहिए। पिछले हफ्ते डोनाल्ड ट्रंप ने जॉन बोल्टन को नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर (एनएसए) और माइक पोंपेओ को विदेश मंत्री नियुक्त किया है। माना जा रहा है कि दोनों ही पाकिस्तान पर कड़े प्रतिबंधों के समर्थक हैं।
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