पाकिस्तान: मिलने लगे तख्तापलट के संकेत, आर्मी चीफ जनरल बाजवा ने बुलाई 'प्राइवेट' मीटिंग्स
कराची। पहले से ही अर्थव्यवस्था की बुरी मार झेल रहा पाकिस्तान, जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 हटने के बाद और ज्यादा लाचार हो गया है। प्रधानमंत्री इमरान खान अब तक समझ नहीं पा रहे हैं कि क्या किया जाए तो दूसरी तरफ कराची में पाकिस्तान आर्मी के चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा प्राइवेट मीटिंग्स कर रहे हैं। पाकिस्तान में जहां मिलिट्री पहले ही सरकार की तुलना में कहीं ज्यादा ताकतवर है, वहां पर अब लगता है कि बाजवा ड्राइविंग सीट पर आने को तैयार हो रहे हैं। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक बाजवा ने देश की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के उपायों पर चर्चा करने के लिए यह मीटिंग की थी। लेकिन कुछ लोग इन मीटिंग्स को 'साफ्ट कूप' के तौर पर बता रहे हैं।
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रावलपिंडी में जनरल बाजवा की 'बिजनेस मीटिंग'
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस तरह की तीन मीटिंग्स हुई हैं और सभी कराची में मिलिट्री ऑफिसेज में हुईं। इन ऑफिसेज के बाहर सुरक्षा किसी किले से कम नहीं थी। कराची, पाक की आर्थिक राजधानी है। कराची के अलावा पाक सेना के हेडक्वार्टर रावलपिंडी में भी बाजवा ने टॉप बिजनेस लीडर्स से मुलाकात की है। मीटिंग में जनरल बाजवा ने बिजनेस लीडर्स से पूछा कि देश की अर्थव्यवस्था को कैसे सुधारा जाए। कुछ मुलाकातों में देश के हालातों को लेकर कुछ फैसले भी हुए। सूत्रों की मानें तो जनरल बाजवा देश के हालातों को लेकर खासे परेशान थे। पाकिस्तान आर्मी के प्रवक्ता की ओर से इस पर कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया गया है।
देश के लोकतंत्र के लिए खतरा
पाकिस्तान की सेना ने देश पर सन् 1947 से ही शासन किया है। बंटवारे के बाद से ही देश कई बार तख्तापलट से गुजर चुका है। जनरल बाजवा ऐसे समय में बिजनेस लीडर्स से मिल रहे हैं जब रक्षा बजट को वित्तीय वर्ष 2020 के लिए रोक दिया गया है। एक दशक के बाद पाक में ऐसा हुआ है। देश के कई बिजनेस लीडर्स बाजवा के इस तरह से मुलाकात करने पर खुशी जाहिर कर रहे हैं। पाकिस्तान के आर्थिक हालातों पर किताब लिख चुके सिटीग्रुप इंक के पूर्व बैंकर युसूफ नजर ने ब्लूमबर्ग के साथ बातचीत में कहा, 'देश के आर्थिक प्रबंधन में मिलिट्री का रोल बढ़ना जो कि पहले से देश की सुरक्षा व्यवस्था में हावी है, सॉफ्ट कूप से ज्यादा कुछ नहीं है।' उन्होंने जनरल बाजवा की ओर से बुलाई मीटिंग्स को देश की लोकतांत्रिक परंपरा के लिए खतरा बताया है।
इमरान ने बढ़ाया बाजवा का कार्यकाल
पाकिस्तान को अक्सर ही कई असधारण मौके का सामना करना पड़ा है। इसके 72 वर्षों के इतिहास में कई बार तख्तापलट हुआ है। अब इस नए डेवलपमेंट के साथ ही एक बार फिर से सिविल सोसयाटी को चिंता होने लगी है। इमरान खान हालांकि कई बार यह बात कह चुके हैं कि उनकी सरकार और सेना के बीच एक अच्छी वर्किंग रिलेशनशिप है। मगर हाल ही में जब 58 साल के बाजवा का कार्यकाल तीन साल के लिए बढ़ाया गया तो कई लोगों को कई तरह की शंकाएं होने लगीं।
अब बाजवा बचाएंगे इमरान को
पिछले वर्ष जुलाई में चुनाव हुए थे और हाल ही में इमरान खान की रेटिंग उस स्तर पर पहुंच गई है जहां कोई उन्हें पसंद नहीं करता है। पीएम की पापुलैरिटी पिछले वर्ष 64 प्रतिशत पर थी और इस बार इसमें 18 प्रतिशत की गिरावट हुई है। अगस्त माह में आई एक रिपोर्ट में इमरान की पापुलैरिटी 46 प्रतिशत पर है। लाहौर की सेंट्रल पंजाब यूनिवर्सिटी में अंतरराष्ट्रीय संबंधों और राजनीति से जुड़े विभाग के मुखिया राशिद अहमद खान की मानें तो किसी भी रेटिंग में गिरावट इमरान के लिए बिल्कुल भी चिंता का विषय नहीं है क्योंकि उन्हें सेना का सपोर्ट मिला हुआ है। अब सिर्फ सेना और जनरल बाजवा ही उन्हें बचा सकते हैं।