सऊदी अरब प्रिंस MBS ने पाकिस्तान के PM इमरान खान के सामने रख दी है अजीज दोस्त चीन को छोड़ने की मांग!
इस्लामाबाद। पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच इस समय सब-कुछ ठीक नहीं चल रहा है। दोनों के बीच तनाव अपने चरम स्तर पर है। अब जो खबरें आ रही हैं, उनके मुताबिक दोनों के बीच तनाव की असली वजह दरअसल चीन है। पाकिस्तान के सीनियर जर्नलिस्ट शाहिद मेटला ने यह दावा अपने शो न्यूज वन में किया है। मेटला ने बताया है कि सऊदी अरब ने पाकिस्तान को साफ-साफ कहा है कि वह भारत के खिलाफ चीन का समर्थन करना बंद करे। आपको बता दें कि पिछले दिनों विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी की तरफ से सऊदी अरब को लेकर तल्ख बयान दिया गया था। इसके बाद से ही दोनों देश आमने-सामने हैं।
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चीन को अकेला छोड़ने का 'आदेश'
कुरैशी ने ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक को-ऑपरेशन (ओआईसी) से अपील की थी कि वो कश्मीर मसले पर विदेश मंत्रियों की एक मीटिंग बुलाए। इसके बाद से ही लगातार दोनों देशों के बीच टकराव की स्थिति बनी हुई है। मेटला की मानें तो दोनों के बीच तनाव की वजह कश्मीर नहीं बल्कि चीन है। मेटला के मुताबिक पाकिस्तान पर लगातार सऊदी अरब की तरफ से दबाव बनाया जा रहा है कि वह चीन का साथ छोड़ दे। साथ ही अपने करीबी से संबंधों को कमतर करे। साथ ही सऊदी अरब ने पाकिस्तान से कह है कि भारत के साथ टकराव के बीच वह चीन को अकेला छोड़ दे। इसके अलावा पाक से यह भी कहा गया है कि भारत-चीन के बीच जारी टकराव में वह चीनी सेना को अलग-थलग करने में मदद करे।
ईरान में निवेश में मदद पर भी सवाल
वहीं पाकिस्तान को यह भी कहा गया है कि वह ईरान में चीन की तरफ से होने वाले 400 बिलियन डॉलर के निवेश में मदद न करे। मेटला की मानें तो पाकिस्तान के लिए सऊदी अरब की इन मांगों को मानना संभव नहीं है। इस वजह से ही सऊदी का रुख पाक के खिलाफ आक्रामक बना हुआ है। वह पाकिस्तान को एक मुश्किल स्थिति में लाना चाहता है। यही वजह है कि विदेश मंत्री कुरैशी ने सऊदी अरब पर अपनी भड़ास निकाली है। उन्होंने इस मसले को इस तरह से दिखाया कि पाकिस्तान, कश्मीर मसले पर दूसरे मुसलमान देशों का समर्थन मांगेगा अगर सऊदी अरब ने उसे समर्थन नहीं दिया। हालांकि उन्होंने यह भी कहा है कि पाक के विदेश विभाग की तरफ से इस न्यूज को खारिज कर दिया गया है।
सऊदी ने मांगे अपने एक बिलियन डॉलर
पाक और सऊदी अरब के बीच एक दशक से ज्यादा पुरानी दोस्ती है। लेकिन महमूद कुरैशी के बयान के बाद इसमें दरार आ गई है। पिछले दिनों सऊदी अरब ने साफ कर दिया है कि पाकिस्तान को न तो तेल मिलेगा और न ही किसी तरह का कोई कर्ज मिलेगा। मिडिल ईस्ट मॉनिटर की तरफ से इस बात की जानकारी दी गई है। सऊदी अरब ने पाकिस्तान से अपना एक बिलियन डॉलर का कर्ज वापस मांग लिया है। पाक ने चीन की मदद से ही यह कर्ज चुकाया है। यह कर्ज नवंबर 2018 में सऊदी के साथ हुई उस पैकेज डील का हिस्सा था जिसके तहत पाकिस्तान को कुल तीन बिलियन डॉलर का लोन मिला था और 3.2 बिलियन डॉलर का ऑयल क्रेडिट के तौर पर था।
कश्मीर पर अकेला पड़ा पाकिस्तान
सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान फरवरी 2019 में पाकिस्तान के दौरे पर गए थे। जबसे भारत ने जम्मू कश्मीर में पिछले साल आर्टिकल 370 हटाया है तब से पाकिस्तान ओआईसी पर दबाव बना रहा है कि वह एक आपातकालीन मीटिंग बुलाए जिसमें ओआईसी देशों के विदेश मंत्री शामिल हों। सऊदी अरब ने पाकिस्तान के उस अनुरोध को नकार दिया, जिसमें कश्मीर मुद्दे को आईओसी में उठाने का आग्रह किया गया था। पाकिस्तान को आईओसी में सपोर्ट न मिलने के बाद 22 मई को पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा था, ' इस्लामिक देशों में एकजुटता नहीं है। यहां तक कि हम आईओसी में कश्मीर मुद्दे तक को नहीं उठा सके।'