बाजवा के लिए अपनी ही बात से क्यों मुकरे इमरान, तीन साल के एक्सटेंशन के पीछे की 3 वजह
इस्लामाबाद। सोमवार को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा का कार्यकाल तीन साल बढ़ा दिया गया है। भारत के जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने के फैसले का असर इस्लामाबाद से ज्यादा रावलपिंडी में देखा गया। इमरान खान ने पिछले वर्ष जब सत्ता संभाली थी तो उन्होंने कहा था कि सरकार के कामकाज में मिलिट्री का कोई दखल नहीं होगा। लेकिन इमरान ने खुद अपना वादा तोड़ दिया और आइए आपको बताते हैं कि कौन सी वजह हो सकती हैं कि पीएम को आर्मी चीफ का कार्यकाल बढ़ाने के लिए मजबूर होना पड़ा है।
एलओसी पर पाक सेना का आक्रामक रवैया
सोमवार को इमरान ने जब जनरल बाजवा के कार्यकाल को बढ़ाने की अनुमति दी तो उन्होंने बयान जारी किया। इमरान ने कहा 'क्षेत्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखकर यह फैसला किया गया है।' इमरान ने जनरल बाजवा का कार्यकाल ऐसे समय में बढ़ाया है जब एक तरफ जम्मू कश्मीर अब भारत का संघ शासित प्रदेश बन चुका है तो वहीं अफगानिस्तान में शांति प्रक्रिया की कोशिशों को बढ़ाया जा रहा है। विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा कि जनरल बाजवा का कार्यकाल कश्मीर के हालातों को देखते हुए बढ़ाया जा रहा है। हालांकि उन्होंने अपने बयान में अफगानिस्तान का भी जिक्र किया है। बाजवा ने नवंबर 2016 में अपना पद संभाला था औ उनके आने के बाद से ही पाक आर्मी एलओसी पर लगातार आक्रामक है। पाक सेना और इमरान खुद इस आक्रामकता को गंवाना नहीं चाहेंगे।
इमरान के पास नहीं कोई विकल्प
जब इमरान ने सत्ता संभाली थी तो उस समय उन्होंने कहा था कि किसी भी तरह के नियम मे बदलाव और आर्मी चीफ कार्यकाल बढ़ाने, एक ऑर्गनाइजेशन के तौर पर सेना को कमजोर करना होगा। लेकिन कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि इमरान खान पूरी तरह से जनरल बाजवा पर निर्भर है और ऐसे में उनके पास बाजवा के अलावा कोई और विकल्प नहीं था। पाकिस्तान मिलिट्री ताकत के मामले में दुनिया में छठवें नंबर पर है। पाकिस्तान आर्मी चीफ को देश का ताकतवर शख्स माना जाता है और सेना देश के परमाणु हथियारों को नियंत्रित करती है। जनरल बाजवा इस वर्ष नवंबर में रिटायर होने वाले थे लेकिन अब वह तीन साल और सेना को नियंत्रित करेंगे।
हर मोर्चे पर असफल इमरान
इस्लामाबाद जो पाक राजनीति का गढ़ है, वहां से नीतिगत बयान आ रहे थे तो पाकिस्तान मिलिट्री का हेडक्वार्टर रावलपिंडी अपनी बौखलाहट को लगातार एलओसी पर फायरिंग करके छिपाने की कोशिश कर रही है। पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारत ने बालाकोट एयर स्ट्राइक की और पाकिस्तान को करारा जवाब दिया। जो पाक आर्मी, पाकिस्तान की सत्ता का केंद्र मानी जाती थी, वह भारत की बदली हुई नीति की वजह से दुनिया में कमजोर पड़ती जा रही है। पाकिस्तान मिलिट्री न सिर्फ विदेश नीति बल्कि घरेलू मामलों में भी हस्तक्षेप करती है। पाक के आतंरिक हालातों के बारे में सबको मालूम है। वहीं, पीएम इमरान खान न सिर्फ विदेश नीति के मामले में भी पूरी तरह से असफल साबित हो रहे हैं। इसका सबसे बड़ा उदहारण है जनरल बाजवा का जुलाई में पीएम इमरान खान के साथ अमेरिका के दौरे पर जाना।