अमेरिका ने बोला पाकिस्तान पर हमला, कहा-लश्कर और जैश जैसे आतंकी संगठनों की वजह से बढ़ा आतंकवाद
वॉशिंगटन। अमेरिका ने आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान पर हमला बोला है। मंगलवार को अमेरिका ने कहा है कि पाकिस्तान लगातार उन आतंकी संगठनों को समर्थन दे रहा है जो सीमा पार से जारी आतंकवाद के लिए जिम्मेदार हैं। इन संगठनों की वजह से ही भारत और पाकिस्तान के बीच वार्ता नहीं हो पा रही है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की करीबी मंत्री की तरफ से जो बयान दिया गया है उसमें अप्रत्यक्ष तौर पर भारत के उस रुख का समर्थन किया गया है जिसके तहत आतंकवाद और वार्ता एक साथ न हो सकने की बात कही जाती रही है।
पाकिस्तान दे रहा आतंकवाद को बढ़ावा
अमेरिका की कार्यकारी उप-विदेश मंत्री एश्ले जी वेल्स जिन पर दक्षिण और मध्य एशिया की जिम्मेदारी हैं, उन्होंने पाक पर आक्रामक रुख अपनाया है। वेल्स ने कहा, 'द्विपक्षीय वार्ता को फिर से शुरू करने के लिए भरोसे का होना बहुत जरूरी है और इसमें मुख्य रुकावट है पाकिस्तान की तरफ से लगातार आतंकी संगठनों को मिलने वाला समर्थन। ये ऐसे संगठन हैं जो सीमा पार से आतंकवाद को बढ़ावा दे रहे हैं।' वेल्स ने पाक को चेतावनी देने के अंदाज में कहा, 'पाकिस्तान, लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों को पनाह दे रहा है जो नियंत्रण रेखा के दूसरी तरफ हिंसा को बढ़ावा दे रहे हैं और पाक अथॉरिटीज इसके लिए हमेशा जवाबदेह रहेंगी।'
पीओके में हुई सर्जिकल स्ट्राइक कार्रवाई
अमेरिका की ओर ये यह बयान ऐसे समय में आया है जब पिछले दिनों भारतीय सेना ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में स्थित आतंकी संगठनों को निशाना बनाया है। भारत की तरफ से पीओके में हुई कार्रवाई में छह से 10 पाक सैनिक और कुछ आतंकी भी मारे गए हैं। ये आतंकी और सैनिक जम्मू कश्मीर के तंगधार सेक्टर में घुसपैठ की कोशिशों में लगे हुए थे।19 और 20 अक्टूबर को जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा सेक्टर में आने वाले तंगधार सेक्टर में पाक की ओर से युद्धविराम को तोड़ा गया था। इसमें दो जवान शहीद हो गए थे तो एक आम नागरिक की भी मौत हो गई थी। वेल्स ने यह भी कहा कि अमेरिका भारत और पाकिस्तान के बीच सीधी वार्ता का समर्थन करता है और यह बिल्कुल 1972 में हुए शिमला समझौते की तर्ज पर होनी चाहिए।
कई बार हुई है वार्ता की कोशिश
वेल्स के शब्दों में, 'हमारा मानना है कि साल 1972 में जिस तरह से शिमला समझौते के तहत वार्ता की बात कही गई है, भारत और पाक के बीच उसी तरह से सीधी वार्ता होनी चाहिए ताकि दोनों देशों के बीच तनाव कम हो सके।' वेल्स ने यह अयान एशिया, पैसेफिक पर बनी विदेश मामलों की समिति को बताई है। उन्होंने यह भी कहा कि साल 2006-2007 में पर्दे के पीछे समझौते के कई दौरे चले, भारत और पाक ने कश्मीर जैसे कई अहम मुद्दों पर खासी तरक्की भी की थी।
लगातार घुसपैठ की फिराक में आतंकी
उनकी मानें तो इतिहास ने हमें बताया है कि क्या संभव हो सकता है। वेल्स के मुताबिक भारत और पाक के बीच सफल वार्ता पाकिस्तान पर निर्भर करती है। जब तक वह अपनी सीमा में मौजूद आतंकियों और चरमपंथियों के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लेता, ऐसा मुश्किल है। सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत की तरफ से कहा गया है कि आतंकी, फारवर्ड इलाकों में मौजूद कैंप्स की तरफ बढ़ने की कोशिशों में लगे हुए हैं। कई बार उनकी तरफ से घुसपैठ के असफल प्रयासों के बारे में जानकारी मिली है।