तालिबान के मास्टर स्ट्रोक से चौंका अमेरिका, पाकिस्तान में किया वार्ता का ऐलान
काबुल। तालिबान ने अपने नए ऐलान से अमेरिका समेत दुनिया को चौंका दिया है। तालिबान ने कहा है कि वह अगले हफ्ते पाकिस्तान में अमेरिकी राजदूतों से मुलाकात करेगा। तालिबान का यह ऐलान तब आया है जब कतर में इस माह के अंत में समझौते के लिए बातचीत का एक दौर बाकी है। तालिबान की ओर से इस हैरानी भरे कदम का ऐलान बुधवार को किया गया है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय की ओर से इसके बाद ऐलान किया गया है कि अमेरिका ने इस ऐलान पर ध्यान दिया है लेकिन अभी तक बातचीत के लिए किसी भी तरह का कोई औपचारिक आमंत्रण उसे नहीं मिला है।
इमरान से भी होगी तालिबान की मुलाकात
तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्ला मुजाहिद ने कहा है कि इस्लामाबाद में होने वाली वार्ता का आयोजन कतर में इस माह होने वाली बातचीत से पहले होगा। तालिबान की तरफ से वार्ता के बारे में तब बताया गया है जब अमेरिका के चीफ नेगोशिएटर जलमय खलिलजाद दुनिया भर में घूम कर अफगानिस्तान में पिछले 17 वर्षों से जारी युद्ध को खत्म करने के लिए जरूरी शांति प्रक्रिया के लिए समर्थन हासिल करने की कोशिशें कर रहे हैं। खलिलजाद अफगानिस्तान में अमेरिका के राजदूत रहे हैं। पिछले माह कतर की राजधानी दोहा में उन्होंने तालिबान के साथ काफी विस्तृत वार्ता की थी। दोहा में तालिबान का एक ऑफिस है। तालिबान ने अमेरिका के साथ नई वार्ता से पहले नेगोशिएटिंग टीम बनाई है। अपने बयान में जबीउल्ला ने कहा है कि तालिबान, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से भी मुलाकात करेगा।
आधिकारिक ऐलान अभी बाकी
इमरान के साथ तालिबान पाकिस्तान-अफगानिस्तान संबंधों पर भी चर्चा करेगा। अभी तक पाकिस्तान की ओर से वार्ता की पुष्टि के लिए किसी तरह का कोई बयान नहीं दिया गया है। तालिबान की ओर से कहा गया है कि दोहा में 25 फरवरी को वार्ता होगी। जबीउल्ला ने यह तो बताया कि तालिबान का एक प्रतिनिधिमंडल अमेरिकी टीम से मिलेगा लेकिन उसने खलिलजाद के साथ मुलाकात के बारे में कोई जानकारी नहीं दी। खलिलजाद इस समय पाकिस्तान में हैं और वह यूरोप होते हुए छह देशों का दौरा कर रहे हैं। अमेरिका पिछले कई दिनों से तालिबान के साथ शांति वार्ता शुरू करने की कोशिशें कर रहा था। पिछले हफ्ते अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने स्टेट ऑफ द यूनियन एड्रेस में कहा था कि तालिबान के साथ वार्ता की दिशा में प्रगति है। इसकी वजह से अफगानिस्तान से करीब 14,000 अमेरिकी ट्रूप्स को हटाया जा सकेगा।